बुधवार, 12 जुलाई 2023

उलझने प्रतीक है नकारात्मकता की / entanglement is a symbol of negativity

उलझने प्रतीक है नकारात्मकता की / entanglement is a symbol of negativity


प्रस्तावना / Preface


आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपने आप को कहि ना कहि उलझनों में महसूस करता है। जोकि लोगों कि नकरात्मकता  को प्रदर्शित करता है। उलझनों का मापदंड हमारे कार्य और हमारे विचारों पर निर्भता का प्रतीक है क्योंकि जीवन में हमारी सोच हमें नकारात्मकता कि तरफ खींचती है। इंसानो कि उलझनें मकड़ी के जाल की तरह होती है जो उलझतीं चली जाती है। हर व्यक्ति कि उलझनें भले ही अलग -अलग होती हो लेकिन प्रारूप एक ही होता है नकारात्मकता जो लोगों को उलझनों से बाहर ही नहीं निकलने देती है। हम अक्सर देखतें है कि उलझनों में रहने वाले व्यक्ति हर जगह पर अलग -थलग नजर आते है क्योंकि उनका व्यवहार गुस्से और चिड़चडा होता है। उलझनें किसी भी उम्र में किसी को अपना शिकार बना सकती है 




उलझनें हमारी सूझ -बूझ को सुस्त बनाती है / Confusion dulls the senses


उलझनें हर व्यक्ति के जिन्दगी में होती है लेकिन उनका प्रारूप हर व्यक्ति के जीवन में अलग -अलग होता है और यह कभी ना कभी ,किसी ना किसी रूप में हर व्यक्ति को प्रभावित करता है। जिससे एक व्यक्ति का सूझ -बुझ वाला जीवन अस्त -वस्त और सुस्त हो जाता है। उलझनें व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करती है। उसकी मानसिक प्रवृति को प्रकट करती है जिससे उस व्यक्ति के नकारात्मक विचार पता चलते है। अधिक उलझनों में रहने वाला व्यक्ति बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा और मायूस रहता है। हम लोगों ने अक्सर यह देखा है कि उलझनें किसी भी तरह की हो लेकिन वह व्यक्ति को ना तो स्वश्थ रहने देती है और ना तो उसे सकारात्मक विचारों के साथ जीने देती है। 


उलझनों में रहने वाला इंसान अपने आपमें ऐसा खोया रहता है कि उसके अगल -बगल और आमने—सामने होने वाली गतिविधियां समान्य रूप से व्यक्ति को नजर नहीं आती है क्योंकि उलझनों से उसका बुद्धि -विवेक खो जाता है। उलझनें व्यक्ति को पागलपन का शिकार बना देती है जिससे वह इंसान ऐसी दिशा में चलने को मजबूर हो जाता है जहां पर वह अपने घर -परिवार और समाज से बिलकुल अलग—थलग हो जाता है। ऐसे व्यक्ति अकेले बैठकर अपने आपसे बातें करते रहते है और कभी -कभी एकदम से गुस्सा हो जाते है तो कभी लोगों से लड़ना शुरू कर देते है। ऐसे कारणों से पता चलता है उलझन में रहने वाला इंसान नकारात्मक विचारों से ग्रसित होता है। 


कभी -कभी उलझन की वजह से हमारा पूरा जीवन खत्म हो जाता है लेकिन हम अपनी उलझनों से बाहर नहीं निकल पाते है क्योंकि हम किसी चीज के इंतजार में अटके होते है जिसके कारण हमारी ऊर्जा दिन -प्रतिदिन खत्म होती जाती है। जिससे हम आलस्य का शिकार हो जाते है। किसी चीज में मन ना लगना बस उस चीज के इंतजार में रहना जिसकी मिलने की कोई उम्मीद नहीं होती है ऐसी उलझनें हमारी सूझ -बुझ को छीन कर हमे सुस्त बना देती है जैसे किसी से प्रेम करना और उसी में उलझें रहना यह मानसिक रूप से हमे नकारात्मक बनाता है ,हमेशा अकेले रहना और उसके ख्यालों में खोये रहना पागलपन की निशानी होती है जो कहि ना कहि हमें खत्म करने का काम करता है 


उलझनों में महारत हासिल करो / master the tangles


उलझनें तो हर व्यक्ति के जीवन में शामिल होती है लेकिन उनको पीछे छोड़कर जो लोग आगे निकलते है या जो लोग उसमे महारत हासिल करते है वही इंसान कहलाते है क्योंकि जो व्यक्ति हमेशा अपनी ही उलझनों में उलझा रहता है। वह कभी शांत स्वभाव और दूरदर्शी नहीं हो सकता है और ना वह समाज के कल्याण के लिए कुछ कर सकता है। हम अपने जीवन में अक्सर देखते है कि हम एक मसलें को सुलझाते है और हम दूसरी उलझन में उलझ जाते है और हम यह विचार करने लगते है कि हमारे सपने तो सपनें ही रह गए क्योंकि हमारी पूरी जिंदगी रोटी ,कपड़ा और मकान में ही गुजर गयी लेकिन हम यह नहीं विचार कर पाते है कि हम उलझनों में इतने क्यों फसें होते है 


बहुत से व्यक्ति अपनी उलझनों को दरकिनार करके आगे बढ़ते है और अपनी सूझ -बूझ से जीवन को जीने का परिचय देते है मगर ऐसे व्यक्तियों के आस -पास रहने वाले लोग उनको हर दिन एक नयी उलझन देने का प्रयास करते है ताकि वह व्यक्ति अपने मार्ग से भटक जाये लेकिन ऐसा होता नहीं है क्योंकि जो व्यक्ति अपने इरादों के पक्के होते है ,जो अपनी कमजोरियों और उलझनों को अपनी ताकत बना लेते है वह लोग कभी भी नकारात्मक नहीं होते है। हमारी उलझनों का कारण हमारी नकारात्मक विचार होते है जो हमे उनसे बाहर नहीं आने देते है और जो व्यक्ति अपने नियम के अनुसार चलता है 


उलझनों को दूर करने के उपाय / ways to clear confusions


उलझनों को दूर रखने के लिए व्यक्ति को अपने दिल और दिमाग को तनाव मुक्त रखना चाहिए ताकि हमारा तनाव उलझन का रूप ना ले सकें। आज की भागती हुई जिंदगी में व्यक्ति सबकुछ बहुत जल्दी पाना चाहता है जिसकी वजह से वह अधिकांश उलझन का शिकार हो जाता है जिसके कारण वह छोटी -छोटी चीजों को भी लेकर वह उलझनों से ग्रसित बना रहता है और ऐसे हमारे ह्दय की धड़कन बढ़ने लगती है और हमें घबराहट होने लगती है। मानसिक रूप से हम कमजोर होने लगते है जिसका असर हमारी जीवनचर्या और कार्यशैली पर पड़ने लगता है। व्यक्ति को अपनी उलझन दूर करने के लिए सकारात्मक विचार रखने चाहिए ,अपनी दिनचर्या को हमें नियमित रूप से बनाये रखना चाहिए ,योग -साधना और सुबह टहलना चाहिए जिससे हम उलझनों से दूर रह सकें। 


उपसंहार / Epilogue


उलझन एक विकार है जो हमें तन और मन से पूरी तरह बर्बाद कर देती है इससे बचने के लिए हमें अपने विचारों को सकारात्मक वा मन को शांत रखना चाहिए ताकि हमारे अंदर नकारात्मकता प्रवेश ना कर सकें और हम उलझनों से बच सकें क्योंकि उलझनें हमें हर रोज मारती है। उलझनों की वजह से हमारे अपनों से रिश्ते खराब होने लगते है हमारी उलझन का असर हमारे व्यायपार और नौकरी पर भी पड़ने लगता है। जिससे हमारा जीवन बर्बाद हो जाता है जो हमारे हित में बिलकुल नहीं होता है योग और साधना हमारे शरीर और मन को उलझनों से दूर रखतें है। 



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