समाज का विकास कैसे करे / how to develop society
प्रस्तावना / Preface
किसी जाति ,किसी धर्म के लोगो का एकत्रित होना एक समुदाय को जन्म देता है जिसे हम समाज कहते है। समाज को एकजुट करना उसे आगे कि ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करना यही संगठित समाज का कार्य होता है एक संगठित समाज का विकास करना ,उसे योग्य बनाना ,समाज को दिशा देना ,समाज में पनप रही बुराइयों को दूर करना ,अपने समाज के अन्दर अपनी संस्कृति ,सभ्यता और परम्पराओं को जिन्दा रखना आदि चीजे एक समाज के विकास को दिखाती है। समाज एक स्तम्भ है एक व्यवस्था को चलाने के लिए ,समझाने के लिए और उसे आगे बढाने के लिए।
how to develop society |
समाज कि सच्चाई / reality of society
समाज कौन है जो हमेशा दूसरो पे उंगली उठाते है जी हा समाज में हमेशा हम और आप ही होते है चार लोग जब संगठित होते है तब समाज बनता है और जब वही चार लोग किसी पे कीचङ उछालते है। तब वो बेकसूर आदमी पूरे समाज में बदनाम हो जाता है। हमारा समाज हमेशा से हमें परम्पराओ,रीती-रिवाजो के नाम पर लोगो का तिरस्कार करता रहता है और लोगो को बिना किसी कारण जीवन भर सजा मिलती रहती है। लोग समाज को हमेशा अपने फायदे के लिए इस्तमाल करना जानता है क्योकि समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते है जो समाज के लोगो को कीड़े -मकोड़े कि भाति ही देखते है।
समाज में किसी को किसी से कोई लेना देना नहीं होता मगर फिर भी हमे समाज में रहना होता है और इसलिये हमे उस समाज की अच्छी और बुरी बाते सुननी पड़ती है और कभी कभी माननी भी पड़ती है क्योकि हमें इसी समाज में रहना होता है। समाज एक समुदाय की एकता को दर्शाता है। समाज हमारे त्योहारों को और हमारी संस्कृति और सभ्यता को दर्शाता है क्योकि समाज एक आईना होता है किसी भी चीज को समझाने और उसे दिखाने के लिए जो हमारा मार्गदर्शन करता है। हम अगर समाज से हटकर जीवन जीते है तो हम कभी भी अपने आपको समाज में स्थापित नहीं कर सकतें है।
हम इस समाज से हटकर जी नहीं सकते क्योकि हम है तो समाज है हम नहीं तो समाज नहीं। हमारे समाज में लोग कभी भी किसी को अपना नहीं बनाना चाहते क्यों कि हम आज भी जात-पात और धर्मिक गतिविधियों के चलते हम इंशानियत को ध्यान में नहीं रखते है और अपने समाज को हम सबसे अलग और अच्छा बताते रहते है। हम सिर्फ बातें भर करना जानते है क्योकि सच में हम समाज में बदलाव चाहते ही नहीं है और ऐसा इसलिए अगर समाज बदल गया वह विकसित हो गया तो जो समाज के ठेकेदार बने हुए है उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।
हम कभी भी किसी की मदद करना नहीं जानते किसी को अपनाना नहीं जानते क्योकि हमे किसी को अपना बनाने मे डर लगता है क्योकि हमे लगता है की हम सामाजिक स्तर के लोग है और अगर किसी ऎसे इंसान को हमने मदद की जिसका सामाजिक स्तर अच्छा नहीं है और ऐसा करने से लोग हमारा सामाजिक स्तर पे बहिस्कार कर देंगे और इसी डर से हम किसी की मदद नहीं करते और ऐसे समाज की वजह से हमारा सामाजिक स्तर गिरता जा रहा है। हमारे समाज का सामाजिक स्तर गिरने की सबसे बड़ी वजह है। समाज का दो स्तर में बटा होना जहा एक तरफ समाज के बड़े लोगो का होना और एक तरफ छोटे ,गरीब लोगो का होना जो समाज के स्तर को गिराता है।
समाज को दिशाहीन बनाना / directionless society
हमारा समाज आज भी जात -पात और धर्म जिसमे लोग हमेशा फसे रहते है और अपने आपको बड़ा दिखाने कि वजह से दूसरे धर्म और जाति को नीचा दिखाने में लगे रहते है और इसी बजह से समाज का विकास नहीं हो पाता इसी वजह से समाज के निम्न तप्ते के लोगो का कभी विकास नहीं हो पाता वो लोग हमेशा गरीबी के तले दबा और कुचला महशुस करते रहते है। जिस वजह से वह अपने आप को समाज का हिस्सा नहीं बना पाते है। हमारे समाज को चाहिए की सामाजिक स्तर पर सबको बराबर सम्मान मिले। सबको एक समान देखा जाये तभी हमारे समाज में बदलाव सम्भव है
बड़े लोग जो अपने आप को समाज का ठेकेदार मानते है वो हमेशा समाज के नाम पर उन गरीब लोगो पर अत्याचार करते है और हमेशा उन्हें आगे बढ़ने से रोकते है ताकि समाज में उनका दबदबा बना रहे और वो गरीब लोगो को पूरी जिन्दगी उनके आगे दबे रहे जिससे वह बड़े लोग हमेशा के लिये उनके ऊपर राज करते रहे इसी को हम सामाजिक स्तर कहते है और इसी कारण गरीब लोग अपने आपको सामाजिक तौर पर कभी जोड़ नहीं पाते है और समाज का विकास नहीं हो पाता है। जब तक समाज का हर व्यक्ति पढ़ा -लिखा नहीं होगा जब तक सामाजिक स्तर का हर व्यक्ति अपने अस्तित्व को नहीं पहचानेगा तब तक समाज दिशाहीन ही रहेगा।
हम कभी भी समाज से अलग नहीं हो सकते लेकिन हमें अपने समाज में बदलाव लाने की जरूरत है। जिससे लोगो की सोच में परिवर्तन हो सकें और समाजिक लोग इंसानियत को सबसे ऊपर रखें हमेशा इंशानियत के लिए खड़े हो ताकि हमारा समाज एक अच्छा समाज बन सकें हमें अपने रीती-रिवाजो को नहीं छोड़ना है लेकिन उन्हें किसी के ऊपर थोपना भी नहीं है। जिससे एक इंसान को पूरा जीवन घुट-घुट कर ना जीना पड़े। हमें उन लोगो के मन से समाज का विकास नहीं करना जो लोग हमें अपने मतलब के लिए इस्तमाल करते है बल्कि हमें अपने आपको इस लायक बनाना है कि हम खुद से अपना और अपने समाज का अच्छा और बुरा सोच सकें।
उपसंहार / Epilogue
मेरी आप सभी से यही गुजारिस है कि जो हमारी नई पीढ़ी है वो ऐसा सामाजिक स्तर न बनाये जिसमे भेद भाव हो ऊच नीच हो और धार्मिक गतिबिधिया हो ऐसे सामाजिक स्तर का निर्माण ना करे और नहीं ऐसे समाज का हिस्सा बने बल्कि एक ऐसे समाज को जन्म दे जिसमे सिर्फ प्रेम हो अपनापन हो जो दुसरो के लिए जीना सिखाये अपनों का विकास करे जिससे एक विकसित समाज का उदय हो अगर ऐसा हुआ तो हम एक नए राष्ट्र का निर्माण करेंगे।
धन्यबाद
https://hamarizindagi369.blogspot.com/
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