रक्षाबन्धन हम क्यों मनाते है / Why do we celebrate Rakshabandhan
प्रस्तावना / Preface
रक्षाबन्धन एक हिन्दू पौराणिक मान्यताओं का त्यौहार है। जो हमारी संस्कृति का हिस्सा है। रक्षाबन्धन से जुडी कुछ पौराणिक कथाये है। इस त्यौहार का जिक्र हमारे भविष्य पुराण,लक्ष्मी और राजा बलि,द्रौपती और श्री कृष्ण आदि से जुडी हुई कहानियां है जो की हमे रक्षाबंधन जैसे त्यौहार का महत्व बताती है।
रक्षाबन्धन का त्यौहार भाई-बहन के प्यार और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की आरती उतरती है और उनके माथे पर तिलक लगा कर उनकी कलाई पर राखी बांधती है। भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देते और उपहार दे कर उसे सम्मानित करते है। आज के दिन हर घर में एक खुशनुमा माहौल होता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार हमारे जीवन में एक अलग ही महत्व रखता है। यह त्यौहार हमारी प्राचीनतम मान्यताओं और पौराणिक कथाओं से जुडी हुई है। इस लिये इस त्यौहार की मान्यता हिन्दुओ में अधिक होती है। यह त्यौहार की वजह से भाई-वहन के रिश्तो में कड़वाहट खत्म होती है और जीवन में मिठास ,नजदीकी बढ़ जाती है
भविष्य पुराण / Bhavishya Purana
भविष्य पुराण में खा गया है की असुरो के राजा बलि और स्वर्ग के राजा इंद्र के बीच सालो से युद्ध चल रहा था लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल पा रहा था तब राजा इन्द्र की पत्नी सची भगवान विष्णु के पास गयी और उनसे इन्द्र की जीत का वरदान मांगा तब भगवान विष्णु ने रानी सची को एक रक्षा धागा दिया।
भगवान विष्णु ने कहा इसे इन्द्र की कलाई में बांध दो जब रानी सची ने उस धागे को राजा इन्द्र की कलाई में बाधा तब वह राजा बलि से युद्ध जीत गये। इसी लिये जब कोई राजा और उसके सैनिक युद्ध में जाते है तब उनकी पत्नियां उनकी कलाई में रक्षा धागा बांधती है जिससे वह लोग सकुशल युद्ध जीत कर वापस आ जाये।
माता लक्ष्मी और राजा बलि / Mata Lakshmi and King Bali
यह कथा भगवान विष्णु जी के वामन अवतार से जुडी है। जब भगवान विष्णु वामन का अवतार लेकर असुरो के राजा बलि के पास पहुंचे और वरदान में तीन पग जमीन मांगी तो राजा बलि ने है कर दी। फिर विष्णु जी ने अपना एक पैर से धरती और दूसरे पैर से आसमान नाप लिया और कहा मै तीसरा पैर कहा रखूं तब राजा बलि समझ गये कि ये वामन अवतार कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु ही है।
राजा बलि ने उन्हें प्रणाम किया और अपना शीश उनके आगे प्रस्तुत कर दिया। तब वामन रूपी भगवान विष्णु प्रसन्न हो गये और कहा की तुम मुझसे एक वरदान मांग सकते हो। असुरों के राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपने ही द्वार में खड़े रहने का वरदान मांग लिया। इस तरह भगवान विष्णु अपने ही दिये वरदान में फंस गये। इस वजह से माता लक्ष्मी बहुत परेशान हो गयी।
नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को एक परामर्श दिया और माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और असुरों के राजा बलि को अपना भाई बना लिया ततपश्चात राजा बलि ने उपहार मांगने को कहा और तब माता लक्ष्मी ने उपहार स्वरूप भगवान विष्णु को मांग लिया। तब से माता लक्ष्मी असुर राज बलि की बहन बन गयी।
द्रौपती और भगवान कृष्ण / Draupati and Lord Krishna
द्वापर युग में महाभारत ग्रंथ के अनुसार जब भगवान कृष्ण और शिशुपाल का संवाद हो रहा था। तब शिशुपाल ने भगवान कृष्ण का अपमान कर दिया उस अपमान की वजह से भगवान कृष्ण ने शिशुपाल की गर्दन काट दी और उसकी वजह से उनकी तर्जनी ऊगली कट गयी यह देख कर द्रोपती भाग कर भगवान कृष्ण के पास गयी और अपनी साड़ी का पल्लू फाड् कर एक पट्टी बांध दी तब भगवान कृष्ण ने कहा तुमने मुझे कर्जदार बना दिया।
पांडव जब खेल में द्रोपती को हार गए तब कौरवों ने द्रौपती का उपहास उड़ाया और उसका चीरहरण करने के लिए उसे बालों के बल घसीट कर उसे भरे दरबार में लाया गया तब भगवान कृष्ण ने द्रोपती की मदद कर उसकी रक्षा की और एक भाई होने का फर्ज निभाया इसी लिये हम रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते है और अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देते है
उपसंहार / Epilogue
प्राचीनतम कथाओं से यह पता चलता है की रक्षाबन्धन का त्यौहार हमारे लिये कितना महत्व रखता है। इससे हमें यह भी पता चलता है की राखी या फिर रक्षासूत्र बंधवाने के साथ ही उसके बदले में हम द्वारा दिया हुआ या फिर हमसे मांगा हुआ वचन हमारी जन्दगी में क्या मायने रखता है।
इसी लिये बहन अपने भाई को रक्षाबन्धन के दिन राखी बांधती है और एक भाई अपनी बहन को जिंदगी भर उसकी रक्षा का वचन देता है। बहन अपने भाई के लिये उसकी सफलता,लम्बी उम्र की कामना और उसके जीवन बहुत खुशिया हो वह यही कामना करती है। ऐसी भावनाये और ऐसे वचनो से ही रक्षाबन्धम का त्यौहार महत्वपूर्ण बनता है और यही सब चीजें हमारे संस्कारो को मजबूत बनाते है क्योकि यह त्यौहार भाई और बहन के प्यार और स्नेह का बन्धन होता है।
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