जीवन के विकार / disorders of life
प्रस्तावना / Preface
जीवन के विकार किसे कहते है यह भी एक सवाल है क्योकि विकार का मतलब जानते सभी है। मगर मानता कोई नहीं है। जीवन के विकार उन्हें कहते है। जैसे स्वार्थ ,उपद्रवी ,अशन्ति ,लोभ ,माया ,मोह ,दोष ,कुरुरता आदि जीवन के विकार होते है जो एक इंसान के विलक्षणो को दर्शाते है। जब एक इंसान के अन्दर ऐसे लक्षण होते है ऐसे इंसान से धर्म ,मानवता ,त्याग ,सत्य ,भगवान ,प्रेम,आदि सारी चीजों से दुरी बनी रहती है क्योंकि ऐसे लोग हमेशा सिर्फ अपने लिए जीने वाले होते है।ऐसे लोगो का मतलव सिर्फ अपना स्वार्थ ,पैसा ,लोभ ,लालच आदि से होता है ऐसे लोगो के अन्दर दया, प्यार भगवान के प्रति आस्था आदि सिर्फ अपने मतलब के लिए होता है।
जिन लोगों को किसी भी चीज से मतलब नहीं होता है ऐसे लोग अगर भगवान को याद करते है तो सिर्फ अपने स्वार्थ वश अगर किसी की मदद करते है तो अपने लिए ताकि आने वाले समय में अपना मतलब निकाल सकें। मानव भगवान की बनाई हुई सबसे सुन्दर रचना है मगर ऐसे लोग अहंकारी होते है किसी भी शक्ति को नहीं मानते है क्योकि ऐसे लोग हमेशा ऐसे विकारो में फसे रहते है। जिस वजह से ऐसे लोगो के अन्दर इन्शानियत नाम की चीज नहीं होती है लोगो को धोखा देना किसी भी रिश्ते में ईमानदारी नहीं दिखाना हमेशा अहंकार से भरे रहना लोगो को अपमानित करना लोगो के प्रेम और त्याग का मजाक उड़ाना ऐसे लोगो के जीवन के विकार ऐसे होते है।इसी लिए सामाजिक स्तर के लोग ऐसे लोगो का बहिस्कार करते है।
disorders of life |
जीवन का अर्थ / The meaning of life
जीवन का अर्थ है।सादा जीवन उच्य विचार यह कहावत इंसान के विचारो को दर्शाती है जो इंसान इस कहावत को अपने जीवन में उतारता है उसका जीवन सफल हो जाता है क्योकि ऐसे इंसान के अन्दर दया ,करुणा ,त्याग ,प्रेम आदि भावनाये होती है वह इंसान धर्म और परमात्मा के बहुत करीब होता है। जीवन का अर्थ है लोगो के लिए जीना हर उस प्राणी जाति के लिए जीना जो इस पृथ्वी का सदस्य है। इसी लिए जो लोग सादा जीवन जीते है। वह लोग कहि नदियों को बचाने का काम करते है तो वनों की रक्षा के लिए पेड़-पौधे लगाने का काम करते है। क्योकि ऐसे लोगो को अपनी पृथ्वी से प्रेम होता है और चाहते है की इसकी सुन्दरता ऐसे ही बनी हरे ताकि पृथ्वी लोगो का भरण-पोषण करती हरे।
जीवन में सदा जीवन बिताने वाले लोग और ऊंची सोच रखने वाले लोग हमेशा परोपकार करने के लिए पैदा होते है हर चीज को अपना धर्म और अपना कर्म समझ कर करते है। ऐसे लोगो का मोह-माया से कोई मतलब नहीं होता वह सिर्फ अपनी इन्शानियत का परिचय देते है। जब भी कहि आपदा आती है या फिर समाज को जरूरत होती है। ऐसे लोग आपको वहा मौजूद मिलेंगे। हर इंसान जीवन का अर्थ नहीं समझ सकता क्योंकि जीवन का अर्थ समझने के लिए इंसान को त्यागी और परोपकारी बनना पड़ता है जीवन का अर्थ लोगो को ज्ञान प्रदान करना लोगो को अपने धर्म की आस्था के प्रति जागृत करना लोगो के अन्दर प्रेम और सदभावना का प्रचार-प्रसार करना और लोगो का पथ प्रदर्शित करना जिससे लोग जीवन का अर्थ समझ पाये और अच्छे इंसान बन पाये।
आज का मानव इतना स्वार्थी हो गया है जीवन का अर्थ क्या है उसे कोई लेना-देना नहीं है मतलब है तो सिर्फ अपने आप से वह अपने स्वार्थ वश कुछ भी करने को तैयार है। उसे कोई मतलब नहीं है की मेरे ऐसे कदम से पृथ्वी या मानव या फिर अन्य प्राणी जाति को क्या हानि होगी। मानवता आज खत्म होती जा रही है और इसी कारण वश जो अच्छे लोग है उनकी गिनती कम है आज लोग अपने स्वार्थ के लिए अपनों का ही गला काट रहे है। जीवन का अर्थ लोगो को जीवन देना सिखाता है अपने जीवन को कर्म के प्रति जागृत करना सिखाता है। जीवन को आधार मान कर उसके प्रति द्र्णसंकल्प रहना बतलाता है।
जीवन के विकार / disorders of life
1- लोभ / greed:
जब मानव के अन्दर लोभ घर बना लेता है तब मानव अच्छाई के रास्ते को छोड़ कर बुराई के रास्ते पर चल पड़ता है क्योकि लोभ मानव को अपने स्वार्थ की वजह से अन्धा बना देता है। नकारात्मक सोच होने के कारण वह दलदल में धसता जाता है क्योकि वह अपने लोभ को ही अपना जीवन समझता है और लोभ ऐसी चीज है। जो इंसान को कभी अच्छा सोचने नहीं देता है। लोभ हमारे अन्दर पैदा होने वाली बुराइयों का एक कारण है। जो हमारे अन्दर नकारात्मक सोच का संचार करता है।
2 -अहंकार / Ego:
अहंकार व्यक्ति को अभिमानी बना देता है। और वह लोगो का सम्मान करने के बजाय उन्हें अपमानित करने लगते है।ऐसे लोग अपने आपको बड़ा और दुसरो को दबा कुचला हुआ महशुस करने लगते है। जो हमारे सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। जब एक सम्बृद्ध और प्रबल व्यक्ति एक कमजोर पर अत्याचार करता है। ऐसे लोग अपने अहंकार को दिखाते है और समाज के कमजोर लोगो को आगे नहीं बढ़ने देते है।क्योंकि ऐसे लोग समाज में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते है। अहंकार समाज के विकास को रोकने का कारण है।
3- कामवासना / eroticism:
काम और कामवासना में बहुत अन्तर होता है। काम जो एक नये जीवन को जन्म देने के लिए होता है और वासना को शारीरिक भूख कहते है जो हम लोगो को अन्धा बना देती है लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते है। वासना लोगो के अन्दर नकारात्मक सोच को जन्म देती है। जो हमारे समाज की स्त्रियों के लिए खतरनाक है वासना समाज के विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा है और ऐसा इस लिए होता है क्योंकि हमारे समाज में लोग आज भी स्त्रियों की इज्जत नहीं करते है।
4 - मोह / Enchantment:
मोह जो इंसान का जीवन बदल देता है और मोह जो इंसान का जीवन बर्बाद भी कर देता है। जब आप अपनी उन्नति से मोह करते हो तो वह मोह आप के लिए अच्छा होता है लेकिन जब आप किसी ऐसी चीज से मोह करते हो जो आपके जीवन के विकास में बढ़ा बन जाये वह मोह आपके लिए खतरनाक होता है। जैसे हमारे माता-पिता का मोह कभी-कभी हमारे उन्नति में बाधा बन जाता है। किसी भी चीज से ज्यादा मोह हमारे लिए गलत रास्ता तैयार कर देता है।
5 -अशान्ति / unrest:
जब हम अधिक आशावान हो जाते है तब हमारा मन हमेशा अशान्त रहता है। हमे अपने जीवन को सादा बनाना चाहिए ज्यादा इच्छाएं रखने से हम हमेशा अशान्त ही बने रहते है। इस लिए हमे अपने जीवन को शान्तिपूर्ण बनाने के लिए हमे अपने अन्दर ज्ञान और ध्यान का संचार करना चाहिए अपने अन्दर से हमें नकारात्मक सोच को बाहर निकलना होगा। जिससे हमारे अन्दर सकारात्मक सोच का संचार हो और हमे शान्ति प्रदान हो। ये एक मनोवृति होती है जिस वजह से हम परेशान रहते है।
6 -दोष / blame:
दोष जीवन की सबसे बड़ी हानि है क्योकि जब हम समाज के लिए काम करते है और पुरुस्कृत करने की बजाए जब लोग आरोप लगाते है। उसे दोष कहते है। जब एक सामाजिक स्तर और सम्बृद्ध इंसान पर दोष लगता है तो वह व्यक्ति पूरी तरह से आहत हो जाता है क्योंकि वह एक ईमानदार व्यक्ति होता है जो समाज के लिए कार्य करता है। ऐसे व्यक्ति पर लगा हुआ दोष निराधार होता है। लेकिन कभी-कभी लगा हुआ दोष भी व्यक्ति का जीवन बदल देता है। मगर हम यह नहीं कह सकते है की दोष अच्छा होता है या बुरा होता है लेकिन दोष जीवन के विकार का एक हिस्सा है जो व्यक्ति के लिए ठीक नहीं है।
7 - हिंसा / Violence
हिंसा भी एक प्रकार से जीवन का विकार है क्योंकि जब कोई सत्य का मार्ग छोड़ कर हिंसा का रास्ता अखितयार कर लेता है। तो वह मानव जाति के दुश्मन हो जाते है। हिंसा इंसानियत की उन्नति की सबसे बड़ी बाधा होती है। जीवन को बदलने के लिए हिंसा की नहीं बल्कि प्रेम और अच्छे आचरण की आवश्कता होती है।हिंसा उपद्रवी लोगो का काम होता है क्योंकि ऐसे लोगो की समाज में कोई अहमियत नहीं होती है। इस लिए कहते है की हिंसा भी जीवन का एक विकार होता है। अहिंसा परमो धर्मा यह स्लोगन है उनके लिए जो इंसानियत में विश्वास रखते है।
8 - आलस्य / Laziness
हमारे विकार हमें आलसी बनाते है क्योकि हम अपने कर्म से दुरी बना लेते है। जब भी हमसे कोई कुछ करने को कहता है हम कहते है कल कर लगे यह विकारो के कारण वश होता है। आलस्य हमे तब घेरता है जब हम बिना कुछ किये सब कुछ पाना चाहते है। आलसी व्यक्ति को नकारात्मक सोच घेर लेती है जिस कारण वह व्यक्ति कुछ नहीं कर पाता इसी लिए आलस्य का कारण विकार होता है।
विकारो की उत्पति / origin of disorders
जीवन में विकारों की उत्पति तब हुई जब लोगो ने अपने अन्दर स्वार्थ ,मोह ,अशन्ति ,लोभ ,माया ,उपद्रव ,दोष ,कुरुरता आदि को जन्म दिया और उसके ऊपर अमल करने लगे। जब लोगो को लगा की कुरुरता दिखाने से ज्यादा फैयदा होता है तब लोग कुरुरता करने लगे कमजोरो को सताने लगे और उनसे अपना मतलब सिद्ध करने लगे जैसे ही लोभ और माया प्रकट हुए तो लोगों ने लोभ के खातिर लोगों का विश्वास तोड़ने लगे ताकि उन्हें माया मिल सके।
जीवन में विकार बहुत से होते है और यह विकार हमें जीवन में आलस्य से भर देते है। विकार हमे समाज की नजरों में गिरा देते है विकारो के कारण हम कभी भी सकारात्मक व्यक्ति नहीं बन पाते है क्योंकि विकार हमेशा हमें उलझाए रखते है और हमारी सोच को नकारात्मक बना देते है। जैसे मोह की वजह से हम हमेशा उलझे रहते है क्योंकि उस मोह के कारण हमे कुछ भी दिखाई नहीं देता उस मोह की वजह से वह कमजोर और आलस्य से भर जाता है क्योंकि वह उस मोह के कारण लोभी हो जाता है
विकारो के कारण लोग अशान्त होते जा रहे है और जब अशान्ति मन में घर कर लेती है तब लोगो से दूर होने लगते है क्योंकि हमारा अशान्त मन हमें हमेशा बेचैन रखता है। हमारी सोचने समझने की शक्ति खत्म होने लगती है और हम कुरुरता को जन्म देने लगते है बिना किसी कारण वश हम लोगो को दोषी बना देते है और यह हमारे विकारो के कारण होता है। इस लिए हमें अपने विकारों पर काबू रखना चाहिए जिससे हमसे किसी का अहित ना हो और लोग हमसे दूरी ना बनाये।
विकारो से दूरी / distance from troubles
विकार हमारे उन्नति के सबसे बड़े अरोधक है क्योकि विकार हमे आगे बढ़ने से रोकते है। विकार हमारे दृढ़ संकल्प में बाधा बनते है। विकारो के कारण हमे समाज का तिरस्कार को झेलना पड़ता है। विकारो से अपने आपको बचाने के लिए हमे अपने अन्दर से नकारात्मक सोच को निकलना होगा क्योकि नकारात्मक सोच ही हमारे अन्दर विकारों को जन्म देते है। सब जानते है की विकारो की वजह से हमारे अन्दर लोभ ,मोह ,दोष ,माया ,कुरुरता जैसी भावनाएं पैदा होती रहती है। हमे इनसे दूरी बनानी होगी।
विकारो से बचने के लिए हमे अपने अन्दर सकारात्मक सोच का विस्तार करना होगा। हमे अपने जीवन को सादा बनाना होगा अपने विचारो को उच्य बनाने होंगे अपने अन्दर से लोभ ,माया ,कुरुरता आदि चीजों को अपने मन से बाहर निकलना होगा। हमे ज्ञान-ध्यान अध्यात्म में मन लगाना होगा अपने आस-पास के वातावरण शुद्ध और संगीत मय करना होगा जीवन में अपने आपको सकारात्मक सोच के समाज में स्थापित करना होगा। हमे अपनी मनोवृति को दुनिया की चमक-धमक से दूर रखना होगा। हमे एक पृष्टभूमि तैयार करना होगा जिससे नकारात्मक सोच को हमारे अन्दर आने का रास्ता ना मिल सकें।
उपसंहार / Epilogue
जीवन के विकार हमारी एक मनोवृति का हिस्सा होता है जो हमारी सोच को नकारात्मक बनाता है जो सबसे ज्यादा हमारी दिनचर्या को प्रभावित करता है जिससे हमारी मनोवृति की बेचैनी बढ़ जाती है। जीवन के विकार हमारे सामाजिक स्तर को प्रभावित करते है जिससे हमारा सामाजिक तौर पर बहिष्कार होता है हमारा मस्तिष्क लोभी और उपद्रवी हो जाता है और लोगो से तनाव महशुस करने लगता है। जब हम एक सकारात्मक सोच की तरफ बढ़ने की कोशिश करते है तब वह हमे प्रभावित करता है। जिस कारण हम अपने लक्ष्य की तरफ नहीं बढ़ पाते है। सादा जीवन उच्य विचार को अपने जीवन में उतारे और विकारो से दूर रहे जिससे आपका जीवन सुख मय होगा और आप अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अग्रशर होंगे और जीवन में एक मुकाम हासिल करेंगे।
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