प्रवास व्यक्ति को बेघर बना देता है / migration makes a person homeless
प्रस्तावना / Preface
प्रवास मतलब पलायन जो देश -दुनिया के गरीबों को रोजी -रोटी की तलाश में बेघर होने पर मजबूर कर देता है। गरीबी बहुत बुरी चीज है जो व्यक्ति के जीवन में जहर की तरह घुलकर अभिशाप बन जाती है। भारत एक बहुत बड़ी आबादी वाला देश है जहाँपर गरीबों की सख्या सबसे अधिक है। जिसको खत्म कर पाना बहुत आसान नहीं है देश की सरकारों के लिए लेकिन व्यक्ति गरीब हो या फिर अमीर हो भूख -प्यास तो सभी को लगती है जिस कारण देश के गरीबों को अपना गांव घर छोड़कर उसे बड़े शहरों के लिए पलायन करना पड़ता है क्योंकि उसके अपने क्षेत्र में करने के लिए कुछ नहीं होता है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है की देश बड़ी -बड़ी कंपनियां भी है जिस वजह से घरेलू उद्दोग पूरी तरह से खत्म हो चुके है। गांव ,कस्बों और छोटे शहरों में ज्यादा काम ना होने के कारण लोगों को पलायन करना पड़ता है और कभी -कभी लोगों का डर उन्हें स्थानांतरण करने पर मजबूर कर देता है।
पलायन के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है / People are facing trouble due to migration
पलायन करना किसी भी गरीब व्यक्ति के लिए बहुत कठिन होता है क्योंकि पलायन व्यक्ति को बेघर बना देता है। गरीब व्यक्ति के पास अपनी जगह पर कोई काम ना होने की वजह से उसे बड़े -बड़े शहरों की तरफ अपना रुख करना पड़ता है जो कि बहुत कठिनाई भरा होता है क्योंकि वहांपर उसे फुटपाथ में और झुग्गी -झोपडी में अपने परिवार के साथ जीवन जीना पड़ता है। हम लोग जब किसी बड़े शहर में जाते है तो हम देखते है कि गरीब लोग रेलवे पटरियों के किनारे पर बसे होते है ,तो कहि हाईवे के किनारे पर शहरों की गलियों पर तो कहि ओवरब्रिज के नीचे बसे होते है क्योंकि गरीबी की वजह से वह अपने परिवार को एक अच्छी जिंदगी नहीं दे पाता है। हम लोग अक्सर देखतें है कि जब भी कहि सूखा ,बाढ़ ,भूकंप और महामारी आदि चीजें होती है। तब लोग वहा से पलायन करने पर मजबूर हो जाते है।
पलायन की एक तस्वीर ऐसी भी होती है। जिसकी वजह से गरीब बच्चों का भविष्य खराब हो जाता है क्योंकि पलायन के कारण वो बेघर हो जाते है जिस वजह से ना तो वह पढ़ाई -लिखाई कर पाते है और ना तो उन लोगों को अपने अंदर छिपे हुए हुनर को निखारने का मौका मिल पाता है क्योंकि भूख और गरीबी व्यक्ति के सपनों में पानी फेर देती है। अगर हम सीधी भाषा में कह तो उजड़ा हुआ आशियाना और खाली पेट उनसे सबकुछ छीन लेता है। हम देखतें है कि छोटे -छोटे बच्चें चाय की दुकान ,मोटर साइकिल के गैरज ,कंपनियों में ,लोगों के घरों आदि जगहों पर काम करते है जिसके कारण उनका पूरा भविष्य गुमनामी के अधेरों में खो जाता है। हम अगर देखें तो देश में गरीबी होने का सबसे बड़ा कारण जनसख्या अधिक होना है जो बढ़ती ही जा रही है जिस वजह से व्यक्ति की आमदनी घटती जा रही है जिस कारण गरीबी का स्तर बढ़ता जा रहा है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन ग्रामीण क्षत्रों में कृषि भूमि में कमी होने से और प्राकृतिक मार पड़ने से गांव के लोगों को अपना घर छोड़कर शहरों का रुख करना पड़ता है क्योंकि कृषि में कमी होना मूलभूत सुविधाओं का ना मिलना और जाति तिरस्कार होना व्यक्ति को पलायन करने पर मजबूर कर देता है। पलायन व्यक्ति को बेघर करने के साथ -साथ उनसे उनके अपनों का साथ भी छीन लेता है ,पलायन लोगों से उनकी मिटटी की खुशबू को उनसे छीन लेता है जहां वह जन्म लेते है ,गरीबों पर होने वाले अत्याचार और उनसे छीना जाने वाला उनका हक उन्हें पलायन करने पर मजबूर कर देता जिससे उनकी आजादी और उनके बच्चों का बचपना भी छिन जाता है। पलायन करके बड़े शहरों में पहुंचने वाले लोगों को कोई बहुत अच्छे काम करने को नहीं मिलते है लेकिन भूख व्यक्ति को सबकुछ करने पर मजबूर कर देती है
प्रवासियों के लिए काम कर रही संस्था / organization working for migrants
छोटे शहरों और गॉव कस्बों से जाने वाले प्रवासियों लोगों के लिए बड़े शहरों में बहुत सी संस्थाए काम करती है। वह लोग उन्हें काम दिलाने से लेकर उनके बच्चों को पढ़ाने तक का काम करती है जो प्रवासियों के लिए काफी सुविधाजनक होता है क्योंकि प्रवासियों के पास इतनी कमाई नहीं होती है। जिससे वह लोग अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा -लिखा सकें। बड़े शहरों में बड़ी -बड़ी कम्पनिया होती है जो संस्थाओं को पैसा देती है जिससे बाहर से आने वाले प्रवासियों और गरीबों की मदद हो सकें। संस्थाएं गरीब लोगों को रोजगार दिलाने का काम भी करती है जिससे वह लोग अपनो का भरण -पोषण कर सकें। हम सभी जानते है कि हमारे देश में बहुत गरीबी है जो दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है जिससे बेरोजगारी भी बढ़ रही है जो हमारे देश और हमारे लिए बहुत घातक है इस लिए हमें इसके लिए काम करना होगा और इसका समाधान जनसंख्या को नियंत्रण करना है।
प्रवासियों और गरीबों के लिए काम करने वाली सरकारी संस्थाएँ उन लोगों के लिए स्वाश्थ ,शिक्षा ,आवास और रोजगार आदि के लिए काम करती है जिससे उन्हें काफी सुविधाजनक जीवन प्राप्त होता है लेकिन जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक होने और भ्रस्टाचार की वजह से सरकार के द्वारा जारी होने वाली योजनाये हर व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाती है जिसके कारण गरीबी खत्म होने की जगह बढ़ती जा रही है। पलायन देश में तभी खत्म होगा जब लोगों उन्ही की जगह पर रोजगार उपलब्ध होगा जैसे सरकार की मनरेगा जो लोगों को गांव -गांव में रोजगार उपलब्ध करवाती है लेकिन उसमे भी अब बजट की कभी हो रही है जिस वजह से अब मनरेगा में भी रोजगार मिलना मुश्किल होता जा रहा है। इसके आलावा भी कई सरकारी योजनाएं चलती है लेकिन योजनाए भ्रस्टाचार के कारण पूरी तरह से जमीनी स्तर पर काम नहीं कर पाती है।
सरकारी संस्थाओं के साथ निजी संस्थाएं भी पलायन करने वाले व्यक्तियों के लिए काम करती है लेकिन व्यक्ति सिर्फ उसी जगह से भर पलायन नहीं करता जहाँ वह जन्म लेता है बल्कि इंसान को कभी -कभी इंसान को वहां से भी पलायन करना पड़ता है जहाँपर वह रोजगार की तलाश में जाता है लेकिन जब आपदा आती है तो इंसान को उस जगह से भी भागना पड़ता है और उसका सबसे बड़ा उदाहरण करोना है जब लोग अपनी जान बचाने के लिए सब लोग भाग रहें थे लेकिन उस समय सरकार और निजी संस्था लोगों की मदद के लिए काम कर रहें थे। लोगों को खाना ,कपड़ा ,दवाइयां और उनको घर तक पहुंचाने के लिए वाहनों का इंतजाम किया था लेकिन फिर भी मदद पूरी तरह से हर व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाई थी और इस लिए उस समय लाखों लोग पैदल चल रहें थे जिसके कारण हमे बहुत से एक्सीडेंट देखनें को मिले थे।
उपसंहार / Epilogue
गरीबी एक बीमारी की तरह है जो एक बार शरीर में घुस जाती है तो निकलने का नाम नहीं लेती है। व्यक्ति उस बीमारी का इलाज तो करा लेते है मगर अपनी मानसिक विचारों का इलाज नहीं कर पाते है जिस वजह से हमारे देश की गरीबी बढ़ती जा रही है। तभी तो हम देखतें है कि कोई धर्म के नाम पर आबादी बढ़ा रहा है और कोई जाति -समुदाय के नाम पर लेकिन कोई भी व्यक्ति यह नहीं विचार करता की इसके दुष्परिणाम क्या होंगे। पलायन के कारण होने वाली परेशानियां इंसान को अंदर ही अंदर कमजोर बना देती है जिससे उनके बच्चों का जीवन अंधकारमय हो जाता है। गरीबी खत्म करने के लिए हमें स्वयं से काम करना होगा क्योंकि इसके लिए हम खुद जिम्मेदार है। एक गरीब व्यक्ति के लिए अपना गॉव -कस्बा को छोड़कर जाना आसान नहीं होता है लेकिन बेरोजगारी से परेशान होकर उसे जाना पड़ता है छोड़ता है।
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