आलोचना किसी व्यक्ति को सुधारने का सबसे अच्छा अवसर है / Criticism is the best opportunity to improve a person
प्रस्तावना / Preface
आलोचना हमारे समाज के लिए एक ऐसी तस्वीर है जो समाज में सुधार करने में एक अहम भूमिका निभाती है। आलोचना करना हर व्यक्ति की मनोवृति होती है। जो समाज में बदलाव करने के लिए आवश्यक होती है क्योंकि जो व्यक्ति किसी भी चीज से अपने में सुधार नहीं लाता उसके अंदर आलोचना से सुधार लाता है क्योंकि आलोचना व्यक्ति को अपने अंदर छिपे हुए गुणों को पहचानने के लिए मजबूर कर देती है। आलोचना करना हर इंसान की मनोवृति होती है लेकिन आलोचना समाज सुधार की होनी चाहिए और जो व्यक्ति किसी का मजाक उड़ाने हेतु आलोचना करते है। वह लोग आलोचक नहीं बल्कि हीनभावना से ग्रसित होते है। दुनिया में ऐसे कितने उदाहरण है जिन व्यक्तियों की कभी लोग आलोचना करते थे और वह लोग आज शीर्ष स्तर तक पहुंच चुके है। इसलिए हमें टिप्पणी करनी चाहिए लेकिन ऐसी जो किसी का जीवन बदल दे।
आलोचना व्यक्ति का जीवन निखारती है / Criticism refines a person's life
आलोचना समाज के स्तम्भ को मजबूत करती है क्योंकि हम लोग सामाजिक स्तर को सुधारने के लिए आलोचक बनते है। इसलिए वह हर तरह से सराहनीय होता है। आलोचना किसी वस्तु ,विषय ,गुण -अवगुण ,किरदार या फिर किसी भी प्रकार के लक्षणों को व्यक्त करने को कहते है। जब हम किसी के व्यावहार और उसके देखने के नजरिये को महसूस करते है। उस आधार पर हम उसकी आलोचना कर उसका अपमान करते है क्योंकि अहंकार को खत्म करने की आवश्यकता होती है क्योंकि आलोचना हमारे जमीर को झंझोरती है और हमारी राह को तय करती है और आलोचना होने से व्यक्ति अपने आप में बदलाव लाता है। जिससे उसका भविष्य निखरता है लेकिन कभी -कभी हम ऐसी आलोचना करते है जिस वजह से व्यक्ति पागलपन का भी शिकार हो जाता है क्योंकि हम लोग आलोचना का अर्थ समझ नहीं पाते है।
जब हम लोग किसी चीज के प्रति अपने विचारों को लेखन के रूप में प्रदर्शित करते है और जब लोग उस लेख को पड़ते है तो उसपर वह अपनी प्रतिक्रिया देते है। कुछ लोग हमारी प्रशंसा करते है तो कुछ लोग आलोचना और उस प्रतिक्रिया से हम अपने लेख में और सुधार करते है जिससे हमारे लेखन में निखार आता है। हम जो भी काम करते है उस क्षेत्र में हमेशा लोगों से विरोधाभास होता है और उस वजह से हमारी आलोचना होती है लेकिन आलोचना के डर से हमें भागना नहीं चाहिए बल्कि हमें दुगनी ताकत से अपने आपको निखारना चाहिए ताकि आलोचना प्रशंसा में बदल जाए। हम एक आसान भाषा में समझें तो आलोचना को हमें अपना हथियार बना लेना चाहिए जिससे हमारा भविष्य बदल जाए। हमारे आलोचक तो जीवन बहुत होते है लेकिन हमारा सच्चा आलोचक वह होता है जिसके शब्द हमारी अंतरात्मा में उत्तर जाए। जिससे हमारा जीवन एक नए मोड़ पर चल पड़ें।
राजनीति में आलोचना / criticism in politics
आलोचना का सबसे बड़ा क्षेत्र किसी भी देश की राजनीति होती है और जिस देश में जात -पात और धर्म की राजनीति हो वहा पर तो आलोचना का भण्डार होता है। जैसे हमारा देश जिसकी राजनीति बिना धर्म और जात -पात के नहीं होती है। कोई भी राजनीति दल हो जब भी चुनाव होते है। सारे दल एक -दूसरे के ऊपर आलोचना की बौछार कर देते है। कोई जातिवाद में अपनी राजनीति दृढ़ता है तो कोई धर्मो में वैसे तो नेता लोगों से बहुत सारे वादे करते है और बेरोजगारी ,शिक्षा ,चिकित्सा ,महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बात करते है लेकिन बाद में पूरा चुनाव जातिवाद और धर्म पर आ जाता है ताकि चुनाव जीतने में मदद मिल सकें और चुनाव जीतने के बाद लोग नेताओं की कभी शक्ल तक नहीं देख पाते है विकास तो बहुत दूर की बात होती है जबकि एक नेता समाज सेवक होता है जो देश और देश के लोगों को तरक्की के रास्ते पर ले जाने का काम करता है।
आलोचना करना सही है लेकिन आलोचना कभी किसी इंसान पर व्यक्तिगत नहीं होनी चाहिए लेकिन अब राजनीति का स्तर बदल दिया है तभी तो लोग राजनीति करते -करते व्यक्तिगत हो जाते है क्योंकि आलोचना अपने आपको सुधारने के लिए होती है ना की किसी से बदला लेने की लेकिन आज बदले की राजनीति होती है जो कहि ना कहि हमारे संविधान के स्तर को गिरा रही है। नेताओं को हमेशा संविधान के आधार पर आलोचना करती चाहिए ताकि हमारे देश का शिष्टाचार बना रहें। आज समाज को शिक्षित करने की आलोचना होनी चाहिए जिससे हमारे देश का भविष्य इस देश की रक्षा ,प्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए सक्षम बन सकें ,चिकित्सा की आलोचना होनी चाहिए ताकि देश में बीमारी से लोग दम ना तोड़े ,नेता को बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए आलोचना करनी चाहिए
समाज को बेहतर बनाने के लिए आलोचना करें / Criticize to improve society
समाज में हर प्रकार के व्यक्ति होते है कोई नौकरी करता है ,कोई व्यापार करता है ,कोई शासकीय काम करता है और कोई समाज उत्थान के लिए कार्य करता है। इन सभी की यह जिम्मेदारी होती है कि समाज में होने वाली हर आलोचना को गंभीरता से ले ताकि उस आलोचना से समाज में सुधार किये जा सकें। जब किसी भी सरकारी दफ्तर या प्राइवेट कम्पनी का साहब आपकी आलोचना करता है तो आलोचना आपके जीवन में एक बदलाव लाती है जो हमारे समाज में भी असर डालती है क्योंकि साहब की आलोचना हमें भविष्य के लिए तैयार करने की होती है क्योंकि साहब को वह औदा आलोचनाओं का सामना करने के बाद मिला होता है। जिस प्रकार सोना बनाने के लिए कुंदन को तपाना पड़ता है। उसी प्रकार एक व्यक्ति को जिम्मेदार बनने के लिए उसको आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।
अगर हम देखें तो अपनी आलोचना किसी भी व्यक्ति को अच्छी नहीं लगती है क्योंकि हर व्यक्ति अपने आपको सही समझता है लेकिन जो समझदार लोग होते है वह आलोचना का अर्थ समझते है और इसलिए वह व्यक्ति आलोचना को दिल से लेते है क्योंकि वह जानते है कि आलोचना व्यक्ति मार्ग तलाशने में मदद करती है और जो व्यक्ति आलोचना से अपने आपको निखारता है वह एक दिन उस मंजिल को पा लेता है जहा हर व्यक्ति नहीं पहुंच पाता है लेकिन आलोचना मर्यादित और गंभीरता से भरी हुई होनी चाहिए ताकि सामने वाले के दिल में उतर सकें। आलोचना समाज में एक आईने की तरह होती है क्योंकि वह समाज की तस्वीर बदलती है और आलोचना वही प्रारम्भ है। जो समाज को एकजुटा का संदेश देता है जिससे एक समाज अपनी संस्कृति ,परम्परा और सभ्यता के साथ अपनी पहचान बनाता है।
उपसंहार / Epilogue
आलोचना दोषों ,गुण -अवगुण ,सामाजिक ,देश व्यवस्था ,किसी भी तरह के लक्षणों को व्यक्त करने के लिए हम आलोचना करते है लेकिन आलोचना तभी असरदार होती है जब लोग किसी चीज के बदलाव के लिए ,किसी चीज में असर डालने के लिए और जब लोग सफल करवाने के लिए मर्यादा में रहकर गंभीरता से व्यक्ति या किसी चीज की आलोचना करते है तो वह आलोचना विकास के लिए होती है और जो लोग मजाक उड़ाते है वह आलोचना नहीं बल्कि तिरस्कार और अपमान करना होता है जिसे आलोचना नहीं कहा जा सकता है क्योंकि वह किसी को नीचा दिखाने के लिए है इसलिए आलोचना को समझें और उसपर अपनी पारदर्शिता लाने की कोशिश करें। जो आपका जीवन या भविष्य को बदल दे और किसी भी चीज को उसके मूल स्वरूप में ले आए।
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