शनिवार, 2 अप्रैल 2022

आस्था / Faith

आस्था एक भाव है अपनी जिन्दगी को नेक रास्ते में चलाने के लिए / Faith is a feeling to lead your life on the right path


प्रस्तावना / Preface


हमारी आस्था हमारी सभ्यता ,संस्कृति और परम्पराओ की वजह से हमारे अन्दर आस्था का संचार होता है और हम उन लोगो के प्रति समर्पित होते है। हमारे पूर्वज ही हमारे लिये आस्था का केन्द्र है क्योकि जन्म देने वाला ही भगवान होता है आस्था हमें मानवता सिखाती है। आस्था की वजह से हम अपने सामाजिक स्तर का विकास करते है। आस्था हमारे अन्दर धर्म के उत्थान की भावनाओ को उत्पन करती है। जिससे लोगो में इंसानियत के प्रति प्रचार-प्रसार कर सकें। आस्था हमे लोगो के प्रति मददगार बनना सिखाती है। अपने समाज और परम्पराओ को ले कर चलना सिखाती है। आस्था एक मनोवृत्ति है। 






मानवता दुनिया में सबसे बड़ा धर्म है / Humanity is the biggest religion in the world


मानवता सबसे बड़ा धर्म है क्योकि धर्म लोगो को जोड़ना सिखाता है और प्राणी जाति की रक्षा करना हमे हमेशा आस्थावान होना चाहिये हर धर्म के लोग मन्दिर ,मस्जिद ,चर्ज ,गुरुद्वारा आदि का निर्माण कराते है ताकि लोग अपनी आस्था को हमेशा बनाये रखे और धर्म का प्रचार करे ताकि लोगो के अंदर इंसानियत बनी रहे। सामाजिक दृष्टिकोण से देखे तो आस्था हमारी संस्कृति ,सभ्यता ,परम्पराओ।रीति -रिवाजों और हमारे त्योहारों से मिल कर उत्पन होती है। जिसको लेकर चलना हम इंसानो  की जिम्मेदारी और कर्तव्य है। 


आस्था मानवता का सबसे बड़ा उदाहरण आस्था से मानव शान्त - सरल और भावनात्मक होते है लोग अपने समाज में आस्था का प्रचार-प्रसार भी करते है ताकि लोगो के अंदर आस्था बनी रहे। लोग मानव धर्म का पालन करते रहे लेकिन आज लोग उग्र होते जा रहे है क्योकि लोग मानव धर्म को भूलते जा रहे है। इसका सबसे बड़ा कारण है हमारे अन्दर संस्कारो में कमी आना और उनसे दूरी होना। आज धार्मिक स्थलों में भी लोग आस्था के नाम पर पैसो को महत्व देते है। 


हमारे जीवन में आस्था का बहुत महत्व है। आस्था का अर्थ जो हमारी आत्मा में निहित है और जिसके साथ हम अपना पूरा जीवन बिताते हैं, विश्वास के बिना हम खुद को आत्मा के बिना महसूस करते हैं इसलिए हमारे देश में लोग विश्वास को बहुत महत्व देते हैं क्योंकि विश्वास है तो आस्था हमेशा जिन्दा रहेगी। आस्था से रोगो में कमी आती है और लोगोi की आयु में बढ़ोतरी होती है। ईश्वर के प्रति आस्था सकारात्मक संचार का प्रवाह करती है। 


क्योंकि ईश्वर हमारी आस्था में है हमारी हर सुबह भगवान की आस्था और नाम पर उनकी पूजा करने से शुरू होती है और रात उनके नाम पर होती है, भारत में भगवान हमारे मित्र की तरह माने जाते है। जो कभी भी अपने भक्तो को निराश नहीं करते है। भगवान के साथ हमारा रिश्ता पिता और पुत्र जैसा होता है। यहां भगवान के नाम पर लोगों को डराया नहीं जाता है। जप-तप ,योग ,साधना ,दिनचर्या ,अराधना आदि आस्था के मूल कारक माने जाते है। 


भगवान के प्रति प्रेम और आस्था / love and faith in god


हमे भगवान को अपना बनाना सिखाया जाता है। हमें उनसे प्यार करना सिखाया जाता है। जिससे हमारी आस्था सदैव बनी रहे। हमारे धर्म में हमे 33 करोड़ देवी-देवताओ और भगवान के बारे में बताया गया है जो समूची दुनिया को सुचारु रूप से चलाने का काम करते है जो लोगों के बीच सत्य और सद्भावना की रक्षा करने का काम करते है। जो लोगो के अन्दर विश्वास और आस्था को प्रवाहित करने का काम करते है।


जो लोगों में विश्वास जगाता है और लोगों में सही रास्ते पर चलने के लिए विश्वास पैदा करता है ताकि लोग पाप और सजा के बीच अंतर कर सकें और खुद को और अपने प्रियजनों को सही दिशा दिखा सकें ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी के अन्दर  से भगवान पर विश्वास और आस्था बनी रहे। भगवान की अनुभूति हमारे लिए कल्याण का कारण होती है। हमारे जीवन में बहुत से ऐसे उदाहरण है जो आस्था ,चरित्र ,निति ,भक्ति ,अध्यात्म ,शक्ति, और भाव आपकी आस्था को प्रकट करती है। 


अगर आज हम देखे तो आस्था का पतन बहुत तेजी से हो रहा है  क्योकि लोग आज वैज्ञानिक अनुसंधानों को मानने लगे है जिसकी वजह से लोगो के अन्दर आस्था को लेकर कमी हो रही है। आज बहुत से लोगो कहते है की भगवान तो होता ही नहीं है ऐसे लोग आज प्रकृति के विनाश के कारण बन रहे है। ऐसे लोगो का मानना है की ऐसी कोई शक्ति नहीं होती जो इस दुनिया को चलाती है। जो लोग नास्तिक होते है उन्ही लोगो के अन्दर ना तो भक्ति होती है और ना ही परमात्मा के प्रति कोई सम्मान होता है। 


प्रकृति द्वारा निर्मित चीजों का तेजी से पतन हो रहा है / Things created by nature are deteriorating rapidly


आज लोग अपने विकास के लिये भगवान के द्वारा निर्मित चीजों का नाश कर रहे है और खुद को विनाश की तरफ लेकर जा रहे है। आज धरती पर भगवान के प्रति आस्था ना रखने वालो की तादाद बढ़ती जा रही है। जिस वजह से धरती में पतन का कारण बढ़ता जा रहा है। मानव में घटती हुई आस्था लोगो को नास्तिक बना रही है। आस्था से अलग चलने वाले लोग भगवान की बनाई हुई धरती का विनाश कर रहे है आज हमे जरूरत है की हम लोगो को धर्म और आस्था का मतलव समझने की कोशिश कर सकें और समाज में ऐसे लोगो का तिरस्कार करने के बजाय हमे उनकी सोच को सकारात्मक बनाने की कोशिश करना चाहिए। 


अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए और अपने आपको आधुनिकरण करने के लिए लोग आस्था को दरकिनार करते जा रहे है जिसकी वजह से आज पेड़ -पौधे ,नदियां ,पहाड़ सब खत्म होते जा रहे है। हमारे विद्वानों द्वारा पत्थरो पर निर्मित कि गयी शिल्प कलाये ,हमारे ऋषि -मुनियों द्वारा निर्मित कि गयी अद्धभुत कलाये और सभ्यताएं जिनका आज मानव सिर्फ अपने फायदे के लिए विनाश कर रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योकि मानव के अन्दर से भगवान के प्रति आस्था खत्म होती जा रही है और इसी लिए लोग उन सभ्यताओं को महत्व नहीं दे रहा है जो हमें परमात्मा से जुड़े रहने का संदेश देती है। यही चीज हमारी और हमारी पृथ्वी के विनाश का कारण बन रही है। 


उपसंहार / Epilogue


आस्था प्रेम और सदभाव का संचार करती है जो हमे मानवता का ज्ञान देती है लेकिन हम अपने फायदे के लिए इससे दुरी बना रहे है जो हमारे जीवन के पतन का सबसे बड़ा कारण है। हम आज विनाश कि तरफ चल चुके है क्योकि हम अपने जीवन का मूल आधार भूल चुके है और हमारे विचार नकारात्मक हो चुके है जिस वजह से हमारे अन्दर से परमात्मा के प्रति आस्था खत्म होती जा रही है। हमारी गलतियों कि वजह से प्रकृति द्वारा मिले संसाधन बर्बाद हो रहे है जिसका असर हमारे मौसम पर पड़ रहा है। अगर हमे अपने जीवन को और अपनी प्राकृतिक संसाधनों को बर्बादी से बचाना है तो हमें अपने आपको आस्था के प्रति अग्रसर करना होगा।



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