हमारा प्यारा भारत /our lovely india
प्रस्तावना
हिन्दुस्तान एक ऐसा देश जो अपने अन्दर हजारो भाषा वेष -भूषा, संस्कृति सभ्यता ,कला कृतियाँ,योग,आयुर्वेद अत्याधुनिक तकनीक आदि और भि बहुत सी चीजों का जन्म सिर्फ और सिर्फ हिन्दुस्तान में ही हुआं हैं हमने उस देश में जन्म लिया है।इसी लिये हमे वैदिक काल या फिर सनातन धर्म का कहा जाता है जिसका ना आदि है ना अंत है हिन्दुस्तान कि मुख्य पहचान हिंदी ,हिन्दू ,हिन्दुस्तान से है।
our lovely india |
जिस देश बड़े-बड़े साधु सन्तो ने जन्म लिया और इस धरती और ब्रम्हांड की रक्षा और सुरक्षा के लिये बहुत सी महान खोजे कि है जिनकी वजह समूचे ब्रम्हांड का भला हुआं है।हिन्दुस्तान जिसे हम ३३ करोड़ देवी-देवताओं का देश कहते है। इसी लिये हम आज भि कन्यायो को देवि स्वरूप मानते है और इसी लिये हमारे त्योहारों में उनकी पूजा होती है।
हिन्दुस्तान अद्भुत,अतुल्य और परिकल्पनाओं से भरा हुआ देश है हमे गर्व होता है की हम हिन्दुस्तानी है एक ऐसा देश जहाँ गंगा,यमुना जैसी नदियों का उत्गम होता है.जहाँ रामायण,महाभारत जैसे ग्रंथ लिखे गये जहाँ पर भगवत गीता के रूप में भगवान कृष्ण ने लोगो को जीवन जीने का संदेश दिया था.
भेष-भूषा
हिंदुस्तान में हर जगह की अपनी भेष-भूषा होती है अपनी सभ्यता और अपनी भाषा होती है लोग अपनी-अपनी सभ्यता के साथ जीते है और अपने समाज को आगे बढ़ाते है.लोग अपनी बोली को अहमियत देते है इसी लिये कहते है।
भलाई हमारे देश तरह-तरह के लोग हो अलग-अलग भाषा हो सब कि अपनी संस्कृति हो या फिर अपनी-अपनी सभ्यता हो लेकिन हिदुस्तान हमेशा एक हो कर साथ चलते है और एक साथ रहते है।
योग साधना
हिंदुस्तान एक योग-साधना वाला देश है जहाँ लोग अपने आप को स्वस्थ रखने के लिये लोग योग-साधना करते है ताकि हम शारीरिक और मानशिक रूप से स्वस्थ रहे सके और अपनी संस्कृति को बढ़ावा दे सके और यही कारण है की हमने पुरे विश्व को योग और साधना सिखाया है
इसी वजह से लोग हिन्दुस्तान को विश्व गुरु कहते है। योग-साधना में इतनी ताकत होती है कि आप इसके जरिये से हर तरह का ज्ञान प्राप्त कर सकते है योग हमारे जीवन का मूल आधार है और साधना ज्ञान प्राप्त करने का मूल मन्त्र है साधना हम परम्ब्रहम से हमारा मिलन कराती है।
आयुर्वेद
हिंदुस्तान को आयुर्वेद का जन्मदाता कहते है जहाँ पर ऐसी-ऐसी जड़ी-बूटियां पैदा होती थी कि एक मरे हुये व्यक्ति को खिला दी जाये तो उसमे भी जान आ जाती थी कहते है कि जैसी प्लास्टिक सर्जरी महाभारत काल में होती थी वैसी प्लास्टिक सर्जरी आज भि दुनिया में कहि नहीं होती है
इसी लिये लोग कहते है कि हिन्दुस्तान के पास आयुर्वेद का खजाना था लेकिन हम अपनी धरोहर सयों कर नहीं रख पाये लोगो ने हमारी आयुर्वेद से सीख कर आज वो हमसे आगे निकल गये और हम अपनी धरोहर को ही बचा कर नहीं रख पाये।
आयुर्वेद हमारी एक सबसे बड़ी खोज थी महा महर्षि बाग्भट जी ने जिन्होंने आर्युवेद पर पूरा ग्रन्थ लिखा था ताकि जिससे लोग इसका ज्ञान प्राप्त करके समाज और देश-दुनिया कि सेवा कर सके ताकि लोग स्वस्थ रहे सके ताकि धरती में रहने वाले प्राणी सुरक्षित रहे।
भाषा
हिन्दुस्तान में बोली भलाई अलग-अलग हो मगर हमारी भाषा एक है जोकि पूरे हिन्दुस्तान में बोली जाती है हिन्दी हमारी मात्र भाषा है हमारी मात्र भाषा में जो मिठास है जो अपना पन है वो दुनिया की किसी भाषा में नहीं है हिन्दी भाषा को हम देव नगरीय भाषा भि कहते है इसका मतलब यह है देवताओ के नगर में बोली जाने वाली भाषा।
हम किसी भी भाषा का विरोध नहीं करते लेकिन हम हिन्दी भाषा का ही समर्थन करते क्योकि वह हमारी जड़ो में है आज लोग अंग्रेजी के पीछे भाग रहे है एक ऐसी भाषा जो हमारे जीवन में कहि से मेल नहीं खाती है जिसमे ना कोई अपना पन है और ना ही कोई गंभीरता है।
कला-कृतियाँ
हमारे देश में कला कृतियों का प्राचीन काल से चलन है पत्थरो में उभारी गयी कला कृतियाँ कांस्य ,सोना,पीतल,अष्ट धातु आदि में बनाई गयी मुर्तिया और उभारी गयी कला कहि ना कहि हमारे देश से ही इसकी शुरुआत होती है समूचे भारत में कला-कृतियों कि छाप मिलती है
भारत देश के मंदिरो में कला कृतियों का भण्डार मिलता है हमारे देश के राजमहलों में हमारे पहाड़ो पर जगंलो पर गुफाओं आदि हिन्दुस्तान के हर कोने-कोने में हमारी कला-कृतियों की छाप पाई जाती है प्राचीन समय के लोगो ने कला-कृतियों का ऐसा खजाना हमारे लिये छोड़ा हुआँ है जोकि हमारे देश के लिये अनमोल धरोहर है
भारत में चित्रकला का प्राचीनकाल में एक मात्र स्रोत विष्णुधर्मोत्तर ग्रन्थ है जिसका अध्ययन करके लोगो ने कला-कृतियों का निर्माण करना शुरू किया था जिसकी छाप आज भि हमे भारत देश के कोने-कोने में दिखाई देती है जिसका प्रयोग हम आज के होने वाले निर्माणों में भी करते है
भारत देश की प्राचीनकाल कि कला-कृतियों की एक खास बात यह थी कि हमारी हर चित्रकला में रहस्य छिपे होते थे जिनको समझ पाना हर इंसान के बस में नहीं था उन कला-कृतियों में ज्यादातर हमारे देवि - देवताओ के रहस्य और ब्रम्हांड के रहस्यों के बारे में होता था
अत्याधुनिक तकनीक
हमारे भारत देश में आज कि अपेक्षा पहले कि तकनीक ज्यादा अच्छी होती थी प्राचीन काल के समय में बने हुये मन्दिर भवन कला-कृतियाँ ये बताती है कि हमारे देश में पहले के महाऋषि ने बहुत अच्छी तकनीकों की खोज कर रखी थी जैसे कि दुनिया में सबसे पहले बिजली कि उतपत्ति एक महान महर्षि अगस्त ने की थी।
भारत देश मन्दिरों में बने हुये कला-कृतियाँ और वहा कि कारीगिरी ये बताने के लिये काफी है कि हमारे देश तकनीक कैसी थी जैसे कि औरंगाबाद में बना हुआ कैलाश मन्दिर जिसे एक ही पहाड़ की बहुत बड़ी चट्टान को काट कर बनाया गया था कहते है कि इसको एक उन्नत हथियार से बनाया गया था उस हथियार सबसे बड़ी खासियत यह थी
उस हथियार से जो चट्टान कि कटान होती थी और उस कटान से निकलने वाली पत्थर कि रेत को हवा में ही उड़ा देता था सोचिये कि वह तकनीक कितनी अत्याधुनिक रही होगी जिसकी वजह से ऊपर मन्दिर बना और नीचे रहने के लिये गुफाये बनाई गयी वह भि सिर्फ एक ही हथियार से दक्षिण में बनी मन्दिरो कि कला-कृतियाँ ये बताती है कि पहले तकनीक कितनी उन्नत थी और इसी लिये हमे गर्व होता है कि हम भारत वासी है
संस्कृति और सभ्यता
भारत देश कि संस्कृति हमे यह सिखाती कि लोगो का सम्मान करो लोगो की मदद करो अपने समाज का विस्तार करो और भारतका नाम ऊचा करो जिससे लोग हमेशा हमारे देश का दुनिया भर में सम्मान करे भारत कि संस्कृति यह सिखाती है।
हमारी जो संस्कृति है उसे हमेशा बढ़ावा देना चाहिये अपनी संस्कृति का सम्मान करना चाहिये। धर्म।,अर्थ ,काम और मोक्ष भारतीय संस्कृति का मूल आधार है मानवता के सिद्धांतो के कारण इतने आघातों के बाउजूद यह संस्कृति अपने आप सुरक्षित रख
भारत कि संस्कृति यह बताती है कि हमारी संस्कृति प्राचीनकाल से अपने अस्तित्व में जिसका दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है हमारे त्यौहार होली दीपावली नौरात्रि गणेश चतुर्थी लक्ष्मी पूजा शिव रात्रि मकरसंक्रात इत्यादि त्यौहार होते है जिनकी अपनी एक कहानी है जिसकी वजह से हमारे सारे त्यौहार अपने अस्तित्व में होने का दुनिया भर को अहसास कराते
हमारी सभ्यता हमे यह बतलाती है की हमारी कल-कृतियाँ हमारा रहन-सहन हमारे वेद-पुराण हमारे त्यौहार हमारी उन्नत तकनीक इत्यादि कितनी प्राचीनतम है हमारी सभ्यता के अनुसार हम तब से अस्तित्व में है जब से यह ब्रम्हांड बना और धरती में जीवन आया। इसी लिये हमे सनातन धर्म का कहा जाता है।
सनातन धर्म का अर्थ होता है शास्वत कभी ना खत्म होने वाला धर्म जिसका ना आदि है न अंत है। यूनानी, फ़ारसी ,मुगलो और अग्रेजो के साम्रज्य स्थापित होने और उनके आघातों के बाउजूद हमारी संस्कृति नष्ट नहीं हुई अपितु प्राणशीलता के कारण और अपने स्वभाव गुण के कारण और अधिक पुष्ट और समृद्ध हुई है
https://hamarizindagi369.blogspot.com/
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