हमारे जीवन में जन्माष्टमी का महत्व / Importance of Janmashtami in our life
प्रस्तावना / Preface
जन्माष्टमी को हम भगवान कृष्ण के जन्म के रूप में जानते है। इसी लिये हमारे जीवन में जन्माष्टमी का बहुत महत्व है। भगवान कृष्ण को और भी बहुत नामो से जानते है। जैसे मधुसूदन,कान्हा,रणछोर,श्याम सांवरे,आदि नामो से जानते है भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। जिन्होंने धर्म और मानव जाति की रक्षा के लिये जन्म लिया था। हिन्दू धर्म में भगवान कृष्ण के प्रति बहुत आस्था है।भगवान कृष्ण एक कर्म योगी थे जिन्होंने धर्म और मानव जाति के उत्थान के लिये बहुत कार्य किये राक्षसों का वध किया भटकों को सही राह दिखाई जन-जन में धर्म के प्रति आस्था जगाई लोगो को योग और साधना के प्रति प्रेरित किया। भगवान कृष्ण ने लोगों के अन्दर प्यार और अपनेपन का अहसास कराया धर्म से दूर जा चुके लोगो को फिर से धर्म की तरफ अग्रसर किया।
Importance of Janmashtami in our life |
जन्माष्टमी को कैसे मनाते है / how to celebrate janmashtami
जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखते है। पूजा-पाठ ली तैयारी करते है और आधी रात का इंतजार करते है जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जन्मआष्ट्मी के दिन मन्दिरो में विशेष तैयारी की जाती है। पुरे मन्दिर को सजाया जाता है। लोग भगवान कृष्ण के लिये नये वस्त्र ,आभूषण मुकुट और बासुरी खरीदते है क्योंकि लोग उस पल को जीना चाहते जब उनका जन्म हुआ था। जन्माष्टमी से लेकर उनकी छट्टी तक हर जगह भगवान कृष्ण कि झाकियां सजाई जाती है और उन झाकियों में भगवान कृष्ण के बाल्यकाल से लेकर बड़े होने तक के दर्श दर्शाये जाते है।
जन्माष्टमी को लोग बड़े हर्ष उल्लास से मनाते है कान्हा के नाम पर दही हाड़ी का कार्यक्रम पुरे देश में होता है। जगह-जगह दही से भरी मटकी लगाई जाती है। शहर की टोलिया आकर उन्हें फोड़ती है और नाचते गाते लोग इस त्यौहार को मनाते है। भगवान कृष्ण का जन्म बहुत ही कष्टों भरे माहौल में हुआ था। जब उनका जन्म हुआ। तब उनके माता-पिता जेल में थे। जिन्हें देवकी के भाई कंस ने जेल में डाल दिया था क्योंकि अचानक आसमान से हुईं भविष्य वाणी से कंस डर गया था।
जन्माष्टमी का महत्व / Significance of Janmashtami
भविष्य वाणी में यह कहा गया की देवकी का आठवां पुत्र तुम्हारी मौत का कारण बनेगा। इस लिये भगवान कृष्ण का जन्म जेल में हुआ। भगवान की तरफ भगवान कृष्ण के पिता श्री वासुदेव जी को आदेश हुआ की भगवान कृष्ण को श्री नन्द जी के यहां गोकुल गांव में भेज दिया जाये। श्री वासुदेव जी ने रात में ही जमुना नदी को पार कर उन्हें नन्द जी के घर छोड़ आये क्योंकि कंस ने वासुदेव जी के पहले छः पुत्रो की निर्मम हत्या कर दी थी तब उनका लालन-पालन गोकुल गांव में नन्द बाबा और यशोदा मईया की देख-रेख में हुआ। यशोदा जी कान्हा से हद से ज्यादा प्यार करती थी
जब कंस को पता चला की भगवान कृष्ण गोकुल गांव में है तब उसने उन्हें मरने के लिये कई असुर और राक्षस भेजें लेकिन सब मृत्यु को प्राप्त हुये। क्योंकि भगवान कृष्ण ने बाल्यकाल से ही अपनी लीलाये दिखना शुरू कर दी थी इसी लिये कहते है की कृष्ण बड़े नटखट थे। भगवान कृष्ण ने बाल्यकाल से ही अपनी कार्य शैली को दिखना शुरू कर दिया था। जो लोगों की नजरों में लीलाओं का रूप ले चूकी थी। भगवान कृष्ण बाल्यकाल में अपने सखाओं संग मिल कर लोगों के घरो से मक्खन निकाल कर अपने सखाओ को खिला देते थे। जब यशोदा मईया कहती थी किकी मक्खन तुमने खाया तो वह कहते थे। मईया मोरी मै नहि माखन खायो और यह कह कर रोनी सूरत बना लेते थे।
भगवान कृष्ण की लीलाये / Leelays of Lord Krishna
जब गांव की गोपियाँ नदी में स्नान करती थी तब कान्हा उनके कपङे उठा कर पेड़ पर चढ़ जाते थे और जब वह अपने कपड़े मांगती थी तब भगवान कृष्ण यह वचन लेते थे अब वह नदी में बिना कपड़ो के नहीं स्नान करेगी। जब कान्हा बासुरी बजाते थे। सारे गांव की गाय और गोपियाँ कान्हा के पास आ जाती है। कान्हा की बासुरी सुन सभी मग्नमुग्ध हो जाते थे। वह बाल्यकाल में ही भगवान कृष्ण ने पूतना ,तृणावर्त ,वत्सासुर ,बकासुर और अघासुर जैसे राक्षसों को मृत्यु देकर सब की रक्षा की। यमुना नदी में एक कालिया नाग रहता था उसको वहा से भगा कर जानवर और मानव जाति दोनों की रक्षा की और लोगों को कष्ट से मुक्त किया।
भगवान कृष्ण ने किशोर अवस्था में कंस का वध किया साथ ही और भी राक्षसो का वध किया था। भगवान कृष्ण कहते थे वसुन्धरे कुटुम्ब्कम अर्थात पूरा विश्व मेरा परिवार है। इसकी रक्षा करना मेरा धर्म भी है और मेरा कर्तव्य भी है। भगवान कृष्ण धरती पर मानव और धर्म कि रक्षा के लिए जन्म लिया था इसलिए उन्होंने बाल्यकाल से ही अपनी लिलायो का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था जिससे मानवता कि रक्षा भी हो रही थी और वह अपनी लिलायो से लोगो को आकर्षित भी कर रहे थे। जन्माष्टमी हिन्दू धर्म के लिए भगवान कृष्ण का जन्म भर नहीं बल्कि एक त्यौहार है। जिसे लोग बड़ी श्रद्धा से मनाते है।
उपसंहार / Epilogue
भगवान कृष्ण जो भगवान विष्णु के अवतार कहे जाते है जिन्होंने द्वापर युग में मानवता और धर्म की रक्षा के लिए जन्म लिया था। जिसे हम जन्माष्टमी के रूप में हर साल मनाते है। भगवान कृष्ण एक महान योगी थे जिन्होंने अपने मामा कंस को मारकर मानवता की रक्षा की थी उसके साथ -साथ हजारो राक्षसों का वध किया था सच के लिए उन्होंने कवरों और पाण्डों के युद्ध में अर्जुन के रथ के सारथि बने थे और पुरे युद्ध में अर्जुन के सहयोगी बने। जब युद्ध में अर्जुन ने अपने सामने अपनों को खड़ा देखा तब वह भृमित होने लगे तब भगवान कृष्ण भगवत गीता का उपदेश दिया और उन्होंने अर्जुन को दिव्यदृष्टि देकर परम्परमात्मा के दर्शन करवाए जिसके बाद अर्जुन युद्ध करने के लिए तैयार हो गए।
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