गुरु के बिना ज्ञान नहीं है / without guru there is no knowledge
प्रस्तावना / Preface
कहते है की गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता है। गुरु कौन होते है वो गुरु कैसे बनते है गुरु का हमारे जीवन में क्या असर पड़ता है और गुरुओ का हमारे जीवन में क्या योगदान होता है हमारे वेद -पुराण ,ग्रन्थ आदि किताबो में क्यों ऐसा दर्शाया गया है की गुरु के बिना ना तो ज्ञान मिलता है और ना तो भगवान मिलते है। कहि -कहि तो यह भी कहा जाता है की गुरु के बिना व्यक्ति को मोक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती है। इसीलिए कहते है हर व्यक्ति के जीवन में गुरु होना बहुत जरूरी है। समय के साथ गुरु और शिष्य में बदलाव आ गया लेकिन ज्ञान आज भी वही है जो समय के साथ बढ़ता ही रहता है। गुरु मार्गदर्शक है हमारे जीवन के जो हमें ज्ञान का अनमोल भंडार प्रदान करते है जिससे हम अपने जीवन का अर्थ समझ पाये और उसको उस रास्ते पर ले जाए जिसके लिए हमारा जन्म हुआ है।
without guru there is no knowledge |
गुरु हमारे जीवन का आधार है / Guru is the basis of our life
हमारी जिन्दगी में गुरु के बिना ज्ञान नहीं ज्ञान के बिना जीवन नहीं जीवन के बिना मोक्ष्य नहीं इसीलिए कहते है की गुरु हमारे जीवन का आधार है। आधार एक स्तम्भ की तरह हमारे जीवन को चट्टान बना देता है। पहले के युगों में गुरुकुल होते है जहां पर ऋषि ,महा ऋषि होते थे और उस गुरुकुल में सभी बच्चे साधारण बनकर रहते थे। चाहे वह राज परिवार के बच्चे हो या फिर वह साधारण घर के बच्चे हो सब एक समान रहते है और सुबह से लेकर रात तक सारे काम करते थे और अपनी पढ़ाई करते थे। गुरुकुल में सारे विषयों की पढ़ाई करवाई जाती थी गुरुकुल के गुरु अपने शिष्यों के लिए भगवान की तरह होते थे और वह उनकी हर बात को मानते थे।
गुरु के लिए सरे शिष्य एक समान होते है मगर कभी -कभी समाज के कल्याण के लिए कुछ गतिरोध होते थे जिस वजह से एक गुरु मजबूर हो जाता था किसी को शिक्षा ना दे पाने लिए लेकिन कोई भी गुरु भेद-भाव नहीं करता था क्योकि पहले के गुरु आज के गुरु जैसे नहीं होते थे। पहले के गुरु अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान थे और इसीलिए पहले के युगों में शिष्य ज्यादा ज्ञानी -ध्यानी होते थे और वह गुरुओं के द्वारा दिखाए हुए रास्ते पर चलते थे और अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करते थे और इसलिए उनके अन्दर किसी भी तरह का कोई लालच नहीं होता है। लोग अपने जीवन को निर्वाह करने के लिए और दूसरों की भलाई के लिए काम करते थे।
हमारी जिन्दगी की पहली गुरु हमारी माँ होती है जो हमें बचपन से लेकर पूरी जिंदगी भर सिखाती रहती है। माँ का सिखाया हुआ हर सबक जीवन भर कभी ना कभी काम ही आता है। इसलिए कहते है कि माँ हमारे जीवन की सबसे बड़ी आधार होती है। माँ हमेशा हमारे जीवन को नेक रास्ते में चलने कि सीख देती है। माँ हमें एक कर्तव्य की राह में चलना सिखाती है। समाज और अपने लोगो के लिए जीना सिखाती है। हमारी संस्कृति ,सभ्यता और परम्पराओं से हमें रूबरू करवाती है। हमारी माँ हमें बचपन से निष्ठावान और कर्मठ बनाती है। हमारी माँ हमारे हर मोड़ पर मार्गदर्शक बनती है लेकिन हम कभी अपनी माँ को धन्यवाद नहीं देते है क्योकि हम उसके द्वारा सिखाये हुए सबक से अपना जीवन तो सुधार लेते है लेकिन सबक सिखाने वाली माँ को भूल जाते है।
गुरु के द्वारा दी हुई शिक्षा / Guru's teaching
गुरु के द्वारा शुरू की गयी शिक्षा दीक्षा हमारा पूरी जिन्दगी बदल देती है। हमारी पहली गुरु तो माँ होती है और हमारे दूसरे गुरु वह होते है जो हमे पड़ना लिखना सिखाते है जिससे हम अपने जीवन की उस सच्चाई से रूबरू होते है जो आगे चलकर हमें जीना होती है। गुरु अपने शिष्य को अपने देश की सभ्यता ,संस्कृति ,परम्परा और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से रूबरू करवाते है जो हमें हमारे जीवन के मायने समझाते है। हमारे गुरु हमारी प्रकृति ,आग ,हवा ,पानी ,धरती ,आकाश ,पेड़ -पौधे और जीव -जंतु आदि का महत्व बताते है। सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में पैदा हुए 33 करोड़ देवी -देवता और 84 लाख योनियों के जन्म और उनके कार्य का मतलब समझाते थे। गुरु हमें भगवान के द्वारा लिए हुए जन्म और उनके उददेशो के बारे में भी बताते है।
गुरु हमें शिष्टाचार ,मानवता ,देश और अपने समाज के प्रति हमें क्या करना चाहिए ये सबक हमे सिखाते है। वह हमें जीवन और मृत्यु का भेद और उसके बीच की यात्रा का भी मतलब समझते है। हमारे गुरु हमें मानव की उपस्थिति ,मानवजाति का निर्माण कैसे हुआ वह भगवान के द्वारा रचित 84 लाख योनियों में उनकी सबसे सुन्दर रचना कैसे बनी इसका भी महत्व हमें समझाते है। गीत और संगीत ,योग साधना ,आराधना ,वेद पुराण ,ग्रंथ आदि का जीवन में क्या महत्व है और उसका क्या असर होता है हमें यह भी बताया जाता है। गुरु अपने शिष्य के जीवन को विकास के रास्ते पर ले जाने की सीख देता है। जिससे हमारा जीवन सुखद और कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान बने।
गुरु के द्वारा ली हुई दीक्षा / initiation by guru
कहते है कि गुरु के बिना भगवान नहीं मिलते क्योकि हमें जिन्दगी से मोक्ष का रास्ता गुरु ही दिखाते है इसलिए जीवन में हर व्यक्ति को अपने लिए एक गुरु जरूर बनाना चाहिए क्योकि एक गुरु ही होता है जो आपको ज्ञान का भण्डार प्रदान करता है और उस ज्ञान से हमें पता चलता है कि जीवन क्या है मृत्यु क्या है एक गुरु हमें बताता है की मृत्यु बाद हमारी यात्रा कैसी होती है उसे सरल कैसे बना सकतें है। गुरु से दीक्षा लेने का मतलब यह होता है की वह हमारे जीवन के मार्गदर्शक बनते है वह हमें जीवन की सच्चाई से हमारी पहचान करवाते है। वह हमारे मार्ग में आने वाली कठिन से कठिन परिस्थितियों से लड़ना सिखाते है।
जब हम किसी की सरण में जाते है और उन्हें हम अपना गुरु बनाते है तब वह हमारे अन्दर सकारात्मकता का संचार करते है। गुरु हमें भर्म से भरे जीवन से मोह मुक्त होने की सलाह देते है। वह कहते है कि हमें साधारण दिनचर्या का पालन करना चाहिए जिससे हमारे अन्दर तामसिक प्रवृत्ति प्रबल ना हो सकें और जीवन सरल स्वभाव का बना सकें। जब हम सरल और साधारण हो जाते है तब हमारा मन प्रभु में लगने लगता है और हम उनके करीब होने लगते है। गुरु हमें जो ज्ञान प्रदान करते है उससे हमारा जीवन तो बदलता है और लोग भी हमसे जुड़ने लगते है। जिनको साथ लेकर हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर पाते है जो आस्थावान और कर्तव्य के पथ पर चलने वाले लोग होते है।
उपसंहार / Epilogue
गुरु और शिष्य का रिस्ता अनंत काल से बना हुआ है जो व्यक्ति बिना गुरु के रहता है उसे कभी ज्ञान का नहीं मिलता इसीलिए गुरु द्रोणाचार्य जी के मना करने बाद भी एक्लव्य ने उनकी प्रतिमा को स्थापित करके उसके सामने धनुष विद्या का अभ्यास किया और विश्व का सबसे बड़ा धनुर्धर बना। यह लिखने का मकसद यह है कि बिना गुरु के हम जीवन जी सकते है पैसा ,घर ,गाड़ी ,ज्वैलरी ,नाम ,इज्जत ,शौहरत आदि सबकुछ मिल जायेगा लेकिन गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलेगा। आज का युग अत्याधुनिक उपकरणों का है जिससे हम बिना गुरु के ज्ञान भी अर्जित कर सकते है लेकिन वह भाव कैसे पैदा होंगे जो सिर्फ एक गुरु ही दे सकता है ,अपनी आत्म शक्ति को कैसे जागृत करोगे जो सिर्फ गुरु के द्वारा ही हो सकती है। इसीलिए कहते है कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं ,ज्ञान के बिना जीवन नहीं ,जीवन के बिना मोक्ष नहीं और मोक्ष के बिना भगवान नहीं।
https://hamarizindagi369.blogspot.com/
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