शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

शिक्षा और संस्कृति जीवन जीने का मूल आधार हैं / Education and culture are the basic basis of living life.

शिक्षा और संस्कृति जीवन जीने का मूल आधार हैं / Education and culture are the basic basis of living life.



प्रस्तावना / Preface



शिक्षा और संस्कृति दोनों हमारे जीवन में प्रकाश की तरह होते है इन दोनों के बिना हमारा जीवन अंधकारमय होता है जो जीवन के अस्तित्व को मिटा देता है। शिक्षा हमें हमारे जीवन चक्र से मिलती है और संस्कृति हमारे जीवन के मूल आधार को प्रदर्शित करती है हमारा जीवन एक संघर्षपूर्ण और कर्तव्यपरायण होता है जिसे हम अपनी शिक्षा और संस्कृति के कारण जान पाते है जो हमें हमारे जीवन की सच्चाई से रूबरू करवाते है। शिक्षा जीवन का विस्तार करती है और उसके भाव को प्रकट करती है वही हमारी संस्कृति हमारी  सभ्यता ,परम्पराए और संस्कारों को दर्शाती है जिससे हमें मानवता का आभास होता है और पूर्वजो के द्वारा दी हुई धरोहर को पुरे रीति -रिवाजों के साथ निभाने के लिए प्रेरित करते है काम जीवन बदलता है और जीवन को शिक्षा और संस्कृति बदलती है।









शिक्षा जीवन का बदलाव करती है / education changes lives



शिक्षा जो हमें प्रभु के द्वारा प्रदान की गयी एक अनन्त कृपा है जो हमें जीवन जीने के तरिके सिखाती है। हमारे वेद -पुराण जो अन्य चीजों की तरह प्रकट हुए जिनके जरिये से हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा उनका ज्ञान हमें प्रदान किया गया जो हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक का कारण बताते है और ८४ लाख योनियों का मतलब भी समझाते है जो कि मानव जाति के लिए अपार सफलता का कारण बनी जिससे मानव ने वह सब कुछ हासिल किया जो उसे मानव जीवन को जीने के लिए चाहिए था। हम शिक्षा से भगवान के द्वारा बनाये हुए ब्रम्हाण्ड के बारे में जान पाए जिसके एक गोले में हम रहते है हमारी प्रकृति ने हमें क्या दिया उसको समझने की हम कोशिश कर पाए। योग ,साधना और आराधना का महत्व हम शिक्षा के कारण ही समझ पाए है। अपने कर्तव्यों का निर्वाहन हम कैसे करें यह हम शिक्षा से ही सीख पाते है। 



शिक्षा हमारी मानसिकता को सकारात्मक बनाती है जिससे हमारे जीवन में बड़े -बड़े बदलाव आते है। शिक्षा हमें आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाती है जिससे हम अपने जीवन को कर्तव्यपूर्ण बना पाते है शिक्षा ज्ञान का वह सागर है जिसको जितना ज्यादा ग्रहण किया जाये उतना ही कम है। शिक्षा अभूतपूर्ण अंग है मानवजाति का जो उसे समृद्ध ,ऊर्जावान और विख्यात बनाता है। शिक्षा मानवजाति को धर्म के रास्ते में चलना सिखाती है शिक्षा हमें हर चीज के प्रति जागरूक बनाती है और उसके प्रति समर्पण कि भावना को उत्पन्न करती है। शिक्षा से हम चाँद -सितारों और ब्रम्हाण्ड के महत्व का औलोकन कर पाये और उनकी दुरी का अंदाजा लगा पाये। सूरज इतना प्रकाशवान क्यों है यह हमने शिक्षा से जाना। हमारे कर्तव्य क्या है ,मानव जीवन का अर्थ क्या है ,दुनिया में इतनी आपदाएं आना यह सब प्राकृतिक नीति को दर्शाता है। 



जीवन का सबसे बड़ा बदलाव शिक्षा से होता है क्योकि शिक्षा से ही हमें जीवन के मूल आधार का पता चलता है। शिक्षा हमें एक उन्नत स्थान पर सुसज्जित करती है जिससे हम अपने देश और लोगों के लिए वह सब कर पाते है जिसकी आवश्यकता होती है। जैसे हमारे देश के वैज्ञानिक जो हमारे देश और हमारी सुरक्षा के लिए बहुत से अत्त्याधुनिक हथियार बनाते है ,हमारे लिए नई -नई दवाइयों की खोज करते है ताकि हम बीमारी मुक्त हो सकें ,किसी भी देश या राज्य का आधारभूत संरचना (infrastructure) तैयार करने के लिए इंजीनियर की भूमिका सबसे अधिक होती है तभी एक देश विकासशील देश बनता है ,शिक्षा से हम अपने समाज का विस्तार करते है उसे जीवन जीने के तरिके सिखाते है जिससे वह आगे बढ़ सकें और समाज को विकशित बना सकें। 



संस्कृति हमें मानवता निभाना सिखाती है / Culture teaches us to play humanity



संस्कृति जो हमें हमारे अतीत से जोड़ें रखती है हमारी संस्कृति हमें   परम्पराओं का महत्व समझाती है त्योहारों का मतलब बताती है। भगवान के प्रति हमारी आस्था को मजबूत बनाती है संस्कति हमें हमारी सभ्यता से मिलाती है जो हमारे अन्दर उन संस्कारों को प्रकट करती है जो हमारे पूर्बजों ने विकसित किये थे जो हमारे देश को महान बनाती है। बुजुर्गो के द्वारा बनाई हुई परम्पराओं का सम्मान और उनके द्वारा दिए हुए संस्कारों को निभाना यही हमारा धर्म है और कर्तव्य भी है क्योकि हम अपनी संस्कृति के बिना पूरी तरह से अधूरे है। हमारा देश विभिन्न प्रकार कि संस्कृति को मानने वाला देश है कहते है कि हमारे देश में हर ५० मील में हमारी भाषा औए संस्कृति दोनों में बदल जाते है शायद इसी लिए हम अनेकता में एकता का प्रचार  -प्रसार करते है जो हमें हमारे देश से जोड़कर रखती है। 



हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा हमारे आचरण से बनती है और हमारे  अंदर आचरण हमारे संस्कारो से आते है जो हमें विरासत में मिली है और संस्कृति हमें शिक्षा से प्राप्त होती है। हमारी कला -कृतियाँ ,संगीत ,आचरण ,तीज -त्यौहार ,योग -साधना ,आराधना ,विवाह का महत्व ,प्रकृति द्वारा दी हुई विरासत जो हमारे लिए पूज्य होती है क्योकि इन सब में हमारी संस्कृति झलकती है हमारी संस्कृति हमें धैर्यवान और शांतिपूर्ण जीवन जीने का संदेश देती है लोगों के प्रति सच्ची निष्ठा के साथ कार्य करने के लिए जागरूक करती है लेकिन अन्याय के खिलाफ लोगों कि रक्षा हेतु हमें अस्त्र -शस्त्र उठाने का भी संदेश देती है जैसे -भगवान श्री राम और श्री कृष्ण ने संस्कृति और मानवता कि रक्षा के लिए राक्षसों का संहार किया। हमारी संस्कृति अधययन और अध्यापन का पाठय क्रम है जिससे हमारे लिए पुण्य अर्जित करने के स्रोत पैदा होते है और पापों से मुक्ति के द्वार खुलते है। 



पढ़े-लिखे लोग लेकिन संस्कृति मुक्त / educated people but culture free



आज लोग बहुत ज्यादा पढ़े -लिखें होते जा रहें है लेकिन लोगो के अन्दर से संस्कार खत्म होते जा रहें है क्योकि लोग बहुत होशियार और बुद्धिमान हो गए है शायद इसी लिए हिन्दुस्तानी होकर हिन्दी बोलने में शर्म आती है लोग इतने ज्यादा होशियार (स्मार्ट) हो चुके है कि नमस्कार और चरणस्पर्श करने के बजाय हाय ,हेलो बोलते है अब तो बच्चे अपने माता -पिता को पा और मोम बोलते है लोग आज अपने बच्चों को इतना होशियार बना रहें है कि उन्हें अपने त्योहार कभी याद नहीं रहते लेकिन विदेशी त्यौहार जैसे वेलेंटाइन डे ,रोज डे ,चॉकलेट डे और किस डे आदि त्यौहार सारे याद रखते है क्योकि उनके माँ -बाप उन्हें अपनी संस्कृति के बारे में बताने के बजाय विदेशी सभ्यता निभाने के लिए प्रोत्साहित करते है क्योकि ऐसे लोग अपनी संस्कृति को छोटा और निम्न समझते है। 



हम लोग अपने बच्चो को कितना भी पढ़ा -लिखाकर आईपीएस ,आईएएस ,डॉक्टर ,इंजीनियर ,वैज्ञानिक और टीचर आदि चाहे जो बना दे लेकिन अगर उसके अन्दर अपने संस्कार नहीं है तो वह सब बेकार है क्योकि बिना संस्कार के व्यक्ति के अंदर इंसानियत का संचार नहीं हो सकता है हमारी धरोहर हमारी है और उसे आगे लेकर जाना हमारी जिम्मेदारी है क्योकि उसी से हमारी पहचान है इसलिए हम कितने भी होशियार ,बुद्धिमान और काबिल हो जाएं लेकिन हम अपनी संस्कृति के बिना अधूरे है। संस्कृति हमें अपनों से जोड़कर रखने का नाम है एक -दूसरे के प्रति समर्पण और प्यार ही हमारी संस्कृति है क्योकि हम सबको अपना मानते है इसीलिए भगवान श्री कृष्ण कहते थे वसुंधरे कुटुंबकम अर्थात -पूरा विश्व मेरा परिवार है क्योकि हमारी संस्कृति हमें यही सिखाती है। 



उपसंहार / Epilogue



शिक्षा और संस्कृति हमारे जीवन के मूल आधार है क्योकि जीवन जीने के लिए इन दोनों चीजों का होना बहुत जरूरी होता है। अगर हमारे जीवन में शिक्षा और संस्कार नहीं तो हमारा जीवन जीने का कोई आधार नहीं हो सकता है। बिना शिक्षा और संस्कारो के हम ना तो खुशी का अनुभव कर सकतें है और ना दुखों का अभिप्राय समझ सकतें है इसीलिए मानव जीवन को जानने के लिए शिक्षा और संस्कार का होना बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि हमारी शिक्षा हमें दुनिया और समाज कि नजरों में प्रतिष्ठित और सम्मानित बनाती है वही हमारे संस्कार हमारी संस्कृति ,परम्पराएं ,सभ्यता ,आचरण और हमारी आधारशिला आदि को दर्शाते है जो हमें महान बनाते है और यही हमारे जीवन जीने का मूल आधार है। 









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