मंगलवार, 31 जनवरी 2023

रिश्ता सस्ता है पर निभाना महंगा / Relationship is cheap but it is expensive to maintain

 रिश्ता सस्ता है पर निभाना महंगा / Relationship is cheap but it is expensive to maintain


प्रस्तावना / Preface


रिश्ता सस्ता है आखिर क्यों लोग ऐसा सोचने पर मजबूर हो जाते है क्योकि रिश्तो को निभाना बहुत महंगा होता जा रहा है जो रिश्ते कभी प्रेम और बलिदान की मूरत हुआँ करते थे। आज वही रिश्ते बोझ बनते जा रहे है क्योकि आज रिश्तों से मोह भंग होता जा रहा है शायद इसी वजह से रिश्ते सस्ते होते जा रहे है क्योकि आज उन्हें निभाना बहुत मुश्किल हो गया है। हम आज रिश्तों को भूलने का काम कर रहे इसलिए रिश्ते सिर्फ नाम के लिए बचें है। कभी हमारे लिए रिश्ते अनमोल होते थे लेकिन आज एक औपचारिकता के रूप में लोग उन्हें निभाने का काम करते है। रिश्ता सस्ता है यह बात आज सभी लोग महसूस करते है लेकिन यह विचार कोई नहीं करता कि ऐसा क्यों हो रहा है और उनको निभाना इतना महंगा क्यों हो रहा है यह एक प्रश्न है हम सब के लिए। 





रिश्तों की अहमियत क्यों कम हो रही है / Why is the importance of relationships decreasing?


पहले के समय में हमारे बुजुर्ग हमें रिश्तों की अहमियत समझाते थे। एक -एक रिश्ता कितना बहुमूल्य है उसका अर्थ हमें बतातें थे वह कहते थे कि रिश्तें कच्चे धागें कि तरह होते है जो हमारे प्रेम और स्नेह से मजबूत बनते है जिसकी वजह से वह कच्चे धागे एक मोटी रस्सी से ज्यादा वह मजबूत होते है लेकिन आज के रिश्तों में वह प्रेम और स्नेह नहीं बचा है जिसके कारण रिश्तों के कच्चे धागे जगह -जगह से टूट चुके है जिस वजह से उन रिश्तों में ऐसी गाठें पड़ चुकी है जिनको हटा पाना बहुत मुश्किल हो चूका है। आज रिश्तों कि अहमियत कमजोर होने का कारण हमारी मानसिकता है जिससे रिश्तों का स्वरूप बदलता जा रहा है इसलिए रिश्तों में पारदर्शिता नहीं नजर आती है क्योकि आज मन में कुछ होता है और चेहरे पर कुछ ओर नजर आता है। 


हम कहा जन्म लगे कौन मेरे माता ,पिता ,भाई ,बहन आदि कौन लोग मेरे परिवारिक और सगें संबन्धी होंगे यह सब भगवान पहले से तय करके रखते है जैसे ही हम जन्म लेते है वह सारे रिश्ते हमें मिल जाते है। बचपन से हम देखते है कि सभी लोग आपस प्रेम से रहते है और एक दूसरे का बहुत ख्याल रखते है लेकिन जैसे -जैसे हम बड़े होते लगते है तब हम देखते है कि हमारे रिश्तों में एक दुरी एक खिचाव पैदा होने लगा है लेकिन हमें उतना समझ नहीं आता है क्योकि उस समय हमें इतनी समझ नहीं होती है मगर जब हमें समझ आता है तब तक हमारे रिश्तों में बहुत बड़ी दरार पड़ चुकी होती है और ऐसा तब होता है जब हम अपने रिश्तों को निभा नहीं पाते उनका ख्याल नहीं रख पाते उनके प्रति अपने जिम्मेदारी का एहसास नहीं कर पाते। 


रिश्ता कोई भी हो हर रिश्ते की अपनी अहमियत होती है जिसको हमें निभाना चाहिए लेकिन आज ऐसा नहीं है हलाकि लोगो की कुछ अपनी मजबूरिया भी है किसके कारण रिश्तों की अहमियत कम हो रही है दूसरा यह कि लोग आज किसी के बन्धन में नहीं रहना चाहते अपनी जिन्दगी अपने तरिके से जीना चाहते है जिस कारण लोगो दूरिया बढ़ रही है। आज लोग टेक्नोलॉजी में बहुत उलझ चुकें है जिसकी वजह से लोगो के पास अपनों के साथ बैठ कर समय गुजारने का मौका नहीं मिलता है। आज लोग अकेले रहना ज्यादा पसन्द करते है लेकिन वह यह नहीं जानते कि अपनी सुविधा के लिए अकेले रहने का फैसला आने वाले समय में उन्हें बिलकुल अकेला और तन्हा कर देता है जिससे ऐसे व्यक्ति बीमार पड़ जाते है। 


रिश्तें निभाना महंगे क्यों लगते है / Why do relationships seem expensive?


हमारे रिश्तें हमारे संस्कारों के आधार पर टिके होते है उसी आधार से हम यह समझ पाते है कि रिश्ता हम निभा पाएंगे या नहीं कुछ लोग रिश्तों को इसलिए नहीं निभा पाते क्योकि वह लोग रिश्तों को पैसे से तोलते है ,कुछ लोग उसकी प्रतिष्ठा उसकी ताकत को देखकर उससे रिश्ता बनाते है और बहुत से लोग अपने संस्कारों के आधार पर रिश्ता बनाते है जो हर मुश्किल में उन्हें निभाते है। रिश्तें कभी किसी के मोहताज नहीं होते इसलिए जिन्हे रिश्ता निभाना मंहगा लगता है वह कभी किसी रिश्तें के लायक नहीं होते क्योकि ऐसे लोगों के लिए रिश्ते कोई मायने नहीं रखते है और ऐसे लोगों को रिश्ता निभाना हमेशा मंहगा लगता है। रिश्तों के प्रति समर्पण रहना अच्छे व्यक्तित्व की निशानी होती है। 


जिन रिश्तों का बोझ नहीं उठाया होता है वह रिश्तें महंगे लगते है क्योकि आज लोग अपने स्वार्थ को महत्व देते है लोग रिश्तों को आज अपने मतलब के लिए इस्तमाल करते है क्योकि लोग आज पैसे को ही अपना भगवान समझते है और उस व्यक्ति को सम्मान देते है जो पैसे वाला है। पैसे के लिए लोग सबसे पहले अपनों को ही नुकसान पहुचाते है उसके आगे वह नहीं सोचते कि हम अपने किसी प्रिय को बर्बाद कर रहे है।  पैसो के प्रति लोगों के अन्दर एक हवस का संचार हो चुका है जिसे हम खत्म नहीं कर सकतें है और ऐसा आज संस्कारों की कमी के कारण हो रहा है जब हमारे अन्दर स्वार्थ अपना घर बना लेता है तब लोगों का हर रिश्ता बोझ बन जाता है और उसे निभाना महंगा लगने लगता है। 


रिश्तों का मूल आधार क्या है / what is the basis of relationships


कभी रिश्तों का महत्व लोगों की नजरों में सबसे अधिक होता था। लोगो के लिए रिश्तों के आगे कोई भी चीज मायने नहीं रखती थी लेकिन आज रिश्तों का मूल आधार खत्म हो चूका है जिस प्रकार वृक्ष अपनी मजबूत जड़ों के कारण सैकड़ों सालों तक मजबूती से खड़ा रहता है ठीक उसी प्रकार रिश्तों की जड़ें भी हमें मजबूती से खड़ा होना सिखाती है जिसे कभी कोई भी हिला नहीं पाए और यही रिश्तों का मूल आधार होता था लेकिन आज हमारी जड़ें ही नहीं बची है जिससे हमारे रिश्ते पहले की तरह विश्वास से भरे रह सकें। रिश्तों का मूल आधार स्नेह ,प्रेम ,अपनापन ,त्याग आदि होता है और उन्हें निभाने के लिए हमारे अन्दर आत्मसमर्पण की भावना होनी चाहिए जिससे हम रिश्तों की ओर आकर्षित हो सकें और उनकी अहमियत को समझ सकें ताकि हम अपने रिश्तों के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा सकें। 


कभी -कभी हमारे रिश्तों के बीच में एक दरार पड़ जाती है जिसके कारण हमारे रिश्तें खराब हो जाते है लेकिन अगर रिश्तों की जड़ें मजबूत और गहरी हो तो रिश्तों की दरारों का फासला ज्यादा दिन तक रह नहीं पाता क्योकि भरोसा और त्याग की भावना कभी उस नीव को कमजोर नहीं होने देते है जिस नीव पर हमारे रिश्ते टिकें होते है। हमें अपने रिश्तों को बचाय रखने के लिए अपने बच्चों में वह संस्कार डालने होंगे जो उन्हें रिश्तों की अहमियत का एहसास कराएं और उन्हें रिश्तों के करीब लाये ,बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाना होगा जिससे वह रिश्तो की गहराई और उनके प्रति पैदा होने वाली संवेदना को समझ सकें तभी हम अपने रिश्तो को अनमोल बना पाएंगे और उन्हें निभा पाएंगे। जब हम रिश्तों के मूल आधार को याद रखेंगे तभी हमें रिश्तों की अहमियत का एहसास होगा और तब हमारे रिश्तें हमें ना तो सस्ते लगेंगे और ना ही महगें लगेंगे। 


उपसंहार / Epilogue


रिश्तों की अहमियत को समझने के लिए हमें उनके लिए समर्पित होना पड़ता है उनको निभाने के लिए हमारे अन्दर रिश्तों के प्रति प्रेम ,स्नेह और अपनापन होना चाहिए तभी हम अपने रिश्तों को समझ पाएंगे। जिनको रिश्ते महगें लगते है उनके अंदर रिश्तों के प्रति कोई अहमियत नहीं होती है ऐसे लोगो के लिए रिश्ते सिर्फ नाम के लिए होते है। हमारे पूर्वजों ने हमें रिश्तों को लेकर उसकी प्राथमिकता को लेकर बहुत अच्छे से समझाया है लेकिन आज हम इस स्वार्थ भरी दुनिया में इतने मतलबी हो चुकें है जिसके कारण रिश्तें हमें बोझ लगते है क्योकि हम आजाद जिन्दगी जीना चाहते है उसमे किसी का दखल बर्दास्त नहीं करना चाहते है और इसी कारण हमें रिश्तों की अहमियत नहीं समझ आती है जिसके कारण वह हमें निभाने में महगें लगते है। 


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