दया और प्रेम शब्द छोटे है लेकिन अर्थ अन्नत है / Words of kindness and love are small but meaning is eternal
प्रस्तावना / Preface
दया शब्द हिंदी भाषा का एक प्रचलित शब्द है दया ,प्रेम ,करुणा ,ममता और स्नेह आदि शब्द कहने के लिए सब अलग -अलग है मगर इन सबका मतलब सिर्फ एक है और वह है मानवता जिसके बिना जीवन व्यर्थ है। दया और प्रेम कई जगहों पर अलग -अलग तरह से होता है। दया और प्रेम को धर्म भी कहा जाता है क्योकि धर्म का मतलब ही दया और प्रेम होता है। किसी अपराधी को क्षमादान देना दया को दर्शाता है। इसी प्रकार प्रभु के प्रति आस्था हमारे प्रेम को दिखाती है। एक प्रेम वह भी था जो राधा और कृष्ण के बीच हुआ था जिसका आभास आज भी मथुरा और बृन्दावन में लोग महसूस करते है। हम लोग किसी पशु -पंक्षी को मानव भाव से जब पुचकारते है हमारे ऐसे भाव हमारे अन्दर दया और प्रेम का संचार करते हुए दिखाई देते है।
दया और प्रेम क्या है / what is kindness and love
किसी के प्रति दया रखो या करुणा ,प्रेम रखो या स्नेह इन सब का मतलब एक ही होता है लेकिन इन सब के लिए अगर कोई चीज सबसे अधिक जरूरी होता है तो हमारे मन के भाव क्योकि हमारे मन में अगर भाव नहीं होंगे तो हम कभी दया और प्रेम का मतलब नहीं समझ पाएंगे। इस दुनिया में हजारों धर्म है हर धर्म की अपनी मान्यताएं है लोग अलग है ,भाषा और बोली अलग है ,सभ्यताए और परम्पराएं अलग है लेकिन दया और प्रेम के भाव सभी के मन में एक जैसे होते है क्योकि दया और प्रेम का किसी धर्म या जाति से कोई मतलब नहीं होता है अगर मतलब होता है तो मानवता से और इंसानियत से जिसका कोई धर्म नहीं होता जो हमारे मन में प्रकट विचारों से होते है।
दया और प्रेम हमारे अंदर मानवता को जन्म देते है जो हमें सभी से प्रेम करना सिखलाती है और सभी के प्रति दया के भाव को प्रकट करती है। दया और प्रेम एक उपचार है समाज में धर्म और आस्था को प्रस्थापित करने का ,भटके हुए लोगो को सही राह दिखाने का और सभी के अन्दर एक -दूसरे के प्रति एकजुट रहने के भाव पैदा होते है। जब हम एक भिकारी को देखकर उसपर दया दिखाते है तो वह दया प्रेम से भरी हुई नहीं बल्कि उसकी लाचारी को देखते हुए होती है जिसे करके हमे लगता है कि हमने उसपर बहुत बड़ा अहसान किया है और यह चीज कहि ना कहि हमारे घमंड को प्रस्तुत करती है जबकि हमें एक कमजोर और लाचार व्यक्ति को देखकर उसे मजबूत करने के लिए उसपर दया के भाव प्रकट करने चाहिए जो प्रेम और स्नेह से भरे हुए हो।
हम लोग अक्सर अपने बुजुर्गो से दया और प्रेम कि कहानियां सुना करते थे ऐसी कहानियां जो हमें हमारे जीवन के अर्थ को समझाती थी। जीवन में दया और प्रेम जैसे शब्द हमारे कर्मो में क्या भूमिका निभाते है कैसे हमें जीवन के पुरूस्वार्थ और संघर्ष कि गणना को समझाते है। हमारे बुजुर्ग कैसे हमारे अंदर दुसरो के लिए दया और प्रेम को जागृत करके हमारे जीवन को सफल बनाते थे। दया और प्रेम मानवता का प्रतीक है आज हमारे समाज में लोग रोटी बैंक के जरिये से उन लोगो तक खाना पहुंचाते है जो लोग असहाय ,वृद्ध ,कमजोर और बेसहारा है यह एक व्यक्ति के प्रति दया और प्रेम को दर्शाता है। इसी प्रकार लोग गरीब बच्चो को पढ़ाते -लिखाते है ताकि वह बच्चे जीवन आगे बड़े और समाज में अपने आपको स्थापित करें।
दया और प्रेम का महत्व / importance of kindness and love
हमें दया और प्रेम का महत्व ऐसे समझना चाहिए कि जब हम किसी कि मदद के लिए अपना हाथ बढ़ाते है और वह व्यक्ति हमें अपना समझकर आशीर्वाद या प्रभु से हमारे लिए प्रार्थना करता है उसके ऐसे भाव हमें दया और प्रेम का सही मतलब समझा देते है क्योकि दया और प्रेम मन के भावों को दर्शाते है जो हमें समझाते है कि एक व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा होना चाहिए और उसे कैसे कर्म करने चाहिए लेकिन हमारे मन में दया और प्रेम के भाव तब उत्पन्न होते है जब हम अपने से अधिक दूसरों के लिए सोचते है और उनके प्रति सजग अपने ह्दय जगह बनाते है तभी हम लोगों को सही मायने में दया और प्रेम का महत्व समझ में आता है। दया और प्रेम हमें जीवन के धर्मार्थ और दानार्थ का एहसास कराते है जिसके के लिए प्रभु ने हमें जन्म दिया था।
हमनें बहुत सी कहानियां सुनी है दया और प्रेम को लेकर जो हमें यह प्रमाणित करती है कि दया और प्रेम एक मानवता का गुण है जो प्रभु के द्वारा मिला हुआ वरदान है। दया और प्रेम हमें अंधकार से बाहर निकालकर हमारे जीवन को प्रकाशवान बनाते है इसलिए कहते है कि दया और प्रेम के बिना इस दुनिया में मानव जीवन का संचालन होना असम्भव था। कहि -कहि पर दया और प्रेम को धर्म से भी ऊपर बताया गया है क्योकि सर्वोच्य दुनिया को चलाने वाले परमपिता हमारे अंदर दया और प्रेम कि भावना को प्रदान करते है ताकि हम जीवन में मानवता को समझ सकें और लोगों को प्रेरित कर सकें ताकि लोग उस पथ पर चल सकें जो परमपिता ने हमको धर्म स्वरूप ज्ञान दिया है इसीलिए हमारे ऋषि -मुनि हमेशा हमको मानवता का ज्ञान का दिया करते थे ताकि लोगों के अन्दर दूसरों के प्रति दया और प्रेम कि भावना हमेशा बनी रहें।
एक राजा थे जिनके पुत्र का नाम सिद्धार्थ था वह राजा चाहते थे कि उनका बेटा एक कुशल शासक बने लेकिन सिद्धार्थ राजा नहीं बनना चाहते क्योंकि वह लोगों को कुछ ऐसा देना चाहते थे कि जिससे मानव जाति में परिवर्तन हो और वह लोग दया और प्रेम को अपना भाव समझकर धर्म के मार्ग पर चले इसीलिए उन्होंने ने अपना राजमहल छोड़कर ज्ञान कि खोज में निकल गए जब उन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लिया तब उन्होंने बौद्ध धर्म कि स्थापना कि और लोगों धर्म जोड़ने का काम किया। उन्होंने लोगों को हर चीज का महत्व समझाया ताकि लोग नास्तिक से आस्थावान बन सकें और धर्म ,कर्म ,वचन आदि के साथ अपना जीवन वितीत क्र सकें। हम लोगों को यह समझना होगा कि जीवन पुरूस्वार्थ ,सिंद्धांत ,स्नेह ,करुणा ,दया और प्रेम से चलता है और हमें इसे अपने जीवन में उतारना होगा तभी हमारा जीवन सफल होगा।
उपसंहार / Epilogue
दया और प्रेम को हमें कुछ ऐसे समझना होगा जैसे हम एक बच्चे कि देखभाल करते हुए हमारा प्रेम उसपर उमड़ता है क्योकि दया और प्रेम कोई चीज या वस्तु नहीं है जिसे हम खरीद लेंगे वह एक भाव है जो हमारे ह्रदय से उत्पन्न होता है। दया और प्रेम हमें एक बेहतर इंसान बनाते है। हमें हमारे धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते है। दया और प्रेम पशु -पंक्षी के प्रति हमारी करुणा को व्यक्त करके हमें दयालु और उदार बनाते है। हमारे जीवन में मानवता सबसे ऊपर होनी चाहिए तभी हम को दया और प्रेम की दृष्टि से देख सकतें है और लोगों को यह समझा सकते है कि यह हमारे पूर्वजो की दी हुई धरोहर है जिसका हमे सदुपयोग करना है क्योंकि मानव धर्म नास्तिक को भी आस्तिक बना देता है।
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