शुक्रवार, 3 मार्च 2023

हम कैसे कह सकते हैं कि पृथ्वी पर जीवन संभव है? / How can we say that life is possible on earth?

हम कैसे कह सकते हैं कि पृथ्वी पर जीवन संभव है? / How can we say that life is possible on earth?


प्रस्तावना / Preface


पृथ्वी पर जीवन कैसे सम्भव हुआ किस तरह से हम इसको समझ सकतें है और कैसे हम यह पता लगा सकतें है कि पृथ्वी पर किस तरह से जीवन जीने के साधन उत्पन्न हुए। पृथ्वी पर किस प्रकार जीव की उत्पत्ति हुई और किस तरह से पृथ्वी पर मानव का जन्म हुआ। ऐसे अनगिनत प्रश्न होते है जो हमारे मन में चलते रहते है। जिसके चलते बहुत सी व्याख्या है जिसमे लोगो ने ऐसे प्रश्नों के उत्त्तर दिए। हमारी पृथ्वी पर जीवन कैसे सम्भव हुआ इसके बारे में दुनियाभर के वैज्ञानिकों का मत है कि बहुत विशाल उल्कापिंड और धूमकेतु के टकराने से पृथ्वी को एक आकार प्राप्त हुआ और जीवन कि संभावनाएं प्रबल हो गयी। लगभग २ करोड़ सालों तक उल्का हमारी पृथ्वी पर गिरते रहे क्योंकि यह उल्कापिंड हाइड्रोजन और आक्सीजन जैसे रासायनिक द्रव्यों को ग्रहण करते है जिसके कारण पृथ्वी कि सतह पानी का भण्डार होने लगा और पृथ्वी पर जीवन कि संभावनाएं प्रवल हो गयी। 





पृथ्वी पर जीवन कैसे सम्भव हुआ / how life on earth became possible


लगभग 5 से 6 अरब साल पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ जब पृथ्वी एक आग का गोला हुआ करती थी। उल्कापिंड और धूमकेतु जब आपस में टकराए तब पृथ्वी को एक आकार प्राप्त हुआ। लगातार उल्कापिंड पृथ्वी पर गिरते रहे जिनसे पृथ्वी पर पानी के स्रोत पैदा हुए क्योंकि उल्का में हाइड्रोजन और आक्सीजन जैसे रासायनिक तत्वों को ग्रहण करने कि क्षमता थी जिससे पृथ्वी की सतह पर पानी इकट्ठा होने लगा और पृथ्वी पर जीवन की संभावनाएं बढ़ने लगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि जीव कि उत्पत्ति दूसरे ग्रह हुई थी और उनको पृथ्वी पर छोड़ा गया था प्रश्न यहनहि था कि जीव उत्पन्न कैसे हो बल्कि प्रश्न यह था कि जीव पृथ्वी पर कैसे फले -फूलेगा क्योंकि पृथ्वी जीवन के लिए एक अच्छा ग्रह था जरूरत थी उन चीजों के निर्माण की जिससे जीवन पनप सकें। 


पृथ्वी पर जीवन लगभग 4 अरब साल पहले शुरू हुआ था। पृथ्वी पर लगातार गिरने वाले उल्कापिंडो से जटिल कार्बनिक अणुओं ,ऊर्जा और पानी अपने अस्तित्व में आए जिसकी वजह से पृथ्वी में रहना सम्भव हो पाया। पृथ्वी एक ऐसा ग्रह जिसकी सूर्य कि दिशा बिलकुल सही है और ओजोन की परते है जो पृथ्वी को पराबैगनी किरणों से बचाती है। उत्पत्ति को लेकर अलग -अलग व्याख्याए है जैसे 1871 में अंग्रेजी वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने अपना सुझाव देते हुए कहा कि जीवन कि शुरुआत एक ऐसी जगह पर हुई होगी जो छिछली तलैया रही होगी जहा पर गरम भरा रहा होगा जिसमे हर तरह कि अमोनिया और फास्फोरस गैसे रही होगी जिसमें सूर्य के प्रकाश ,गर्म तापमान और विधुत इनकी होने वाली हलचल से प्रोटीनयुक्त मिश्रण बना होगा जिससे जीव कि उत्पत्ति हुई होगी।


पृथ्वी पर जीवन सम्भव बना यह कहना था रूस के एक वैज्ञानिक अलेक्जेंडर ओपेरिन का 1924 में इन्होने कहा कि वायुमंडल में स्थित आक्सीजन कार्बनिक अणुओं के संशेलषण को रोकती है क्योकि कार्बनिक अणुओं के बनने से जीवन कि उत्पत्ति होती है।अगर कोई जगह ऐसी जहा आक्सीजन मुक्त वातावरण हो जिस जगह पर सूर्य के प्रकाश से कार्बनिक अणुओं का एक प्राचीनतम सूप (primitive broth) बनकर इकट्ठा हुआ हो और किसी भी जटिल विधि में विलय होकर छोटी -छोटी बूदें बनी होगी इसी प्रकार और अधिक विलय करके वृद्धि हुई होगी जिसके विभाजन के द्वारा अपने समान जीव की उत्पत्ति की होगी। ठीक इसी प्रकार दुनिया भर के वैज्ञानिकों के अलग -अलग मत है। व्याख्या भले ही अलग हो लेकिन जो जीवन कि उत्पत्ति की प्रक्रिया बताई गयी वह लगभग एक समान है 


पृथ्वी पर प्रारम्भ में आक्सीजन नहीं था लेकिन जैसे -जैसे पानी के स्रोत पृथ्वी पर बढ़ते गए वैसे ही धीरे -धीरे पृथ्वी पर आक्सीजन का अस्तित्व बढ़ता गया और एक प्रचुर मात्रा में आक्सीजन पृथ्वी में उपलब्ध हो गयी थी पृथ्वी पर पायी जाने वाली आक्सीजन हरे पौधों से प्राप्त हो रही थी क्योंकि पौधे प्रकाश के संयोग से पृथ्वी के वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करते थे और उसके बदले में ऑक्सीजन बाहर छोड़ते थे वैज्ञानिकों के शोध के आधार पर कहा जाता है की दुनिया में पहला सूक्ष्मजीव साइनोबैक्टीरिया नाम के हरे पौधे के जीवाश्म मिले है इससे आप यह समझ सकतें है शुरुआत में पैदा होने वाले जीव ऑक्सीजन से सास नहीं लेते थे बल्कि बिना ऑक्सीजन के सास लेते थे आज के जीवों की तरह नहीं जिन्हे जीने के लिए ज्यादातर ऑक्सीजन कि जरूरत पड़ती है। 


इस दुनिया में सबसे पहला जीव कौन है / Who is the first creature in this world


आज सैकड़ों सालो से दुनिया भर के वैज्ञानिक शोध कर रहे बहुत से वैज्ञानिकों का तर्क भले ही अलग हो लेकिन निष्कर्ष एक ऐसा ही होता है। बहुत से शोधों के अनुसार एक वसा का पता चला था जिसे हम कोलेस्ट्रॉल भी कह सकतें है। इसकी वजह से उस प्रश्न का भी उत्त्तर भी मिल गया जिस चीज का शोध वैज्ञानिक कर रहें थे वैज्ञानिको के अनुसार धरती पर पैदा होने वाला डिकिनसोनिया नाम का जीव का जन्म हुआ था। जो दुनिया का पहला जीवाश्म है। डिकिनसोनिया का आकर अंडाकार होता था जिसकी लम्बाई एक दीवार जैसी संरचना होती थी। इस जीव के बारे में जानने के बाद यह पता चलता है कि तकरीबन 55 से 57 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर बहुत ज्यादा मात्रा में मौजूद थे। वैज्ञानिको का कहना है कि यह जीव एडियाकारा बायोटा का हिस्सा हुआ करता था। 


वैज्ञानिको का कहना है कि डिकिनसोनिया नामक जीवाश्म पृथ्वी पर उस वक्त हुआ करते थे जब यहां पर चारों तरफ बैक्टीरिया ही मौजूद था मतलब सुचारु रूप से जीवन शुरू होने से तकरीबन 2 करोड़ साल पहले हुआ था। ऐसे डिकिनसोनिया जीवों को ढूढ़ना वैज्ञानिको के लिए बहुत मुश्किल हो रहा था जो कार्बनिक पदार्थ से युक्त हो इस तरह के जीवाश्म आस्ट्रेलिया में पाए गए थे मगर करोड़ों सालों में बहुत सी चीजों का असर उन पर पड़ा था जिससे उनके वास्तविक अस्तित्व को जानने में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पडा। एक वैज्ञानिक ने बताया कि मै ऐसी जगह पर गया जहा पर भालुओं और मच्छरों का बसेरा था। ऐसी जगह पर मुझे डिकिनसोनिया जीवाश्म के अवशेष मिले जिनपर कार्बनिक पदार्थ मौजूद थे। 


उपसंहार / Epilogue


हम यह कैसे कह सकतें है कि पृथ्वी पर जीवन कैसे सम्भव हुआ है। इस चीज को लेकर सौकड़ों सालों से दुनिया भर के वैज्ञानिको द्वारा हजारों खजे हुई और आज भी हो रही है। क्या वास्तव में हम कभी यह सच्चाई जान पाएगे कि पृथ्वी पर जीवन कैसे आया और कैसे हमारी पृथ्वी में जीवन सम्भव हुआ क्योंकि वैज्ञानिक मिलने वाले अवशेषों से अंदाजा लगाते है कि इन चीजों से पृथ्वी में जीव कि उत्पत्ति हुई लेकिन पूर्णतः पुष्टि नहीं करता है। वास्तव में हमारे ऋषि -मुनि इस रहस्य से पूर्णरूप से परिचित थे क्योंकि वह उस समय के प्राणी थे जब इस धरती पर जीवन पनप रहा था हम यह भी कह सकतें है कि हमारे ऋषि -मुनियों का जन्म किसी और ग्रह में हुआ होगा और पृथ्वी में जीवन होने के बाद उन्हें यहां पर छोड़ा गया हो ताकि पृथ्वी में होने वाली चीजों के वह साक्षी बन सकें। 



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