जीवन के बारे में कुछ बुनियादी ज्ञान / Some basic knowledge about life
प्रस्तावना / Preface
हमारा जीवन जो प्रभु के द्वारा निर्मित की गयी सबसे सुन्दर रचना का फल है जिसका अर्थ है दुनिया में धर्म का प्रचार करना लोगों को धर्म के रास्ते में चलने के लिए प्रेरित करना ताकि दुनिया भर के मानव जीवन के महत्व को समझ सकें और उसे कर्तव्य के पथ पर अग्रसर कर सकें। वैसे तो व्यक्ति बहुत महत्वाकांक्षी होता है लेकिन जो व्यक्ति महत्वाकांक्षी होते हुए दूसरों के उत्थान के लिए कार्य करें। कभी किसी के साथ भेदभाव ना हो और ना ही किसी को छोटा और बड़ा समझा जाए मानव जीवन की प्रक्रिया में सभी को एक समान सम्मान मिले क्योंकि मानव एक माध्यम है धर्म का विस्तार करने के लिए जिसका चुनाव स्वयं प्रभु ने किया है। हमारे जीवन का बुनियादी ज्ञान यही है की मानव को हमेशा भगवान के बताय रास्ते में ही चलना चाहिए।
जीवन के बारे में कुछ बुनियादी ज्ञान / Some basic knowledge about life
ज्ञान / Knowledge
ज्ञान मानव जीवन का मूल आधार है क्योंकि ज्ञान के बिना मानव का कोई अस्तित्व नहीं। प्राचीनकाल में हमारे ऋषि -मुनि ज्ञान को अर्जित करने के लिए तपस्या किया करते थे और कहते है कि प्रभु स्वयं उन्हें वह ज्ञान प्रदान करते थे जिससे ऋषि -मुनि मानवजाति का कल्याण कर सकें। ज्ञान से ही हमारे ऋषि -मुनि दुनिया पहले और सबसे बड़े वैज्ञानिक बने और उन सभी चीजों का अविष्कार किया जो दुनिया के लिए कल्याणकारी बनें। जैसे -चिकित्सा के लिए आयुर्वैदिक ,मानव और अन्य प्राणिजति के भरण -पोषण के लिए खाद्य सामग्री ,राक्षसों और असुरों से हमारी रक्षा करने हेतु घातक हथियार बनाये जिससे धर्म और मानवजाति की रक्षा हो सकें।
शिक्षा / education
शिक्षा जीवन का एक ऐसा हथियार जिसके बिना जीवन का कोई आधार नहीं होता है। शिक्षा के बिना हमें लिखना और पढ़ना नहीं आ सकता है। प्राचीनकाल में लोग तपस्या और साधना से ज्ञान प्राप्त कर लेते थे लेकिन उस ज्ञान को दुनिया तक पहुंचाने के लिए उन्हें भी लिखना पढ़ना सीखना पड़ता था। आज की इस दुनिया में जहां टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा हावी हो चुकी है वहा हम बिना पढ़े -लिखें कुछ नहीं जान सकतें है। हम आज कम्प्यूटर ,मोबाइल या अन्य गैजेट को चला तो सकतें है लेकिन बिना पढ़े -लिखें पेशेवर तोर से उसमे काम नहीं कर सकतें है इसलिए हमारा पढ़ा -लिखा होना एक बुनियादी जरूरत है।
प्रकृति संसाधन / nature resources
प्राकृतिक संसाधन के बिना हम अपना जीवन वितीत नहीं सकतें है क्योकि हमारी बुनियादी जरूरत प्रकृति द्वारा दिए गए संसाधनों से पूरी होती है जो हमारे और अन्य प्राणिजति के लिए वरदान है।प्रकृति के द्वारा दिए गए संसाधन पेड़ -पौधे ,धरती ,आकाश ,हवा ,पहाड़ ,झरने ,अनाज ,फल -फूल ,धातु ,आग और पानी आदि जो मानव जीवन और अन्य प्राणिजति के जीवन के लिए बुनियादी जरूरत है जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते है इनके बिना हमारा जीवन नहीं हो सकता है हमारे साथ सभी प्राणिजति का जीवन प्राकृतिक संसाधन से जुड़ा हुआ है और जीवन का सबसे बड़ा ज्ञान यही है कि हमें हमेशा प्राकृतिक संसाधन में जीना सीखना चाहिए क्योकि प्राकृतिक संसाधन हमें कर्मनिष्ठ बनाते है।
योग और साधना / yoga and meditation
जीवन के बारे में एक बुनियादी ज्ञान योग और साधना भी है। योग और साधना हमारे मन के विकारों को हमसे दूर करते है। यह हमें प्रभु के समीप लाते है। योग हमारे शरीर को मजबूत और स्वश्थ बनाता है योग हमारे मस्तिष्क को शांत करता है और हमारी अंदर की शक्ति को बढ़ाता है। वही साधना हमारी इन्द्रियों को नियंत्रण करना सिखाती है। योग और साधना का उल्लेख हमारे ऋगुवेद में किया गया है। हम लोग योग में कई तरह कि क्रिया करते है जिन्हे हम आसन कहते है। योग और साधना से हमारे ऋषि -मुनि अपने सप्त चक्र जागृत करते थे जिससे वह मन की गति से पूरे ब्रह्माण्ड का भृमण कर लेते थे।
आस्था / Faith
आस्था एक भाव है जो हमें हमारी संस्कृति से प्राप्त होता है हमारी संस्कृति हमारे अन्दर धर्म का संचार करती है। धर्म उसे कहते जो हमें धैर्य ,क्षमा ,इन्द्रियदमन ,चोरी ना करना ,पवित्रता बनाए रखना ,संयम बनाए रखना ,बुद्धि का सदुपयोग करना ,विद्या का ज्यादा से ज्यादा वितरण करना ,सत्य के मार्ग पर चलना ,क्रोध ना करना और अत्याचार ना करना आदि धर्म हमें यही सिखाता है। जिसके अन्दर ऐसी चीजें घर बना लेती है ऐसे व्यक्तियों के अन्दर आस्था का सर्वोच्य स्थान होता है। आस्था का मतलब सिर्फ प्रभु से नहीं होता लेकिन प्रभु से ही आस्था का उदय होता है। आस्था हमारे अन्दर चरित्र ,निति ,भक्ति ,अध्यात्म ,शक्ति ,योग और भाव को प्रकट करने का साधक है। जीवन के बारे में कुछ बुनियादी ज्ञान आस्था से भी प्रकट होते है।
संस्कृति ,सभ्यता और परम्पराए / Culture Civilization and Tradition
हमारे जीवन में संस्कृति ,सभ्यता और परम्पराए हमारे बुनियादी ज्ञान को दर्शाती है जिससे हमारा एक वजूद बनता है। अगर हमारे जीवन में संस्कारों का ज्ञान ना होता ,सभ्यता का स्तम्भ नहीं होता और परम्पराओं की डोर ना होती तो मानवता क्या है यह हम कभी नहीं समझ पाते। हमारे संस्कार हमारे आचरण ,शिष्टाचार ,चरित्र ,सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रकृति संसाधन की सुरक्षा करना आदि होता है। हमारी सभ्यता मानवजाति के विकास को दिखाती है जो हमारे पूर्वजों और ऋषि -मुनियों के द्वारा मिली है हमारी परम्पराए हमारे तीज -त्योहारों , भाषा शैली ,हस्त शिल्पकला ,गीत -संगीत और कला कृतियाँ आदि चीजें हमारी परम्पराओं का हिस्सा है।
दिनचर्या / a routine
हमारे जीवन का सबसे बड़ा बुनियादी ज्ञान हमारी दिनचर्या होती है जो हमारे स्वास्थ्य को ठीक रखती है। हमारे जीवन की दिनचर्या हमारे संस्कारों को दिखाती है क्योंकि एक अच्छी दिनचर्या जीवन को कर्तव्य पथ पर ले जाने का कार्य करती है। हमारी दिनचर्या हमें एक मेहनती और प्रतिष्ठावान बनाती है। अच्छी दिनचर्या हमें अपने आदर्शों और हमारे भावों को दर्शाती है। योग -साधना और आराधना दिनचर्या का हिस्सा होता है। दिनचर्या हमारे दिनभर के कार्यों को बताती है जो हमें मानव धर्म के साथ जीना सिखाती है।ऊपर मैंने एक चित्र लगाया है जिसमे एक मधुमक्खी फूल का रस चूस रही है यही हमारी दिनचर्या का मुख्य कार्य है क्योकि यह हमें हमारी मेहनत को और हमारी कर्तव्य को दिखता है।
उपसंहार / Epilogue
हमारे जीवन के कुछ बुनियादी ज्ञान हमारे जीवन को सुचारु रूप से चलाने का ज्ञान है। ज्ञान हमारे जीवन को कर्मठ ,सिद्धान्तवादी ,कर्तव्यपरायण और निष्ठावान बनाने का कार्य करता है क्योंकि यही हमारे जीवन का मूलमंत्र है जिसमे हम हर चीज का सम्मान करते है प्रकृति के द्वारा दिए हुई सभी चीजों को नमन और उनकी पूजा भी करते है क्योकि प्रकृति क्र द्वारा दी हुई चीजें हमारे जीवन जीने का मूल आधार है जिनके बिना हमारा जीवित रहना सम्भव नहीं है और इन्ही सब चीजों से हमें जीवन जीने का बुनियादी ज्ञान प्राप्त होता है जो हमारे जीवन को प्रकाशवान बना देते है जो हमें जीवन और मृत्यु का अर्थ समझाते है और हमारे कर्मफल को भी दिखाते है।
https://hamarizindagi369.blogspot.com/
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