जीवन में महामारी का प्रभाव अर्थव्यवस्था शिक्षा बैंकिंग क्षेत्र समाज दैनिक जीवन / Impact of Epidemic in Life Economy Education Banking Sector Society Daily Life
प्रस्तावना / Preface
जीवन कि सबसे बड़ी महामारी करोना जिसके आने से सबकुछ रुक गया स्कूल ,कॉलेज ,बैंक ,व्यापार ,उद्दोग धन्धे और देश कि अर्थव्यवस्था आदि चीजें जो करोना जैसी महामारी के आगे वेबस हो गयी लोग अपने घरों में कैद हो गए ,रास्तों में सन्नाटा छा गया ,लोग एक दूसरे से दूर रहने लगे ,चेहरे पर मास लगाकर सामान लेने के लिए बाहर निकलते थे। मैने अपने जीवन में ऐसी महामारी नहीं देखी जिसमे लोगों के घर पिजरें बनाकर लोगों को कैद कर दिया गया हो। दुनिया में चारों तरफ मौत का मंजर था सिर्फ लाशें ही लाशें नजर आ रही थी। एक वायरस जिसने पूरी दुनिया तबाह और बर्बाद कर दी जिसकी वजह से लोगों के पुरे परिवार बर्बाद हो गए दुनियाभर के देशों कि सरकारों ने लोगों कि भलाई के लिए हर सम्भव प्रयास किये।
महामारी एक त्रासदी / pandemic a tragedy
महामारी एक त्रासदी है जो हमनें २०२० में करोना वायरस के रूप में देखने को मिली जिसने सबकुछ रोक दिया लोगों के घर लोगों के लिए पिंजरे के समान हो गए। एक ऐसी त्रासदी का समय जब लोग अपनों को छूने से डरने लगे। पूरी दुनिया में अपरा -तफरी मच गयी क्योंकि लोग मौत का मंजर देख रहे थे जिसके कारण लोग भयभीत हो रहे थे। करोना वायरस ऐसी महामारी बनी जिस वजह से स्कूल ,कॉलेज ,व्यापार ,उद्दोग धंधे सब बन्द हो गए इस कारण दुनियाभर के देशों कि अर्थव्यवस्था नीचे गिरती जा रही थी किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे सब ठीक करें लोगों को उनके देश और उनके घरों तक पहुंचाने के लिए सरकारों और संस्थाओं ने हर तरह से लोगों को सुविधा उपलब्ध करवायी ताकि लोग अपने घरों तक पहुंच सकें।
सरकारों के आदेश पर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी के प्रति कमर कसीं और लोगों के लिए २४ घंटे काम करना शुरू किया। डॉक्टर ,नर्स ,वार्डबॉय ,फॉर्मेसी कंपनियां और एम्बुलेंस आदि कि सेवाएं २४ घंटे उपलब्ध करवायी गयी। वही पुलिस प्रशासन लोगों को एक जगह इकट्ठा होने ,घरों से निकलने और बेवजह बाहर घूमने से रोक रहा था वह लोगों समझा भी रहें और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग भी कर रहें थी ताकि लोग सुरक्षित रहें। दुनिया कि सरकारें वैज्ञानिकों के द्वारा बनाई जा रही दवा का इन्तजार कर रही थी। बहुत इंतजार के बाद करोना कि पहली दवा रूस में बनी और फिर भारत में भी दवा बन गयी। लोगों वैक्सीन देने का काम शुरू हुआ लेकिन दवा एक हद तक ही असरदार थी मगर फिर भी लोगों को बहुत राहत मिल रही थी।
दवा को लेकर देश -दुनिया में बहुत अफवाह फैलाई जा रही थी। तब प्रशासन ने लोगों को जागरूक करने का काम किया जिससे सरकारें लोगों को वैक्सीन देने में कामयाब हो रही थी लेकिन लोग अभी भी दहशत में जी रहें क्योंकि पहली लहर कि अपेक्षा दूसरी लहर ने ज्यादा तबाही मचाई थी करोना वायरस ने बच्चों का खेल -कूद और उनका बचपना सब छीन लिया। गरीब लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गया। सरकार ने और संस्थाओं लोगों को खाना ,कपड़ें आदि चीजें उपलब्ध करवाई ताकि कोई व्यक्ति भूखा ना रहें। करोना वायरस कि वजह गरीब लोगों कि रोजमर्रा के जीवन में बहुत असर पड़ा जिसकी वजह से गरीब आदमी भुखमरी की कगार में पहुंच गया
स्कूल और कॉलेज / Schools and Colleges
करोना वायरस कि वजह से स्कूल ,कॉलेज बन्द हो गए जिसकी वजह से कॉलेज के छात्रों को अपने भविष्य से और स्कूल के बच्चों को अपने बचपनें से समझौता करना पड़ा। प्राइवेट स्कूल ,कॉलेज के कर्मियों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ क्योंकि इस महामारी कि वजह से उनकी नौकरी चली गयी जिसके कारण वह लोग बेरोजगार हो गए। बच्चों और छात्रों के २ साल उनकी पढ़ाई -लिखाई के बर्बाद हो गए। शिक्षा बर्बाद होने से शिक्षा प्रणाली से जुड़ें हुए लोग भी बर्बाद हो गए क्योकि स्कूल ,कॉलेज बन्द होने से उससे जुड़ा व्यापार भी बाधित हो गया। जिसके कारण उससे जुड़े लोग बेरोजगार हो गए।
बैंकों का कामकाज बाधित / Banks work disrupted
महामारी त्रासदी से बैंकों का कामकाज बहुत बाधित हुआ। बैंकों के कामकाज में बहुत गिरावट आ गयी थी लोगों ने रुपये का लेन -देन बन्द कर दिया था जिसकी वजह से बैंकों के शेयर में भरी गिरावट आ गयी थी। जीवन में ऐसी त्रासदी नहीं देखी जिसने पुरे बैंकिंग सिस्टम को हिला कर रख दिया था। रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार करोना से हुए नुकसान की भरपाई करने में १० से १२ साल का समय लग जायगा क्योंकि बीते तीन वर्षो में देश को ४५ से ५० लाख करोड़ का नुकसान हुआ है जिसके कारण देश के बैंकों और अर्थव्यवस्था का बैलेंस बिगड़ गया है। देश को पहले की तरह मजबूत बनाने के लिए विकास की ग्रोथ को तेजी से बढ़ाना होगा।
व्यापार और अर्थव्यवस्था बाधित / business and economy disrupted
महामारी में सबसे ज्यादा नुकसान व्यापार और अर्थव्यवस्था को हुआ। भारत कृषि -प्रधान देश है इसलिए हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि से आता है जो बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन महामारी के आने से कृषि बहुत प्रभावित जिससे अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ जिसका असर व्यापार पर हुआ और हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी और नुकसान में चली गयी क्योंकि किसी भी देश कि अर्थव्यवस्था तभी ऊपर बढ़ती है जब देश को आमदनी होती है और व्यापार के बुनियादी ढांचे तैयार होते रहते है उसी से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है और देश तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ता है लेकिन करोना वायरस ने देश कि अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया।
महामारी कि वजह से जब व्यापार धीमा पड़ने लगा उद्दोग धन्धे बन्द होने लगें। इसका सबसे बड़ा नुकसान कारखानों में काम कर रहें मजदूरों का हुआ। कारखानें बन्द होने कि वजह से ट्रांसपोर्ट में असर पड़ा और उनमें काम करने वालों पर भी। देश के विकास में हर क्षेत्र का सहयोग होता है और हर क्षेत्र के कुल उत्पाद से देश कि अर्थव्यवस्था बनती है जो देश के विकास का प्रतिशत बताती है। देश की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए रोजगार को बढ़ाना देना होगा ,बेरोजगारी को खत्म करना होगा और रिकवरी ग्रोथ में वृद्धि करनी होगी। स्टॉक मार्केट ,ऑटोमोबाइल ,इंफ्रास्टक्चर ,फॉर्मेसी सेक्टर ,आईटी सेक्टर और पर्यटन सेक्टर आदि को बढ़ावा देना होगा। हमें दूसरे देशों से आयात को कम करना होगा और अपने निर्यात को बढ़ाना होगा।
महामारी समाज के विकास में बाधक / Pandemic hinders the development of society
महामारी की वजह से समाज का विकास पूरी तरह से बाधित हो गया था क्योंकि लॉकडाउन के कारण सामाजिक स्तर के कार्य बाधित हो गए जो लोग समाज कल्याण के कार्य करते थे उनका लोगों तक पहुंचना मुश्किल हो गया। लोगों के शादी -व्याह रुक गए ,तीज -त्यौहारों पर रोक लगा दी गयी ,पूजा -पाठ के स्थलों को बन्द कर दिया गया ,समाज के निम्नतपके को जागरूक और उनके विकास के कार्य रुक गए। छोटी से छोटी चीजों में खुशिया मनाने वाला समाज ,शोरगुल के बीच जीने वाला समाज एकदम शान्त हो गया था क्योंकि उसके पास करने के लिए कुछ नहीं था।
हमारा दैनिक जीवन / our daily life
महामारी की त्रासदी के दिनों को यादकर बहुत तकलीफ होती है कैसा समय आया हमारे दैनिक जीवन में जब हम अपने ही घरों में कैद होकर रह गए थे सुबह से शाम तक का समय गुजरना इतना मुश्किल होता था कि उसको शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल है। घर से बाहर जा नहीं पाते थे क्योकि पुलिस प्रशासन का पहरा होता था और घर एक तनाव बन गया था हमसे अच्छे जानवर थे जो खुलेआम सड़कों में घूम रहें थे। करोनाकाल में सबसे ज्यादा गरीब और असहाय व्यक्तियों का जीवन प्रभावित हुआ। क्योंकि रोज मजदूरी करके भरण -पोषण करने वाले लोग बेरोजगार हो चुकें थे। करोनाकाल में दैनिक जीवन को लेकर सबकी अपनी एक कहानी है जिसे वह कभी नहीं भूलेगा।
महामारी से प्रकृति को लाभ / Nature benefits from pandemic
महामारी से मानव ,जीव -जन्तु ,पशु -पन्क्षी आदि का जीवन अस्त -वस्त हो गया लेकिन प्राकृतिक संसाधनों को बहुत लाभ हुआ पेड़ -पौधे ,नदिया प्रदूषण मुक्त हो गयी थी आसमान से प्रदूषण खत्म हो गया था क्योंकि लॉकडाउन के कारण कारखाने ,हवाई जहाज ,निजी वाहन और ट्रांसपोर्ट सबकुछ बंद थे जिसके कारण प्रदूषण में भारी गिरावट आ गयी थी। जानवर तो जंगल छोड़ सड़कों में घूमने लगें थे क्योंकि शायद उन्हें शहरों का शोर नहीं सुनाई दे रहा था। मौसम में बदलाव आ चूका था और हमारी हवा शुद्ध हो चुकी थी जिसके कारण हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त हो रही थी।
उपसंहार / epilogue
करोना वायरस जैसी महामारी मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी जिसने लोगों का घर से निकलना बन्द करा दिया। जिसने अपनों को अपनों से दूरकर दिया जिसमें जानवर खुलेआम घूमते थे और इन्सानों पर पहरा लगा था जिसमे लोगों को भूख से लड़ते देखा ,अपनी जान बचाने के लिए भागते देखा ,मौत का मंजर ऐसा देखा की श्मशान में जलाने की जगह नहीं थी कहि जमीन में गड़ी लाशें देखी तो कहि नदियों तैरती देखि। देश की अर्थव्यवस्था को गिरते देखा लोगों को जिंदगी से जूझते और लड़ते देखा जीवन में अच्छा अनुभव था जो एक एहसास की तरह जीवनभर हमारे साथ रहेगा जिसे हम कभी नहीं भूलेंगे।
https://hamarizindagi369.blogspot.com/
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