जीवन न भविष्य में है और न अतीत में जीवन केवल वर्तमान में है / Life is neither in the future nor in the past Life is only in the present
प्रस्तावना / Preface
भूत ,भविष्य और वर्तमान यह तीनों समय चक्र है जो हमारे जीवन को अपने आधीन रखतें है। जब हम जन्म लेते है तभी से भूतकाल ,भविष्य और वर्तमान तीनों हमारे साथ जुड़ जाते है क्योंकि हमारे जीवन का पूरा समय चक्र हमारी मृत्यु तक इन्ही तीनों के बीच में फसा होता है। जैसे -हमारे जीवन का गुजरने वाला एक -एक दिन भूतकाल बन जाता है जो कर रहें होते है वह हमारा वर्तमान होता है और जो आने वाला समय होता है वह हमारा भविष्य को बयान करता है। हम कहि ना कहि अपने वर्तमान से ज्यादा अपने गुजरे हुए कल और आने वाले कल में ज्यादा परेशान रहते है इस वजह से हम वास्तविक जीवन जीना भूल जाते है। हमें अपने अतीत की यादें साथ रखनी चाहिए ना की उसको लेकर परेशान रहना चाहिए वही आने वाले भविष्य की योजना बनाना चाहिए और उसके लिए काम करना चाहिए ना की उसको लेकर चिंतित रहना चाहिए।
हमारा भूतकाल / our past
हमारा भूतकाल जो हमारे लिए एक गुजरा हुआ कल होता है और हमें उस गुजरें हुए समय को हमेशा याद की तरह ही रखना चाहिए ना कि उसमें उलझें रहना चाहिए क्योंकि जब हम अपने अतीत में उलझें रहतें है तो हम अपना वर्तमान खराब कर लेते है। भूतकाल एक गुजरा हुआ कल है जो हमें जीवन की सीख देता है ताकि जो गलतियां हमनें की है उन्हें सुधार सकें और की हुई अच्छाइयों से जीवन में अनुभव ले सकें क्योंकि जीवन में हमारा अनुभव ही काम आता है जो हमारे जीवन को बदलनें की ताकत रखता है लेकिन हम देखतें है की व्यक्ति का मन अपने भूतकाल में लगा रहता है। व्यक्ति को सोचना होगा कि जो घटित हो चूका है उसका वर्तमान में कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह अभी है ही नहीं और जो है नहीं उसके लिए क्यों परेशान होना। हम अपने भूतकाल को अपने आप से अलग नहीं कर सकतें क्योंकि वह भी हमारे जीवन का हिस्सा है लेकिन उसमें हमारा कोई जीवन नहीं होता है इसलिए उसे लेकर जीने वाले लोग अक्सर अपने वास्तविक जीवन को भूल जाते है।
जीवन वर्तमान में है / life is in the present
वर्तमान जीवन काल का एक ऐसा समय जो हमारे भूतकाल और भविष्य से बिलकुल अलग होता है जो हमारा वास्तविक जीवन है लेकिन लोग अपने वर्तमान को अक्सर दरकिनार कर देते क्योंकि वह अपने अतीत और भविष्य के सपनों में परेशान रहते है और यह ऐसे लोग करते है जो लोग जीवन से परिचित नहीं होते है जो पूरा जीवन सिर्फ भ्रम में जीते रहते है। कभी -कभी हमें वर्तमान समय को जीने के लिए भूतकाल में किये हुए कार्यों और भविष्य से जुड़ें हुए सपनों से हमें सीख लेकर अपने वर्तमान को जीने की कोशिश करते है जो हमारे लिए लाभदायक होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे वर्तमान को जीने के लिए वह हमारी राह को हमेशा आसान बनाएंगे इसलिए हमें कभी उसी में खोएं नहीं रहना चाहिए और अगर हम खुश रहना चाहतें है तो हमें वर्तमान में जीना सीखना चाहिए क्योंकि हमें जीवन में सफलता तभी मिलेगी जब हम वर्तमान के वास्तविक जीवन को समझेंगे।
वास्तविक जीवन यानि हमारा वर्तमान इसको हम कुछ ऐसे समझ सकतें है। महाभारत युद्ध के समय जब अर्जुन ने अपने सामने उन लोगों को देखा जो लोग उसे बहुत प्रिय थे तब उसके हाथ से शस्त्र छूट गए और उसने कहा मै युद्ध नहीं करुगा तब भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता का उपदेश दिया। श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा यह तुम्हारा वर्तमान है और तुम्हारा वर्तमान तुम्हे युद्ध करने का आदेश देता है और यही तुम्हारा कर्तव्य है क्योंकि तुम्हारा वर्तमान ही है जो तुम्हारे कर्मक्षेत्र को पूरा करता है। भूतकाल और भविष्यकाल में तुम्हारा कोई नियंत्रण नहीं है इसलिए उसके लिए परेशान मत हो क्योंकि भूतकाल बीत चुका है और भविष्य कभी आता ही नहीं वह सिर्फ हमारे मन का एक भ्रम होता है जो हमारे अंदर जबरन एक आस को जगाए रखता है इसलिए तुम सिर्फ अपना कर्म करो फल की चिन्ता मत करों क्योंकि उसकी चिंता करना किसी ओर का काम है क्योंकि एक जीवन के लिए वर्तमान में किया हुआ कार्य उसका कर्म प्रधान होता है।
जीवन का भविष्य / future of life
जीवन का भविष्य जिसके लिए हर व्यक्ति अक्सर परेशान रहता है। कभी अपने लिए तो कभी अपने बच्चों के लिए लेकिन वास्तव में भविष्य कभी होता ही नहीं वह सिर्फ हमारे मन का एक छलावा है जिसे हम कभी समझ नहीं पाते है लेकिन हमारी परिस्थितियां हमें आने वाले समय के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है और हम उस भविष्य की चिंता में परेशान रहने लगते है जो कभी आता ही नहीं क्योंकि कल कभी होता ही नहीं है और जो चीज है ही नहीं उसके परेशान क्यों होना। जीवन में कल की चिन्ता करना हमारी मुश्किलों को बढ़ाता है जो कहि ना कहि हमारे वर्तमान जीवन को प्रभावित करता है। भविष्य पर हमारा कोई अधिकार नहीं होता है क्योंकि भविष्य हमारा एक दृष्टिकोण है जो हमारे मन को भ्रामिक और उत्तेजित करता रहता है कुदरत के द्वारा बनाएं हुए नियमों का उललंघन करने के लिए और उसका संतुलन बिगाड़ने के लिए जो हमारे जीवन के लिए हानिकारक होता है।
हम सभी लोग यह जानते है कि हमारा भविष्य पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। हमारा जीवन ग्रह गोचर पर स्थिर होता है और उन्ही के संयोग से हमारे जीवन में घटनाएं घटती है और हम उन संयोगों के प्रणाम स्वरूप है। हमारी किसी कार्य की प्रवलता हमारे संयोग मजबूत बनाती है और हमारे लिए उस कार्य को करती है जो हम करना चाहते है लेकिन हमें भी यह सोचना होगा कि हम उन चीजों को पहचानें जो कुदरत हमसे करवाना चाहती है इससे हम प्रकृति के रास्ते में बाधक नहीं बनते है। जब हम अनावश्यक चिंताए और घबराएं हुए होते है इसका मतलब है कि हम भविष्य में जी रहें है जो निरंतर व्यर्थ होता है क्योंकि भविष्य की वजह से हम अपना वर्तमान खो देते है। वर्तमान जो जीवन का परम् सत्य है जो हमारे भूतकाल और भविष्य से विपरीत होता है क्योंकि भूतकाल हमारे अतीत को दिखाता है और भविष्य एक कल्पना मात्र होता है।
उपसंहार / Epilogue
भूतकाल ,भविष्य और वर्तमान यह तीनों हमारे जीवन के समय चक्र को दर्शाते है। भूतकाल जो हमारे बीते हुए समय का सूचक होता है जो हमें कहता है कि मैं तुम्हारा अतीत हूँ इसलिए मुझसे ऊपर उठों और वर्तमान को अपना प्रेरणा स्रोत बनाओं जिससे हम अपने जीवन को कर्मपूर्ण बना सकें क्योंकि वर्तमान ही हमारा एक वास्तविक जीवन का प्रतीक है जो हमें हमेशा एहसास कराता है कि सिर्फ मैं ही हूँ वही अगर हम भविष्य की बात करें तो वह सिर्फ हमारा एक दृष्टिकोण है जो हमारी योजनाओं और सपनों में नजर आता है और उसी को हम भविष्य समझते है। हम यह कह सकतें है की भूतकाल ,वर्तमान और भविष्य इन तीनों का महत्व अपनी जगह पर सही है लेकिन हमारा वास्तविक जीवन सिर्फ वर्तमान में होता है जिसे अक्सर हम अतीत और भविष्य के चक्रव्यूह में फंस कर दरकिनार कर देते है।
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