मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

मन की शक्ति और ऊर्जा वास्तव में जीवन का सार है / The power and energy of the mind is really the essence of life

 मन की शक्ति और ऊर्जा वास्तव में जीवन का सार है / The power and energy of the mind is really the essence of life



प्रस्तावना / Preface



मन की शक्ति बहुत तीव्र होती है क्योंकि मन स्वयं में एक ऊर्जा है जो प्रकाशमय होकर हमारे शरीर में विद्यमान होती है। यही ऊर्जा आत्मा के रूप में परमात्मा में विलीन होती है और यही ऊर्जा होती है जो हमारे शरीर का निर्माण होता है इसलिए हम यह कह सकतें है कि हमारी मन की शक्ति और ऊर्जा हमारे वास्तविक जीवन का सार है। हमारी आत्मा हमारे मन की शक्ति और ऊर्जा का संचार करती है। यह वह शक्ति है जो सारे जीवन का आधार और सार है यह वह शक्ति और ऊर्जा है जो पूरी दुनिया में व्याप्त होती है। यह उस हर एक चीज में प्रवाहित होती है जिसका दुनिया में अस्तित्व होता है। आत्मा हमारे जीवन को भौतिक स्तर पर सम्भव बनाती है यही वह शक्ति और ऊर्जा है जो हमारे शारीरिक कार्यों को सुचारु रूप से स्थाई करती है। जैसे -हमारा श्वास लेना ,हमारे मश्तिष्क को एक आधार देना ,हमारे शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करना ,पाचन क्रिया को सुचारु रखना ,रक्त के प्रवाह को बनाएं रखती है अगर हम देखे तो दुनिया के सम्पूर्ण शारीरिक प्रक्रिया का आधार है हमारे मन की शक्ति और ऊर्जा। 






मन की शक्ति और ऊर्जा / mind power and energy



मन की शक्ति जो हमारे अन्दर ऊर्जा का संचार करती है। मन की शक्ति हमारे अंदर प्राण को प्रतिष्ठित करती है जो हमारे शरीर में ऊर्जा को भर देती है। जब हम अपनी मन की शक्ति से ऊर्जा तंत्र को बाकी कर्मो से मुक्त करने में सक्ष्म होते है तभी हम अपने भाग्य को बदल सकतें है। इसलिए हमें अपनी योग क्रियाओं को महत्व देना चाहिए और उन्हें निरंतर अपने जीवन में शामिल करना चाहिए जब हम किसी भी योग को करते है और उस योग से हमारे अन्दर कोई बदलाव नहीं होते है या हमारी ऊर्जा सक्रिय नहीं होती है तो हमें ऐसे योग को नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे योग से हम अपने समय को बर्बाद करते है। हम जीवन में ऊर्जा को सक्रिय कर एक प्राकृतिक रूप को ईश्वरीय शक्ति का स्वरूप दे सकतें है क्योंकि यही हमारे अन्दर की ऊर्जा का विज्ञानं है। ऊर्जा विभिन्न प्रकार की होती है जैसे स्नायु ऊर्जा ,विधुत ऊर्जा ,रासायनिक ऊर्जा आदि ये सभी ऊर्जाएं किसी ना किसी ऊर्जा स्रोत से प्राप्त होती है। 



हमारे मन की शक्ति और ऊर्जा को बनाएं रखने के लिए प्राकृतिक स्रोतों की आवश्कता होती है जैसे -हमारे शरीर में प्राण को बनाएं रखने के लिए ब्रम्हाण्ड में फैली वायु हमारे अन्दर ऑक्सीजन का संचार करती है जो हमारी नासिका और अन्य छिद्रो से हमारे शरीर में प्रवेश करती है। सूर्य की ऊर्जा हमारे अन्दर तेज को बढ़ाती है जो शरीर के विकास में सहायक होती है क्योंकि हम ऊर्जा से बनें हुए प्राणी है। हमें नहीं पता की हमारे मश्तिष्क ,शरीर और हमारी आत्मा में कैसे बदलाव होते है ,हम नहीं जानते की हमारे शरीर में रक्त कैसे बनता है ,मन की तरंगों का आदान -प्रदान कैसे होता है ,वास्तव में हमारे मश्तिष्क में ऐसा क्या होता है जिससे हम दुनिया की हर चीज का विचार -विमर्श अपने अंदर ही कर लेते है ,ऐसी कौन से ऊर्जा है जो विज्ञानं के जरिये से हमें इतना अद्भुत बनाती है  ऊर्जा को देख पाना और उसे समझ पाना हमारे लिए सम्भव नहीं है। इसलिए यह सब हमारे लिए आश्चर्यजनक है क्योंकि यह सब अध्यात्म से समझा जा सकता है जो आज हमारे अन्दर है ही नहीं। 



हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना होता है और ऊर्जा का कोई आकार नहीं होता वह जिस शरीर में जाती है वह उसी शरीर की रचना और विकास करती है क्योंकि उसकी उस शरीर में रहने की समयावधि होती है। हम अपनी मन की शक्ति को ही ऊर्जा समझ सकतें है। ऊर्जा का भाव शुद्धता से होता है जो एक संचार शक्ति होती है जो शरीर में हर तरह की आपूर्ति करती है इसलिए हमारा जीवन ऊर्जा पर निर्भर होता है और जब ऊर्जा हमारे शरीर को छोड़ देती है तब हमारा शरीर सिर्फ मिटटी हो जाता है अर्थात वह उस अस्तित्व को प्राप्त कर लेता है जिसके लिए उसका जन्म हुआ था और यही प्रकृति का नियम है। समय -समय पर प्रकृति मन की शक्ति के द्वारा हमारे अंदर बदलाव करती रहती है क्योंकि मन की शक्ति एक आवाहन शक्ति होती है जैसे -हमारे शारीरिक क्रियाओं को करने के लिए स्नायु ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। 


ऊर्जा विभिन्न प्रकार से मिलती है / Energy comes in different forms



जब हम किसी भी कार्य को करते है तो उस कार्य से उत्पन्न क्षमता को हम ऊर्जा कहते है जैसे -पानी ,हवा और भाप के दबाव से हम बहुत से कार्य कर सकतें है जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह एक प्रकार की क्रिया है ऊर्जा के स्रोत को बढ़ाने के लिए जो हमें कभी दिखाई ही नहीं देती है क्योंकि ऊर्जा कोई चीज या वस्तु नहीं होती इसलिए यह जगह नहीं घेरती है और ना तो अन्य पदार्थो की भांति यह कोई द्रव्य होती है फिर भी यह हमारे जीवन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। ऊर्जा हर चीज में होती है बिना ऊर्जा के कोई चीज अस्तित्व में नहीं हो सकती है। हम ऊर्जा को कभी समझ नहीं पातें क्योंकि ऊर्जा ही अस्तित्व है जीवन का ,हमारी क्षमताओं का और हमारे कार्यों का जो हमें हमारे आध्यत्म से से ज्ञात होता है। हमारे जीवन में ऊर्जा हमारी इच्छशक्तियों का दर्शाती है जो हमारे मन की शक्ति से उत्पन्न होती है। हमारी प्रबल इच्छाशक्ति जीवन के भौतिक संसाधनों को बढ़ाने के लिए होनी चाहिए जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते है। 



ऊर्जा हमें जीवन देती है। वह ऊर्जा ही है जो हमारी समयावधि के बाद हमें हमारे वास्तविकता से मिलाती है। ऊर्जा हमें इच्छशक्ति के प्रति हमारी मन की शक्ति को प्रेरित करती है जिससे हम अपने जीवन में कर्तव्यपूर्ण और कर्मनिष्ठ व्यक्तित्व को प्राप्त करते है।इसके लिए हमें अपने दृष्टिकोण को दूरदर्शी बनाना होगा जिससे उसका विकास हो सकें और हम अपने जीवन में ऊर्जा को कायम रख सकें। ऊर्जा जो हमारे विकास में सहायक होती है और हमारे विनाश का भी कारण बनती है। युद्ध में चलने वाले हथियार ऊर्जा से भरपूर होते है जो तबाही का कारण बनते है। हम जीवन में जो भी अभ्यास करते है उसमे हमारी काबिलियत नजर आने लगती है एक व्यक्ति जो भी सीखता है वह उसके जीवन की सबसे बड़ी ताकत बन जाती है क्योंकि वही चीज उस व्यक्ति की ऊर्जा का स्रोत का कारण बनता है। एक कहावत है कि हम जैसा बीज बोते है वैसा ही जीवन में फल मिलता है जैसे अगर हम योग साधना का रोज अभ्यास करते है तो वह ऊर्जा का स्रोत बनता है जिससे हम उसमें और भी ज्यादा पारंगत हो जाते है।  



आत्मज्ञान / enlightenment



व्यक्ति को आत्मज्ञान पर चिंतन करना चाहिए क्योंकि आत्मज्ञान ही व्यक्ति को सकारात्मक रास्ता बनाता है। आत्मज्ञान व्यक्ति के ज्ञानचछुओं को खलता है जिससे हमारी मन की शक्ति और ऊर्जा बढ़ती है। आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अध्यात्म को अपने अंदर उतारना होगा तभी हम अपनी मन की शक्ति को ऊर्जा से भरपूर कर सकतें है। योग और साधना व्यक्ति को उसके जीवन से परिचित कराते है। जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि यह उपलब्धि हमें हमारे अस्तित्व के बारे में और मानव श्रंखला प्रभु की सबसे सुन्दर संरचना क्यों है इसके महत्व को समझाती है। हमें आत्मज्ञान प्रभु के द्वारा दिए हुए वेद ,पुराण और योग से प्राप्त होता है। आत्मज्ञान का अर्थ हमारे मन के भीतर को जानना है। हमारे वेदों में आत्मज्ञान को भगवान शिव ,विष्णु और आदि शक्ति का प्रतीक माना जाता है और प्राचीनतम परम्पराओं के अनुसार इसे आत्मज्ञान का विज्ञानं भी कहा गया है आत्मज्ञान का मतलब आत्मा का साक्षात्कार करना होता है।



उपसंहार / Epilogue



मन की शक्ति और ऊर्जा वास्तविकता में हमारे जीवन का सार है क्योंकि यही हमारा जीवन है इनके बिना अस्तित्व वाला जीवन हो ही नहीं सकता क्योंकि मन की शक्ति और ऊर्जा के बिना हमारे शरीर का निर्माण नहीं हो सकता जिस प्रकार एक पेड़ बिना ऊर्जा और इच्छाशक्ति के बड़ा नहीं हो सकता और ना फल दे सकता है ठीक उसी प्रकार से हमारा जीवन भी होता है। हमारे जीवन में मन की शक्ति और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए हमें अध्यात्म और योगा को अपने जीवन में उतारना चाहिए जिससे हमारा जीवन ऊर्जा से भरा और मन की शक्ति प्रगाण बनी रहें। ऊर्जा कई प्रकार की होती है लेकिन उसका अस्तित्व हर जगह एक जैसा होता है और हमारे जीवन को योग्य बनाने के लिए हमें भरपूर ऊर्जा की जरूरत होती है तभी हम किसी चीज में अपनी एक धारणा बना पाते है जो हमें काबिल बनाती है। 



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