आप जीवन को कैसे देखते हैं? / how do you view life?
प्रस्तावना / Preface
हम अपने जीवन को किस प्रकार देखतें है यह हमारे लिए विचार करने वाला प्रश्न है। जब हम इस प्रश्न का जवाब ढूढ़ते है तब हमें बहुत जवाब मिलते है हम जीवन और मृत्यु के बीच के समयावधि को जीवन कहते है। जीवन के समय उपरांत किये हुए कार्य हमारे जीवन को तय करते है क्योंकि जीवन वह जो परिश्रम का प्रतीक बनें और जो कर्तव्यपरायण हो क्योंकि जीवन का अभिप्राय संघर्ष ,शहनशीलता ,आस्था ,मानवता ,प्रकृति रक्षा और जीवों के प्रति भावों को प्रकट करें उसी को जीवन कहते है। जीवन एक शरीर के जन्म और मृत्यु के आधार पर टिका होता है जो जन्म और मृत्यु के बीच की जीवन यात्रा के समय को प्रदर्शित करता है क्योंकि यह सफर आत्मा का होता है जो एक जीवन के रूप में कार्य करती है और उम्र पूरी होने के बाद आत्मा उस शरीर को छोड़ दूसरा शरीर धारण कर लेती है।
हम जीवन को कैसे देखतें है / how we see life
जीवन का अभिप्राय संघर्ष है जो हर प्राणी के ऊपर लागु होता है जीवन में संघर्ष बहुत तरह के होते है और हमे जीवन में हर संघर्ष का सामना करना पड़ता है जैसे हमारी पढ़ाई के लिए हमारा संघर्ष ,अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को चलाने के लिए संघर्ष ,जीवन को सही मार्ग दिखने के लिए संघर्ष ,परिवार की जीविका को लेकर किया हुआ संघर्ष ,अपनों के प्रेम और त्याग के लिए किया हुआ संघर्ष अगर हम देखें तो जीवन और संघर्ष एक -दूसरे के पूरक है जिस कारण हम यह कह सकतें है कि संघर्ष के बिना जीवन कुछ भी नहीं। हम अगर जीवन में संतुष्टि प्राप्त करना चाहते है तो हमें अपने अन्दर बदलाव लाने होंगे और अपने जीवन को एक आधार देना होगा जिससे हमारा जीवन अपने संघर्ष को समझ सकें और उसे वास्तविकता का सामना करने के लिए सक्षम बना सकें। हमें ऊपर लगें चित्र से समझना होगा कि जब हमारा मस्तिष्क स्थिर होगा तभी हमें जीत हासिल होगी।
जीवन को हम ऐसे समझ सकतें है जैसे हम एक वृक्ष को लगाते है जो बड़ा होकर धुप ,आधी ,तूफान ,बारिस आदि चीजों से संघर्ष करता है उसके बाद भी वह अपना पूरा जीवन परोपकार के लिए समर्पित कर देता है क्योंकि वह वृक्ष यह जनता है की मेरा जीवन इसी के लिए बना है और वह अपनी छाया ,फल ,पत्ते और अपनी लकड़ी सबकुछ लोगों को दे देता है। इसका यह मतलब है की वह वृक्ष यह समझता है की उसका जीवन बहुत संघर्षपूर्ण है और वह भी दूसरों के लिए। इसी प्रकार अगर हम देखे तो एक मधुमक्खी जो फूलों से रस चूसती है और उसका शहद बनाती है लेकिन वह स्वयं उसका उपयोग नहीं करती है। ऐसे ही हम लोगों को भी यह समझना चाहिए की हमारा जीवन संघर्षपूर्ण तो है लेकिन दूसरों के लिए ना की अपने आपको सुख पहुंचाने के लिए है।
हम जीवन को मानवता के रूप में ,आस्था के रूप में ,अपने जीवन को कर्तव्यों का निर्वाहन करने और जीवन को प्रभु के समीप करने के रूप में देखते है क्योंकि मानव जीवन की संरचना इसीलिए की गयी है ताकि वह अपने गुणों से दुनिया में मानवता ,सदाचार और आचरण से जीवन का संचार हो सकें। मानवता की परिभाषा हमें प्राचीनतम काल से अनुसरण कराई गयी है इसी कारण मानव का जीवन अन्य जीवों से श्रेष्ट माना गया है। हमारा यह कर्तव्य है कि हम मानवता के प्रति कार्य करते रहें जिससे हमारा जीवन व्यर्थ में नष्ट ना हो पाए। अपने लोग ,समाज और देश का कल्याण हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। मानवता हमें कर्मठ ,कर्तव्यपूर्ण ,ईमानदार और निष्ठावान बनाती है जिससे हम बुराइयों से लड़ते है और अपने जीवन को मानवता के प्रति समर्पित कर पाते है।
मानवता जीवन का अर्थ है / Humanity is the meaning of life
जीवन का अभिप्राय मानवता से है जिससे हमें मानव धर्म का ज्ञान प्राप्त होता है हमें हर युग में बताया और समझाया गया है कि जब हम मानव धर्म को निभाते हुए जीवन में दूसरों के लिए संघर्ष करते है सही मायने में तभी हमारा जीवन सफल होता है लेकिन मानवता का सबक हमें ज्ञान के द्वारा मिलता है जो मानव जीवन को सफल बनाता है हम अगर देखें तो जीवन एक ऐसा माध्यम है जो वर्तमान समय में किये हुए संघर्ष का फल हमारे भविष्य में हमें प्राप्त होता है जो हमारी परिस्थितियों को बदल देता है और यही हमारे जीवन का उद्देश्य होता है इसलिए हमें जीवन के महत्व को समझना होगा और उसे मानव धर्म के लिए संघर्ष करने के योग्य बनाना होगा। ये बात हम सभी जानते है कि मानवता जीवन का अर्थ है लेकिन वह हमारे अन्दर तभी आती है जब हम दूसरे के दुःख को अपने अन्दर महसूस करते है
मानवता हमें जीवन का उद्देश्य समझाती है जो हमें बतलाती है की जिसके मन में लोगों के प्रति दया ,ममता ,करुणा और अपनों के प्रति प्रेम हो सही मायने में वही व्यक्ति मानवता का अर्थ समझता है। हमारे भारत देश का संविधान भी मानवता का अर्थ समझता है इसीलिए कहा जाता है कि भले ही सौ गुनहगार छूट जाये लेकिन एक भी बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिए मानवता मानव जीवन का सबसे बड़ा उदाहरण है जो किसी भी धर्म और जाति समूह से बहुत ऊंचा है। मानवता इंसान को इंसान से रूबरू करवाती है वह लोगों के प्रति हमें उनकी पीड़ा का एहसास कराती है। अगर हम देखें तो जब देश महामारी फैली तब बहुत से लोगों ने मानव धर्म को निभाते हुए लोगों की मदद की लोगों को घर पहुचाने से लेकर उनके लिए साधन ,दवा ,खाना और कपड़े आदि सभी चीजों की व्यवस्था करते हुए मानवता का परिचय दिया।
जीवन में आस्था को कैसे देखें / how to see faith in life
मानवता भरे जीवन में अगर आस्था ना हो तो हमारे अन्दर सदभाव की प्रेरणा कभी नहीं आ सकती है क्योंकि जीवन मानवता ,संघर्ष ,आस्था और कर्तव्यपूर्ण से मिलकर बना जीवन सच्ची निष्ठा का प्रतीक होता है। आस्था हमारे अन्दर प्रेरणा का स्रोत उत्पन्न करती है जो हमें मानवता के प्रति अग्रसर करती है क्योंकि आस्था मानव के अन्दर विश्वास को जन्म देती है जो मानव को उसके कर्तव्यों से मिलाता है क्योंकि आस्था मानव के अंदर सकारात्मक विचारों को जन्म देती है जो हमारे जीवन को एक नेक रास्ते में चलाने के लिए सहायक होती है जिससे हम अपने जीवन को इंसानियत ,सद्भाव ,प्रेम और स्नेह की विचारधारा से जोड़ते है। आस्था हमारे समाज का विस्तार करने में मददगार बनती है जिससे हमारा समाज आगे बढ़ता है और एक जुटता का सन्देश देता है।
आस्था धर्म का प्रचार -प्रसार में सहयोग करती है जिससे धर्म को जन -जन तक पहुंचाया जा सकें और लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाया जा सकें। हमारी संस्कृति और परम्पराएं हमें आस्था और धर्म का महत्व समझाती है जो हमें प्रभु के प्रति आस्था रखने का और धर्म को अपनी पहचान मानने का सही मतलब बताती है वह हमें आस्था के प्रति हमारी अंतरात्मा को प्रेरित करती है कुछ लोग धर्म की आड़ में अराजकता फैलाते है जो धर्म को लेकर समाज के लोगों को भड़काने का काम करते है ऐसे लोगों को हमें समाज से अलग रखना चाहिए ताकि समाज में नफरत ना फैले और लोग मानवता को छोड़कर नास्तिक ना बनें क्योंकि आस्था और धर्म मानवता से होती है अगर मानवता नहीं है तो आस्था और धर्म का कोई मतलब नहीं है।
उपसंहार / Epilogue
हम अपने जीवन को कैसे देखते है यह प्रश्न हमें बहुत सारे जवाब देता है लेकिन यह हमें सोचना होगा कि हमें किस रास्ते पर चलना है क्योंकि जब हम बहुत सुख -सुविधाओं वाला जीवन चुनते है तो हम कहि ना कहि गलत रास्ते पर चलने लगते है जिससे हमारे मन से मानवता खत्म होने लगती है और जब ऐसा होता है तब हमारे अंदर से आस्था खत्म होने लगती है क्योंकि आस्था ,मानवता और धर्म का संबन्ध कर्मठता ,ईमानदारी ,सच्ची भावना ,कर्तव्य ,प्रेम और स्नेह से होता है जो व्यक्ति को एक सादा और उच्य विचारों के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती है। हमारे जीवन में सुविधाएँ भले ही ना हो मगर मानवता हमारी अंतरात्मा में समय होनी चाहिए तभी हमारा जीवन साफ और स्वच्छ बनेगा और हम इंसानियत को निभाने वाली संरचना बन पाएंगे।
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