मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

परवरिश एक अच्छा जीवन देने का एक पहलू है / Upbringing is one aspect of giving a good life

परवरिश एक अच्छा जीवन देने का एक पहलू है / Upbringing is one aspect of giving a good life


प्रस्तावना / Preface


परवरिश जिसके बिना हर जीव -जन्तु ,पेड़ -पौधे और मानवजाति अधूरी है क्योंकि परवरिश ही हर प्राणी को इस लायक बनाती है जिससे वह बड़ा होकर अपने आप में सक्षम बन सकें। हम अक्सर देखतें है की जब हम पेड़ लगाकर छोड़ देते है तो वह कुछ दिनों में सूख जाता है लेकिन जब हम पेड़ को लगाने के बाद उसका पालन -पोषण करते है तो वह पेड़ बड़ा होकर हमें फल ,छाया ,सुखें पत्ते और लकड़ी आदि चीजें प्रदान करता है क्योंकि एक वृक्ष का यही जीवन है। परवरिश जीवन के सरल को सुहाना और सरल बनाती है क्योंकि परवरिश लोगों को मेहनती ,कर्तव्यपूर्ण और निष्ठावान बनाती है। हम किसी भी प्रजाति की बात करें परवरिश हर किसी के अन्दर प्रेम और स्नेह के रूप में मिलती है। हम देखतें है कि एक चिड़ियां अपने चूजें को दाना चुगना सिखाती है ,इसी प्रकार शेरनी अपने बच्चें को शिकार करना सिखाती है और जब वह बच्चें इसमें माहिर हो जाते है तो यह परिपक्ता उनकी परवरिश को दिखाता है यह हमारे जीवन में हमें परवरिश के महत्व को समझाता है। 





परवरिश जीवन का आधार है / upbringing is the basis of life


परवरिश जीवन को शिष्टाचार और सामाजिक बनाती है क्योंकि सभ्य समाज सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक होता है और प्राणी के लिए परवरिश जीवन का आधार बनती है क्योंकि बिना पालन -पोषण के प्राणी आत्मनिर्भर नहीं बन सकता है। हमने देखा है की जिन लोगों में परवरिश का आभाव नहीं होता है वह लोग कभी भी सामाजिक नहीं होते है क्योंकि ऐसे लोग असभ्य होते है जो हमारे समाज में रहकर समाज को बर्बाद करने का काम करते है क्योंकि उन्हें मानवता का ज्ञान नहीं होता है और वही जिस इंसान के अन्दर परवरिश का आभाव होता है ऐसा व्यक्ति इंसानियत का परिचय देता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति अपने संस्कारों और सभ्यताओं लेकर जीता है। परवरिश व्यक्ति को सही मार्ग में चलने की प्रेरणा देती है। एक अच्छी परवरिश इन्सान को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाती है जिससे वह व्यक्ति अपने साथ -साथ समाज और देश के लिए काम कर पाता है। 


परवरिश का आधार जीवन का सफर तय करता है। अगर जीवन में परवरिश ना होती तो प्राणी कभी संस्कारी नहीं बन पाता और ना कभी आत्मनिर्भर बन पाता क्योंकि परवरिश हमें जीने की राह दिखाती है जिससे प्राणी की सोच सकारात्मक बनती है और वह एक नए जीवन का अध्याय लिखता है। हमारे अंदर बचपन से ही परवरिश का भाव जन्म लेता है जिससे हम चलना ,बोलना ,पूजा -पाठ ,अध्ययन ,रीती -रिवाज और शिष्टाचार आदि चीजें हमारी परवरिश का हिस्सा होती है और हमें अपनी परम्पराओं ,संस्कृति  और सभ्यता को साथ लेकर जीना सिखाया जाता है। जिससे हम एक सामाजिक व्यक्तित्व वाले इंसान बनते है। जब माता -पिता के द्वारा दिए हुए संस्कार एक बच्चें को शारीरिक ,मानसिक और सामाजिक सभी पहलुओं को मजबूत बनाते है। तभी एक बच्चा युवक होकर समाज में अपने आपको स्थापित करता है। 


परवरिश हमारे बच्चें की भावनाओं को निखारती है। इसलिए हमें अपने बच्चें की भावनाओं को बाहर निकालने में हमें उसकी मदद करनी चाहिए जिससे वह अपनी भावनाओं पर काम कर सकें और उन चुनौतियों से लड़ सकें जो उसके सामने उस वक्त प्रकट होती है लेकिन उन चुनौतियों से माता -पिता अक्सर घबरा जाते है और उसकी असफलता से मायूस हो जाते है जबकि माता—पिता को अपने बच्चें को असफलता का सामना करना सीखना चाहिए जो हमारे बच्चें के अंदर पुनः चुनौतियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ावा दे सकें। जो बच्चें बिगड़ते है उन्हें सही मार्ग पर लाने के लिए माता -पिता को सख्त रुख अपनाना चाहिए जिससे वह गलत रास्ते को छोड़कर सही राह पर चल सकें। जब कोई बच्चा गलत रास्ते पर चलता है तो उसके लिए कहि ना कहि माता -पिता का अन्धा प्यार जिम्मेदार होता है इसलिए अगर आप अपने बच्चें भविष्य सुधारना चाहते है तो प्रेम के साथ सख्त रुख भी दिखाए। 


बचपन में पालन-पोषण का प्रभाव / effects of parenting in childhood


बचपन से ही एक बच्चें की परवरिश शुरू हो जाती है। हमें अपने बच्चे का ऐसा पालन -पोषण करना चाहिए जिससे ब्वच्चा गलत चीजों की जिद ना करें क्योंकि जिद बच्चे भ्रमित करती है जिससे वह गलत राह पकड़ने को आतुर बना रहता है। एक बच्चा मासूम और निर्दोष होता है और उसको सही राह दिखाना माता -पिता का काम होता है इसलिए हमें बच्चे के आस -पास का माहौल अच्छा बनाना चहिये जिससे उसकी सोच अच्छी बनें। माता -पिता अपने बच्चें के अंदर संस्कारों इस तरह बिठाये जिससे वह अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक बनाएं रखें। माता -पिता को चहिये की वह अपने बच्चें की मनोवृति को समझें ,उसके कौशल को समझे और उसके प्रति उसको प्रेरित करें ताकि आपका बच्चा बड़ा होकर उस कौशल को अपना मकसद बना सकें। बचपन से ही माता -पिता को अपने बच्चें की जीवनशैली पर ध्यान देना चाहिए। 


हमें बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाना चाहिए ,बच्चे को गलत करने पर हमें टोकना चाहिए ,अभद्र भाषा बोलने पर हमें उसे सख्त रुख दिखान चाहिए और इस बात का ध्यान रखना होगा की बच्चे के सामने हम खुद कभी अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें ,हमें बच्चे से दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिए जिससे वह हमसे कुछ छुपा ना सकें ,हमें अपने बच्चें के साथ समय बिताना चाहिए ताकि हम उसे समझ सकें ,माता -पिता को बच्चें के ऊपर अपनी अपेक्षाओं को कभी नहीं थोपना चाहिए इससे बच्चें में तनाव उत्पन्न होता है और वह नहीं कर पाता जिसमें वह कुशल होता है ,बचपन से हमें बच्चे को हालात से लड़ने की प्रेणना देनी चाहिए जिससे वह बड़ा होकर कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना करने में सक्षम बन सकें। कहते है कि बच्चें भगवान का रूप होते है इसलिए हमें उनकी सभी समस्या का हल बहुत प्यार और स्नेह से करना चाहिए। 


आज की आधुनिकरण से बच्चों की जीवनशैली पर बहुत असर पड़ रहा है। टीवी ,मोबाइल ,कम्प्यूटर और आज की भागती हुई जिन्दगी जिसमे किसी के पास अपने बच्चें के लिए समय नहीं है जिस कारण बच्चें बिलकुल अकेले पड़ गए है। ऐसे में उनके पास टीवी ,मोबाइल ,और कम्प्यूटर का ही सहारा है। बड़े शहरों में रहने वाले माता -पिता दोनों कमाने वाले होते है जिस वजह से वह लोग बच्चों को समय नहीं दे पाते और बच्चे अकेले होने के कारण उन्हें जो भी समझ में आता है वह वही करते है जिससे उनके भविष्य में असर पड़ रहा है क्योंकि वह अपने मार्ग से भटक रहें है। वह पूरा दिन टीवी ,मोबाइल में ही लगें रहते है जो कहि ना कहि उनके मार्ग में रुकावट का काम कर रहे है। ऐसा नहीं है की टीवी ,मोबाइल से बच्चों को ज्ञान नहीं प्राप्त होता है। अगर हम देखें तो आज स्कूल भी डिजिटल हो चुके है। जिससे वहा पर कम्प्यूटर ,इंटरनेट से ही पढ़ाई होती है लेकिन स्कूलों में बच्चों को अध्यापक की देख -रेख में कम्प्यूटर और इंटरनेट का इस्तमाल करने दिया है  


उपसंहार / Epilogue


परवरिश जीवन का एक ऐसा पायदान है जो हर प्राणी के जीवन में सबसे अधिक महत्व रखता है। परवरिश के बिना जीवन बेकार है। जिस प्रकार बिना परवरिश के पेड़ नहीं लगता और फल नहीं देता ठीक उसी प्रकार एक बच्चें के जीवन को भी बिना परवरिश के फलदायक नहीं बनाया जा सकता है। परवरिश व्यक्ति को समाज में एक अलग पहचान दिलाती है। परवरिश हमारे संस्कारों को लेकर जीना सिखाती है। परवरिश हमारे जीवन का आधार है जो हमारे जीवन में हमें शारीरिक ,मानसिक और सामाजिक तौर पर मजबूत बनाता है। परवरिश बच्चें को सही राह दिखती है जो बच्चें के जीवन को बदल देती है। बिगड़ते हुए बच्चों को सही राह दिखाने के लिये माता -पिता को सख्त रुख अपनाना चाहिए और बच्चें को अनुशासन में रखना चाहिए जिससे बच्चा गलत रास्ता ना चुने और हमें हमेशा उनपर नजर बनाये रखना चाहिए। 



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