भले ही हमारे अच्छे कर्म अदृश्य हो जाए, लेकिन उनकी छाप लोगों के दिलों में हमेशा जिन्दा रहती है।/ Even if our good deeds become invisible, but their impression is always alive in the hearts of people.
प्रस्तावना / Preface
हमारे जीवन में सबसे बड़ा आधार हमारे कर्मो का होता है जब हम जन्म लेते है तभी से हमारे कर्म हमारे जीवन से जुड़ जाते है वैसे तो हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि १२ वर्ष तक की अवधि अच्छे ,बुरे कर्मो से मुक्त होती है क्योंकि यह उम्र एक बच्चें के शारीरिक और मानसिक विकास का होता है। हम लोग देखतें है कि हमारे पूर्वजों के द्वारा किये हुए कार्य आज की आधुनिकीकरण की जिंदगी की वजह से अदृश्य हो चुकें है लेकिन उनकी छाप हमें आज भी हमारे जीवन में कहि ना कहि नजर आती है और उन्ही की वजह से हमारे जीवन में हमारी संस्कृति और सभ्यता जिन्दा है जो आज भी हमारे अंदर मानवता को बनाएं हुए है। हमारे अच्छे कर्म हमारे जीवन को एक दिशा प्रदान करते है जिससे हमारा जीवन सकारात्मक बनता है और हमें समाज में एक पहचान मिलती है।
हमारे जीवन में कर्म का आधार / basis of karma in our life
हमारा पूरा जीवन हमारे कर्मो पर टिका होता है इसलिए हम जैसा करते है ,हमें वैसा ही मिलता है क्योंकि हमारा जीवन हमारे कर्मो पर ही आधारित होता है वैसे तो इस दुनिया में बहुत से धर्म है और हर धर्म की अपनी मान्यताएं है। धर्म का प्रचार -प्रसार करने वाले लोग अपने धर्म के लोगों को धर्म के आधार पर जीने का उपद्देश्य देते है लेकिन पूरी तरह धर्म पर जीना लोगो के मुमकिन नहीं होता है मगर लोग इंसानियत के साथ जरूर जी सकतें है जिससे हमारे अंदर अच्छे कर्म करने की प्रेरणा जागृत होती है। जब हम अपने में अच्छे कर्म का महत्व समझतें है तो हम लोग इंसानियत की तरफ अग्रसर होते है और उसी आधार पर जीना सीखते है। कभी -कभी इंसान भटक जाता है लेकिन व्यक्ति के अच्छे कर्म उसे सही रास्ता दिखा ही देते है लेकिन ऐसा तभी होता है जब हम अपनी अंतरात्मा को विकसित करते है।
हम अक्सर देखते है की आज लोग कोई भी अच्छा काम करने से पहले उसकी फोटोग्राफी करते है ,विडिओग्राफी करते है और उसे सोशलमीडिया ,अख़बार और इलेक्ट्रॉनिक मिडिया आदि में प्रचार -प्रसार करवाते है। यह अपने मतलब को पूरा करने और अपने को बड़ा दिखाने के लिए करते है। इसलिए इसको हम अच्छे कर्म की श्रेणी में नहीं रख सकतें है क्योंकि अच्छे कर्म का उद्देश्य कभी भी प्रचार -प्रसार नहीं हो सकता है वह तो एक कर्तव्य है जिसे व्यक्ति को पूरी निष्ठा के साथ करना चाहिए। जिस व्यक्ति में इंसानियत होती है उसे यह सोचने की जरूरत नहीं होती है की वह अपने कर्मो को अच्छा बनाने के लिए क्या करें बल्कि ऐसे लोग जो भी करते है अच्छा ही करते है बस उस चीज को अपने दिमाग में रखकर अपने अंदर अहंकार को जन्म नहीं देते है और यही उस व्यक्ति की सबसे बड़ी खूबसूरती होती है।
हमें उन लोगों के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए जो लोग समाज के लिए बिना किसी स्वार्थ के काम कर रहें है क्योंकि ऐसे लोगों के बारे में जानने से हमारी सोच सकारात्मक होती है जिससे हमारे अन्दर इंसानियत का संचार होता है। आज हमारे महापुरुषों के द्वारा किये हुए कार्य अदृश्य हो रहें है जो हमें हमेशा एक सीख प्रदान करते है लेकिन हमने आज उनको भुला दिया है क्योंकि हम आज स्वार्थी हो चुके है। सिर्फ अपने मतलब के लिए जीना जानते है। हम लोग आज श्री राम की बात करते है लेकिन उनके दिखाए मार्ग में चलना नहीं चाहते है क्योंकि उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग पुरूस्वार्थ का है ,निष्ठा और प्रतिबद्धता का है। जो हमें इंसानियत पाठ पढ़ाता है। हम ऐसा भी कह सकतें है कि महापुरुषों ने हमें जो भी दिया है वही हमारे जीवन को सार्थक बनाने के लिए उपयोगी है लेकिन हम उनकी दी हुई सीख को अदृश्य करते जा रहें है।
हमे अपने जीवन को कैसा आधार देना है यह हमारे विचार -विमर्श पर निर्भर करता है। हम जैसे विचार विकसित करते है हमारे द्वारा किये हुए कार्य वैसे ही हमारे कर्म निर्धारित करते है। इसलिए हमें हमारे जीवन को अच्छे कामों में लगाना चाहिए जिससे हम जिंदगी में अपने कर्मो को एक अच्छा आधार दे सकें। जब हम अपने कार्य को मानव धर्म समझकर करते है तब उसमे कोई भी लालसा नहीं होती है इस कारण हमारा जीवन सार्थक होता है और हमारे जीवन में कर्म का आधार मजबूत होता है। जब हम अपने जीवन में बहुत परेशान हो तब हमें अपने महापुरुषों के द्वारा किये कठिन परिश्रम को याद करना चाहिए। हमें अपनी कठिनाइयां छोटी लगने लगेगी क्योंकि जिस तरह से हमारे महापुरुषों ने समाज ,मानवता ,प्रकृति ,धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए कठिन परिश्रम और बलिदान दिया है। वैसा जीवन हम आज के युग कभी नहीं जी सकतें है।
हमारे कर्मो का फल / fruit of our deeds
जिन्दगी आसान नहीं होती है और जो आसान हो वह जिन्दगी नहीं होती है ऐसा मै इसलिए कह रहा हु क्योंकि जो जीवन आसान हो उसमे कभी कठिन परिश्रम नहीं होता है और जिस वजह से व्यक्ति को अच्छे और बुरे कर्मो का ज्ञान नहीं होता है। हम जीवन में जैसे कर्म करते है भगवान हमें वैसे ही उसका फल देते है। व्यक्ति अपने कर्मो को करने के लिए आजाद होता है क्योंकि प्रभु ने हमें सोचने -समझने की शक्ति प्रदान की हुई है लेकिन उसका फल देना प्रभु के हाथ में होता है जिसको हर व्यक्ति को स्वीकार करना पड़ता है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम कोई भी कार्य करते समय उसके होने वाले परिणाम से अंजान बने रहते है। हम लोग यह भी भूल जाते है कि हमारी पहचान हमारे कर्मो से होती है इसलिए हम जो भी करें हमें हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारी वजह से किसी का नुकसान ना हो।
व्यक्ति के द्वारा किये हुए कार्य अदृश्य भले ही हो जाए लेकिन वह समाज में अपनी छाप जरूर छोड़तें है और उसी पर हमारी जिन्दगी चलती है लेकिन हम उन्हें कभी महसूस नहीं करते है क्योंकि हमारे पास आज की भागती हुई दुनिया में समय नहीं है। हमें हमारे कर्मो का फल जरूर मिलता है। भले ही हम अच्छे कर्म करें या फिर बुरे कर्म करे। हमारे इतिहास में बहुत सी ऐसी कहानियां है जो अपने -अपने कर्मो की कहानियां बताती है। जैसे श्री राम और रावण के कर्म ,श्री कृष्ण और कंस के कर्म ,हमारे देश के क्रांतकारियों और वीर शहीदों के कर्म आदि ऐसे इतिहास से सीख लेना चाहिए और हर व्यक्ति को ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे वह भगवान श्री राम तथा श्री कृष्ण के रास्ते पर चल सकें जो उसे एक कर्तव्यपूर्ण और नेक दिल इंसान बना सकें।
व्यक्ति को अच्छे कर्म करने के लिए सिद्धांतवादी होना चाहिए जो लोग ऐसा नहीं करते है वह इंसान हमेशा अपने मार्ग से भटके रहते है जिस वजह से वह कभी अपने जीवन को नहीं समझ पाते है हम जैसे विचार बनाते है हमारा जीवन वैसा ही बनता है। इसलिए हमें अपने विचारों को महापुरुषों के द्वारा दिखाए हुए रास्ते के आधार पर बनाना चाहिए क्योंकि एक भी गलत विचार हमारा पूरा जीवन बर्बाद कर देते है। हमारे कर्मो का फल हमारे द्वारा किये हुए कार्य से ,हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से जिसकी दिनचर्या असर डालती है हमारे कर्मक्षेत्र पर ,हमारी वेष -भूषा जो कितनी स्वभाविक और सरल है ,हमारे आचरण हमेशा हमारे कर्म फल को सबसे अधिक स्थापित करते है और हमारी संस्कृति जो हमें हमारी परम्पराओं से जोड़कर हमारे कर्म फल को अच्छा करने में हमारी मदद करती है।
लोग कहते है कि हमें अपने एक -एक कर्म का फल नर्क में भोगना पड़ता है। मुझे नहीं पता की नर्क और स्वर्ग में क्या मिलता है मगर मै जैसा देखता हु उससे मुझे लगता है की हमें अपने कर्म का फल इसी धरती में भोगना पड़ता है क्योंकि हम देखतें है की कोई बहुत आमिर है और कोई बहुत गरीब है ,तो कोई हाथ -पैर से अपाहिज है ,तो कोई आँख से अँधा है ,तो कोई पूरी तरह से अपंग है तो मुझे लगता है कि यह उनके कर्मो का ही फल है जिससे उन्हें ऐसा जन्म मिला है। यह विचार -विमर्श करने की बात है कि अगर हमें नर्क में सजा मिलती है तो यहां पर ऐसा जीवन क्यों मिलता है। क्या सही है और क्या गलत मै नहीं जानता हूँ ,जानता हूँ तो सिर्फ इतना की व्यक्ति को उसके कर्मो का फल अवश्य मिलता है। अच्छा -बुरा यह उसके कर्म पर निर्भर होता है।
उपसंहार / Epilogue
हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए और हमें अपने पूर्वजो के द्वारा किये हुए कार्यो को हमेशा याद रखना चाहिए क्योंकि उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग हमारे लिए उनका आशीर्वाद की तरह होता है। जो हमारे जीवन सही राह दिखाने में मदद करता है जिससे हमारा जीवन हमेशा सुखमय होता है और कठिनाइयों के समय हम मार्ग से कभी भटकते नहीं है। इसलिए हमें अपने ऋषि -मुनियों के द्वारा दिखाए हुए रास्ते पर चलना चाहिए और हमारे देवी -देवताओं के द्वारा लिए हुए उनके अवतारों का मकसद और उनके जीवन चरित्र को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए ताकि हमारा जीवन उनके जैसा बन सकें। भगवान ने हमें विचार -विमर्श करने की शक्ति दी है इसलिए यह हमें विचार करना होता है कि कौन से कार्य करना हमारे लिए सही है और कौन से गलत क्योंकि इसका सीधा असर हमारे कर्म क्षेत्र पर पड़ता है।
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