रविवार, 25 सितंबर 2022

जमीर का महत्व / importance of conscience

जमीर का महत्व / importance of conscience


प्रस्तावना / Preface 


जमीर का मतलब आत्मा से जीने वाला व्यक्ति जो हमेशा अपने दिल की आवाज को अहमियत देता है। जो हमेशा अपनी दिल की आवाज सुनता है और सच बोलता है जिसे पता होता है की अगर अपने जमीर को जिन्दा रखना है तो भगवान के बताये हुए रास्ते पर चलना होगा जिससे हमारी इंसानियत जिन्दा रहेगी क्योकि इंसानियत ही हमारा जमीर है जो लोग अपनी इंसानियत को जिन्दा रखते है। उनका जमीर हमेशा जिन्दा रहता है। अपने जमीर को लेकर चलने वाले लोग हमेशा लोभ ,मोह ,माया आदि चीजों से दुरी बना कर रखते है और ना ही ऐसे व्यक्तियों को अपने मान -अपमान की चिन्ता होती है ऐसे लोग हमेशा अपने समाज और प्रकृति के द्वारा दी हुई चीजों के लिए काम करते है। क्योकि उनका जमीर जानता है की दुनिया का सबसे बड़ा धर्म और कर्म इंसानियत ही होती है। जमीर कोई चीज नहीं है जिसे आप बाजार से खरीद सकते है जमीर वह चीज है जो सच के रास्ते पर चलने से आती है और उनके अन्दर आती है जो हमेशा दुसरो के लिए जीते है। 






जमीर का अर्थ / meaning of conscience


जमीर का अर्थ है अपनी आत्मा की आवाज को जिन्दा रखना और उसे सुनना जिससे हम इंसानियत के रास्ते पर चल सकें जो लोग इंसानियत से भटकते नहीं है और जीवन में किसी भी चीज की परवाह नहीं करते है और जो लोग कभी भी अपने आपको को प्रभावशाली नहीं मानते है ऐसे लोग समाज की नजरो में इतने बड़े होते है जितनी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते है। जो लोग अपनी आत्मा से जीते है वह लोग हमेशा परमात्मा के करीब होते है जिसकी वजह से परमात्मा उनके परोपकार के कामो में हमेशा मदद करते है। लोग अक्सर ऐसे व्यक्तियों को दर्किनार कर देते है  लेकिन ऐसे व्यक्तियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि परमात्मा ने उन्हें विचार दिए है। हमें उन विचारो को भावनात्मक रूप से सिर्फ अपने लिए भर ही नहीं बल्कि दुसरो के लिए भी कार्य करना होता है जिससे समाज में समानता सकें। 



जमीर मतलब मनुष्य की आत्मा में दया और भाव का होना होता है। ईश्वर ने आपको एक ऐसा प्राणी बनाया जो सब कुछ करने में सक्षम है जिसमे दिमाग है किसी भी कार्य को करने की क्षमता भी है जिसके अन्दर धैर्य भी है और आक्रोश भी जिसके अन्दर प्रकृति का अध्ययन करने की क्षमता भी है। मानव ईश्वर की वह देन है जो हर चीज को अंजाम दे सकता है। ईश्वर ने मानव को सबसे बड़ी चीज परोपकार करने की क्षमता दी है लेकिन लोगो ने उसका मतलब ही बदल दिया है। आज लोग अपने जमीर को मार कर सिर्फ अपने लिए जीने लगे है। लोगो के ऊपर अत्याचार करते है  सताते है लोगो को जिन्दा जला दिया जाता है क्योकि आज लोग गुलामी करवाना चाहते है। 


जीवन का अर्थ ही मानवता है जिस इंसान में मानवता नहीं होती  है। ऐसा व्यक्ति क्रूर कहलाता है  जीवन में जिस व्यक्ति के अन्दर मानवता के भाव प्रकट होते है वह व्यक्ति हमेशा अपने समाज का विस्तार करता है जिससे उसका समाज आगे बढ़ सकें।  जैसे एक वृक्ष बड़ा होने के बाद उसकी हर एक चीज लोगो को प्राप्त होती है वह खुद कभी भी किसी चीज का प्रयोग नहीं करता है। ऐसे ही मानव जीवन होता है जो सिर्फ परोपकार के लिए होता है। जैसे मानव धर्म मानव जीवन के लिए होता है। परमात्मा के द्वारा जन्मी हर प्राणी जाति जीवन में अपना कर्म और धर्म निभाने का काम करती है लेकिन मानव एक ऐसा प्राणी है जो सिर्फ अपने लिए जीने लगा है क्योंकि ऐसे व्यक्तियों के अंदर से मानवता नष्ट हो चुकी है। मानव को भगवान ने अपनी सबसे सुन्दर रचना माना है। जिसे बल ,बुद्धि ,सुंदरता आदि सब कुछ भगवान ने प्रदान किया लेकिन वही मानव आज का सबसे बड़ा स्वार्थी बन गया है।


 जमीर का महत्व / importance of conscience


जिस व्यक्ति के अन्दर मानवता होती है वह व्यक्ति हमेशा अपने समाज के लिए जीता है क्योकि ऐसा व्यक्ति मानव धर्म को ही अपना सबसे वड़ा कर्मकांड समझता है। ऐसे लोग मानवता को ही महत्व देते है और उसी के लिए समर्पित रहते है। मगर आज हमारी मानवता का रूप बदलता जा रहा है अब लोग अपने लिए मानवता धर्म दिखाते है क्योकि आज का इंसान स्वार्थी हो गया है। आज लोग मानवता के नाम पर ढ़ोग करके अपना मतलब सीधा करते है। जिससे अब मानव का मानव से भरोसा खत्म होता जा रहा है  इसी लिए लोग एक -दूसरे से दुरी बनाने लगे है क्योकि लोग भरोसा दिखा कर पीट में छूरा भोकते है क्योकि लोगो का जमीर मरता जा रहा है और मानव आज के समय में सिर्फ और सिर्फ अपने लिए जीते है। 


हमारे समाज में जो निम्न तपते का व्यक्ति है उसके ऊपर हमेशा अत्याचार होता है। समाज के ऐसे लोगो को बचाने के लिए समाज में ऐसे व्यक्तियों की जरूरत है जिनका जमीर जिन्दा हो जो ऐसे लोगो के लिए सोचता हो। जो लोगो को आगे बढ़ाने का काम करे मानवता को महत्वपूर्ण समझता हो जिसका जीवन में एक मूल आधार हो जिसके कारण एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की भलाई के बारे में सोच ता हो और ऐसे व्यक्तियों के लिए वह कुछ कर पाता हो। समाज एक ताकतवर और एक दुर्लभ व्यक्ति के मिश्रण से मिल कर बनता है। जिसमे अक्सर गरीब व्यक्तियों  को दबाने का कार्य किया जाता है। ऐसे दबे -कुचले लोगो को उनका हक दिलाने के लिए और उन्हें विकसित करने के लिए हमारे समाज को ऐसे व्यक्तियों की बहुत जरूरत है जिनके अंदर मानवता होती है।  


मानवता हमारे आदर्शो में होती है हमारे जमीर ,हमारे संस्कारो और सभ्यता में होती है हमारी परम्पराये हमे मानव धर्म बताती है जो हमें हमारी सभ्यता के अनुसार प्रदर्शित होती है क्योकि हमारे देश में बहुत से उदाहरण है। जो मानव को मानवता के त्याग और बलिदान के बारे में बतलाते है। जिन्होंने अपने लोगों और देश के लिए अपना सर्वोच्य जीवन को निछावर कर दिया जैसे -महाराणा प्रताप ,पन्ना धाय ,रानी लक्ष्मीबाई ,सुभाष चन्द्र बोस आदि आज भी हम देखते है बहुत सी संस्था और ऐसे लोग जो सिर्फ मानवता के लिए जीते है वह मानवता के लिए एक मिसाल है। कुछ दिनों पहले हमने देखा एक बच्ची की जान बचाने के लोगो ने 16 करोड़ रूपये एकत्रित करके उस बच्ची की जान बचाई यही मानवता है।


प्रकृति के लिए मानवता / humanity for nature 


प्रकृति हमारा पालन-पोषण करती है। बदले में चाहती है की हम उसे पूरी तरह से सुरक्षित रखें ताकि उसकी सुन्दरता बनी रहे।मानवता यह कहती है की जो हमारा संरक्षण करे हमें उसका ख्याल रखना चाहिए ताकि उसकी वजह से हमारा जीवन बना रहे क्योकि प्रकृति ही हमे जीवन देती है प्रकृति हमें जीने के लिए जल देती है क्योकि जल के बिना हमारा जीवन नहीं हो सकता है लेकिन आज हमने मानवता को ताक में रख कर नदियाँ ,तालाब ,झरने ,कुए ,समंदर आदि सबको बर्बाद कर दिया है। जिसे आज प्रदूषण ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है जिसके जिम्मेदार सिर्फ हम लोग है क्योकि हमने ही अपनी तरक्की की वजह से सबकुछ बर्बाद किया है। 


जीवन में मानवता सबसे बड़ी है लेकिन हमने आज अपनी पृथ्वी को बर्बाद करके उसको प्रदूषित कर दिया है। जिसकी वजह से आज हमें ताकतवर अनाज ,फल ,सब्जिया आदि नहीं मिलती है। जिसकी वजह से हम बीमारी से ग्रस्त है और कमजोर होते जा रहे। बहुत से लोग और संगठन पृथ्वी के लिए काम कर रहे है मगर वह बहुत कम है। हमें पृथ्वी को बचाने के लिए एक अभियान की जरूरत है जिसमे हर व्यक्ति शामिल हो सकें और हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो। तभी हम अपनी प्रकृति के लिए अपने जमीर को जगा पाएंगे और अपने मानव धर्म को निभा पाएंगे। पृथ्वी को बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। तभी हम अपने जीवन को बचा पाएंगे। 


हमे अपने जमीर को जगाना होगा और प्रकृति को बचाना होगा।जिससे हम अन्य प्राणी जाति को बचाने के लिए प्रकृति को हम सुरक्षित कर सकें नहीं तो एक भी जीव -जन्तु ,पशु -पंक्षी आदि नहीं बचेंगे क्योकि जब जंगल ही नहीं होंगे तो यह सब रहेंगे कहा और अगर यह सब नहीं होंगे तो पृथ्वी का संतुलन बिगड़ जायेगा। जिससे मानव जाति का जीवन बाधित हो जायेगा जिसके कारण हर चीज का विनाश होगा इस लिए समय रहते मानव चेत जाये और अपनी मानवता का परिचय देते हुए प्रकृति को बचाने की कोशिश करे हम आज प्रकृति की रक्षा करेंगे तो प्रकृति जीवन भर हमारी रक्षा करेगी वरना वह दिन दूर नहीं जब पूरा संसार बूद -बूद पानी के लिए तरसेगा। 


उपसंहार / Epilogue


जमीर एक भाव है उन भावनाओं का जो आम जनमानस के लिए होती है। ये हमारी सदभावनाओं को आपेक्षित करती है जो हमें आगे बढ़ाने का कार्य करते है। मानवता एक भाव और जन सेवा है जो व्यक्ति को उनका बजूद और उनके मान -सम्मान की रक्षा करता है। मानव का सबसे बड़ा धर्म मानवता होती है। जो मानव  ,प्रकृति और अन्य प्राणी जाति के लिए रक्षक होती है अगर हम मानवता के आधार पर चले तो जीवन में किसी को भी दुनिया में भूखा ना रहना पड़ेगा और ना ही किसी को किसी भी तरह का दुख झेलना पड़ेगा क्योकि तब हर मानव एक दूसरे का सहायक होगा। मानवता आवाज है आत्मा की और कहते है कि आत्मा की आवाज परमात्मा की आवाज होती है जिसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर हम ऐसा करते है तो परमात्मा के क्रोध का कारण बनते है।  




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