नारी का महत्व / importance of woman
प्रस्तावना / Preface
हमारे जीवन में एक स्त्री का सबसे बड़ा योगदान है लेकिन हमारे समाज में लोग स्त्री को कोई महत्व नहीं देते क्योकि समाज में पुरुष अपने आप को ही सर्वे -सर्वा समझता है जबकि उस पुरुष को धरती पर लाने वाली एक स्त्री होती है मगर हमारे समाज में एक स्त्री के त्याग ,बलिदान और उसके द्वारा किये हुए कार्यो को भुला दिया जाता है। एक स्त्री जो पुरुष के समान अपने कर्तव्यों को निभाती है वह स्त्री आज भी अपने अस्तित्व की तलाश कर रही है। ईश्वर ने एक स्त्री और पुरुष दोनों को समान अधिकार दे कर धरती पर समाज का विस्तार करने का कारण बनाया था लेकिन समाज का विस्तार होते ही पुरुष ने एक नारी के योगदान को भुला दिया। हमारे प्राचीनतम वेद-पुराण में कहा गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते यत्र देवता: | अर्थात जिस कुल में स्त्रियों की पूजा होती है , उस परिवार से देवता प्रसन्न होते है।
importance of woman |
नारी के प्रति लोगों की मानसिकता / People's mindset towards women
प्राचीनकाल से हमारे वेद -पुराण में कहा गया है की जिस परिवार में लोग नारी की पूजा और सम्मान करते है उस परिवार से देवता भी हमेशा प्रसन्न रहते है मगर आज ऐसी बाते सिर्फ दिखावे के लिए रह गयी है क्योकि अब लोग नारी को एक वस्तु समझते है इसीलिए आज नारियों के साथ दुष्कर्म होते है उनका उत्पीड़न किया जाता है। आज लोग इतने अन्धे हो चुके है कि छोटी-छोटी बच्चियों के साथ लोग दुष्कर्म करते है। हम बहुत से ऐसे केसों को देखते है जहा लोग सामूहिक बलत्कार करके स्त्री को जिन्दा जला देते है आज हम अपने देश में देखते है कि लोग आज नारियों का कोई सम्मान नहीं करते है। नारी जिस पुरुष को अपनी जान पर खेल कर जन्म देती है वही पुरुष नारी का अपमान करता है। समाज में आज भी नारी को अपमानित करने की प्रथा बनी हुई है हमें इसे बदलना होगा तभी हम नारी का सम्मान कर पाएंगे और उसे समाज में बराबरी का दर्जा दे पाएंगे।
हमारे समाज में नारियों को लेकर हमेशा समाज में लोगो का दोहरा चरित्र सामने आता है जिस कारण नारी को हमेशा समाज में संकटो का सामना करना पड़ता है आज भी हमारे समाज में नारिया अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं करती है क्योकि समाज के रंक्षक ही नारियों के भक्षक होते है। आज भी हमारे समाज में नारी डरी- सहमी हुई रहती है क्योकि आज भी हमारे देश के कमजोर कानून होने के कारण नारी के साथ दुष्कर्म होते रहते है। हर जगह उनका फायदा उठाया जाता है। जिस देश में नारी की रक्षा के लिए रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथो में वर्णन किया गया है उस देश में आज लोगो की मानसिकता की वजह से नारी पर अत्याचार होते है और उन्हें अपमानित किया जाता है जो हमे यह बताता है की हम आज भी अपने इतिहास से कुछ नहीं सीख पाए। जबकि रामायण और महाभारत हमें यह बताते है कि नारी के अपमान की वजह से लोगो के पुरे वंश का सर्वनाश हुआ है।
आज भी हमारे समाज में नारी के प्रति लोगों की मानसिकता अच्छी नहीं है क्योकि आज भी लोग नारी को घर के काम के लिए इस्तमाल करते है। आज भी लोगों का सोचना यह है कि नारी सिर्फ घर के काम और बच्चों को जन्म देने के लिए होती है ऐसी मानसिकता के कारण लोग नारी को सम्मान नहीं देते है। हमारे समाज में एक नारी का सबसे बड़ा विरोध नारी ही करती है इस कारण लोगो की मानसिकता पर और भी ज्यादा असर होता है। इसी कारण नारी अपने आपको असहाय और ठगा हुआ महसूस करती है। जिस घर में वह जन्म लेती है उसे उसी घर में एक पुरुष के आगे छोटा महसूस कराया जाता है क्योकि हर चीज में उसे पुरुष के अपेक्षा कमजोर माना जाता है जबकि पुरुष की अपेक्षा नारी हर चीज में आगे है मगर वह अन्दर ही अन्दर घुटती रहती है क्योकि लोग उसे आगे बढ़ने नहीं देते है।
नारी का सम्मान / respect for women
हमारे समाज के लिए नारी और पुरुष दोनों महत्वपूर्ण होते है और समाज का विकास तभी होता है जब नारी और पुरुष दोनों मिल कर अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाते है लेकिन हमारा समाज कभी भी नारी के बलिदान और त्याग को स्वीकार नहीं किया जाता सिर्फ उसको एक कटपुतली की तरह इस्तमाल किया जाता है क्योकि पुरुष अपने आपको ही कर्म प्रधान मानते है और इसी कारण समाज में एक नारी को वह सम्मान नहीं मिलता है। जो उसे मिलना चाहिए लेकिन हम इसके लिए पुरे समाज को नहीं कह सकतें है क्योंकि हिन्दू समाज में हमेशा नारी का सम्मान किया गया है। समाज में कुछ लोग होते है जिनकी वजह से पूरा समाज बदनाम होता है। इसलिए लोगों को समझना चाहिए और हमे उस रास्ते को अपनाना चाहिए जो हमारे पूर्वजों का था जब लोग पुरुष से पहले नारी का नाम लेते और जोड़ते थे।
नारी समाज को बनाने में पुरुष के बराबर योगदान देती है लेकिन जब श्रेय दिया जाता है तब सिर्फ पुरुष को दिया जाता है उस समय एक नारी के त्याग और बलिदान को भुला दिया जाता है क्योकि आज एक नारी को सिर्फ भोग-विलास और बच्चो को जन्म देने के लिए सिर्फ इस्तमाल करने के लिए एक वस्तु समझा जाता है इसी लिए आज भी नारी के ऊपर सिर्फ अत्याचार होता है जो नारी अपना घर छोड़ हमारा घर संभालती है सजाती है बदले में उसे अपमान और तिरस्कार ही मिलता है कहि किसी नारी को जिन्दा जला दिया जाता है और जहर दे के मार दिया जाता है एक नारी जिस औलाद को जन्म देती है वही बड़ा होकर उसका सबसे अधिक अपमान करता है।
नारी कभी हमे माँ बन के संभालती है तो कभी बहन बन के प्यार करती है तो कभी पत्नी बन के हमें और हमारे घर -परिवार को भी संभालती है और हमारे वंश को आगे बढ़ाने के लिए हमारी सन्तान को जन्म देती है लेकिन हम नारी का उपकार कभी नहीं मानते है जबकि हमें नारी का उपकार सदैव याद रखना चाहिए और हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए। अगर एक नारी नहीं होती तो समाज का विस्तार नहीं होता और एक पुरुष जो अपने आपको सर्वश्रेठ समझता है वह नहीं होता क्योकि नारी के बिना पुरुष का कोई बजूद नहीं है इसलिए पुरुष को नारी का सम्मान करना चाहिए और उसे समाज में बराबरी का दर्जा देना चाहिए ताकि नारी और पुरुष समाज में दोनों का अस्तित्व बना रहे।
नारी द्वारा की गयी परवरिश / female upbringing
जिस घर में नारी नहीं होती उस घर में बच्चों की परवरिश करना मुश्किल होता है क्योकि एक नारी जैसी परवरिश पुरुष कभी नहीं कर सकता है वह इस लिए क्योकि पुरुष के अन्दर नारी जैसा धैर्य और सहनशीलता नहीं होती है। अगर एक महिलां नहीं होती तो बच्चों के अन्दर अपने देश की परम्परा ,संस्कार और सभ्यता को उसके अन्दर उतारना बहुत मुश्किल होता क्योकि शुरू से ही हमारे देश में एक नारी ही सारे रीति -रिवाज तित-त्यौहार की जिम्मेदारी निभाती आयी है। इसी लिए कहते है कि एक माँ से अच्छा एक बच्चे को कोई नहीं सभांल सकता क्योकि माँ से अच्छी परवरिश ,माँ से अच्छा गुरु और माँ से अच्छा दोस्त एक बच्चे के जीवन में कोई और नहीं होता है ऐसा इसलिए क्योकि माँ का प्यार और स्नेह निस्वार्थ होता है इसी लिए कहते है कि एक महिलां से अच्छी परवरिश कोई नहीं कर सकता है।
नारी अपने बच्चे की परवरिश भी करती है अपना घर भी संभालती है और आज की नारी नौकरी भी करती है। एक नारी के अन्दर इतनी सहनशक्ति होती है कि वह एक साथ कई काम कर सकती है जो एक पुरुष कभी नहीं कर सकता है लेकिन फिर भी एक नारी को समाज में वह दर्जा कभी नहीं मिलता जिसकी वह हकदार होती है। नारी अपने बच्चे को हर तरह से उसे ऐसी परवरिश देती है जिससे उसका बच्चा बड़ा होकर एक सभ्य और एक अच्छा इंसान बने जिससे उसका जीवन सुखमय हो सकें लेकिन नारी को उसके त्याग और बलिदान का श्रेय कभी नहीं मिलता क्योकि उसका श्रेय एक पुरुष के हिस्से में चला जाता है जब कि हम सभी जानते है कि जब एक व्यक्ति अपने जीवन में कुछ बन जाता है वह सफल हो जाता है तब लोग उसे उसके पिता के नाम से कहते है कि उसका लड़का बहुत सफल आदमी बन गया है कोई व्यक्ति उसकी माँ के नाम से उसे नहीं बुलाता है और ना ही कोई उसकी सफलता का श्रेय उसकी माँ को देता है लेकिन फिर भी वह नारी कभी दुखी नहीं होती क्योकि वह अपनी परवरिश को अपना फर्ज समझती है।
उपसंहार / Epilogue
समाज में नारी का आधार बहुत बड़ा है क्योकि महिलां एक बच्चे को जन्म देकर इस धरती पर लाती है उसकी परवरिश करती है उसे अपने देश के रीति -रिवाजों ,त्योहारों ,वेद -पुराण ,परम्परा और ग्रंथो आदि के बारे में अपने बच्चे बताती है जिससे वह बड़ा होकर अपनी संस्कृति और सभ्यता को समझ सकें ,उन्हें निभा सके जिससे हमारी परम्पराये आगे बढ़ सकें और हमेशा जिन्दा रह सकें। एक नारी हर चीज को अपना कर्तव्य समझकर निभाती रहती है बदले में कभी कुछ नहीं मांगती है लेकिन हम कभी उसे उसका ना तो श्रेय देते है और ना ही अपनापन दे पाते क्योकि हम नारी को एक वस्तु और एक चीज समझते जिसे घर के काम के लिए ,बच्चो को जन्म देने के लिए और भोग-विलास के लिए समझा जाता है।
https://hamarizindagi369.blogspot.com/
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